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विरेचन के फायदे

विरेचन के फायदे नुकसान व सावधानिया

विरेचन क्या है , विरेचन के फायदे , नुकसान व सावधानिया

परिचय :- ‘’तत्र दोष हरणं अधोभागम विरेचन संज्ञकं’

अर्थात शरीर के अधोभाग से गुद मार्ग के द्वारा मल दोषादी को निकालने की प्रक्रिया को विरेचन की संज्ञा दी जाती है | विरेचन भारतीय प्राचीन आयुर्वेद चिकित्साशात्र का एक विशिष्ट परिभाषित शब्द है | जिसका शोधन चिकित्सा में अपना एक अलग ही स्थान है | पंचकर्म के पांच मुख्य कर्मो में से एक विरेचन होता है जिसका रोगी की पृकृति के अनुरूप ओषधियों का निर्धारण करने के बाद विरेचन कर्म करवाया जाता है | विरेचन कर्म का चर्म रोगों पित्त व वात रोगों मकी सर्वोत्तम चिकित्सा मानी जाती है | वर्ण सुन्दरता अर्थात सम्पूर्ण शरीर की स्किन पर प्राकृतिक चमक लाने में विरेचन का अपना एक अलग ही स्थान है | जिसका सबसे बड़ा जो रहस्य है वो यह है की विरेचन के द्वारा शरीर की छोटी से छोटी कोशिका की सफाई अच्छे से हो जाती है | विरेचन कर्म के द्वारा पित्त दोष का शमन होता है | विरेचन के फायदे

image – swasthayurved.com

विरेचन कर्म कैसे करे ( विरेचन की सम्पुर्ण प्रक्रिया )

विरेचन से पूर्व विरेचन के बारे में सभी जानकारी रोगी को बताई जाती है | उसके पश्चात रोगी की पृकृति  व रोग के अनुसार ओषध युक्त घृत का निर्धारण किया जाता है |

पहले दिन से 25 मिली ओषध युक्त घृत को आरोही क्रम में पिलाया जाता है जिसको 200 मिली तक की मात्रा तक पिलाया जाता है | जिसके लिए समयांतराल 7-8 दिन का निर्धारित किया जाता है | मोषम के अनुरूप 1-2 दिन कम या ज्यादा भी किया जा सकता है |

आखिर के 3-5 दिन अभ्यंग व स्वेदन अर्थात मसाज व भाप स्नान अच्छी तरह से करवाए | जिससे रोगी के दोष अच्छे से उग्र हो सके |

अंत में एक दिन का विश्राम दे , जिससे दोष संचित होकर कोष्ठ में एकत्रित हो जाये और अगले दिन अभ्यंग स्वेदन के बाद  विरेचक द्रव्य दे कर विरेचन करवादे |   

विरेचक द्रव्य देने के कुछ ही समय बाद विरेचन अर्थात दस्त आना शुरू हो जायेगा जिसको वेग की मात्रा व् स्वरूप को समय के साथ साथ लिखते रहना है | रोगी को  बार-बार गर्म पानी देते रहे जिससे दस्त का वेग ठीक से आते रहे |

विरेचक द्रव्य :- विरेचन कर्म करवाने के लिए जिन ओषधियो का चयन किया जाता है उन्हें ही विरेचक द्रव्य कहा जाता है |

रोगी के बलाबल व् प्रकृति निर्धारण के अनुरूप ओषध युक्त घृत का चयन किया जाता है |

प्रमुख विरेचक द्रव्य हरीतकी , कुटकी , चिरायता , निशोथ , द्राक्षा , त्रिवृत , एरंड तेल , अमलताश गुदा आदि |

विरेचन कर्म में सावधानी

विरेचन का प्रधान कर्म करवाने से पहले अभ्यंग स्वेदन मसाज व भाप स्नान अच्छे से करवाए जिससे किसी प्रकार का उपद्रव  उत्पन्न ना हो सके |

विरेचन के फायदे

त्वचा पर चमक बढ़ाने हेतु:-

सम्पूर्ण शरीर की चमक बढ़ाने के लिए रक्तशोधक ओषधियो द्वारा विरेचन के माध्यम से जहरीले अपशिष्ट पदार्थो को शरीर से बहार निकाल दिया जाता है | विरेचन से शरीर में विधमान छोटी से छोटी कोशिका की भलीभांति सफाई हो जाती है |तथा विरेचन की सम्पूर्ण प्रक्रिया से स्किन के सभी रोम छिद्र खुल जाते है | जिसके फलस्वरूप स्किन की वास्तविक चमक निकलने लगती है |

बुढ़ापे को रोकने में विरेचन के फायदे

शरीर में एकत्रित हुए दूषित मल मूत्र त्रिदोष आदि को विरेचन के द्वारा बहार निकालने से  रोगी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है | जिससे रोगी का बल वर्ण व आयु की वृद्धि होती है |

अम्लपित्त में विरेचन के फायदे  :-

शरीर में बढ़े हुए पित्त को साम्यावस्था में लाने के लिए  विरेचन पंचकर्म की एक सरल प्रक्रिया है | जिसके माध्यम से बढ़े हुए पित्त को बहार निकाल दिया जाता है |

बन्धत्व में विरेचन के फायदे ( infertility )

जिन महिलाओ के सभी आन्तरिक अवयवो के सामान्य होने के बाद भी प्रेग्नेंट नही हो पाती है या फिर गर्भपात हो जाता है | ऐसे महिलाओ को ओषध सिद्ध घृत से विरेचन करवाने के पश्चात उनको बन्धत्व की समस्या से आसानी से छुटकारा मिल जाता है | विरेचन के बाद बताये अनुसार आयुर्वेद ओषधियो का सेवन करने से कुछ ही समय में महिला गर्भवती हो जाती है | क्योकि विरेचन से गर्भाशय का शोधन अच्छे से हो जाता है | जिससे शुक्राणु आसानी से निषेचन की प्रक्रिया को पूरी करते हुए गर्भाशय तक पहुंचन कर एक स्वस्थ गर्भ के निर्माण की प्रक्रिया का प्रारम्भ करता है |  

एक्जिमा में विरेचन के फायदे

एक्जिमा के रोगी  को ओषध प्रारम्भ करने से पहले उसके शरीर में एकत्रित हुए विषेले पदार्थो को शरीर से बहार निकला जाता है , जिससे रोगी द्वारा गृहण की गयी ओषधि का शीघ्र लाभ होने से एक्जिमा रोग से अल्प समय में ही छुटकारा या राहत मिल सके |

सोरायसिस में विरेचन के फायदे

सोरायसिस रोग में पित्त के असाम्यावस्था को साम्यावस्था में लाने के लिए बढ़े हुए पित्त को विरेचन के द्वारा बहार निकला जाता है |

पथरी रोग में विरेचन के फायदे

गुर्दे की पथरी या मूत्र मार्ग में अटकी हुई पथरी को बहार निकलने के लिए विरेचन एक अच्छा माध्यम है |

विरेचन से पथरी तो बहार निकलेगी ही साथ की साथ अनेको विषेले पदार्थो के बहार निकलने से अनेको रोगों से भी बचे रहोगे |

मोटापे में विरेचन के फायदे

मोटापे अर्थात obesity में विरेचन के चमत्कारिक परिणाम देखने को मिलते है | विरेचन कर्म में वसा का प्राकृतिक रूप से अवशोषण हो जाता है | जिससे बहुत कम समय में ही वजन में काफी हद तक कमी होने लगती है |

यकृत रोगों में विरेचन के फायदे

विरेचन के बाद सभी जहरीले पदार्थ शरीर से बहार निकल जाने के बाद सभी हार्मोन्स अपनी अपनी साम्यावस्था में आजाते है जिससे यकृत की कार्य क्षमता में बेहतरीन सुधार हो जाता है |

मूत्र विकारो में विरेचन के फायदे

विरेचन  करने से किडनियों का भी शोधन हो जाता है जिससे मूत्र से सम्बंधित रोगों में शीघ्र लाभ मिल जाता है | और असामान्यव्स्था में आये हुए यूरिक एसिड , क्रेटिनिन आदि अपनी सामान्यवस्था में आने लगते है |

मधुमेह में विरेचन के फायदे

मधुमेह या शुगर रोगियों को ओषध सिद्ध घृत से विरेचन करवाने से पैन्क्रियाज की कार्य क्षमता में सुधार होने से धीरे धीरे इन्सुलिन बनना प्रारम्भ होने लगता है जिससे मधुमेह या डायबिटीज के रोगियों के इन्सुलिन तक से छुटकारा मिलने की सम्भावना रहती है |

गठिया रोग में विरेचन के फायदे

गठिया रोगी को विरेचन करवाने से अधिक मात्रा में बढ़ा हुआ यूरिक एसिड अपनी सामान्यावस्था में आ जाता है | विरेचन के बाद जो भी आयुर्वेदिक ओषधियो का सेवन करवाया जाता है उसका शीघ्र रोगी पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है |

 नेत्र रोगों में विरेचन के फायदे

शरीर में पित्त या वात की वृद्धि होने से वायु उर्धगामी हो जाती है जिससे वायु सिर में पहुंच कर आँखों के ऊपर अतिरिक्त दबाव बन जाता है जिससे नेत्र रोग पनप जाते है | विरेचन के बाद इन सबका शमन हो जाता है |

उच्च रक्तचाप में विरेचन के फायदे

विरेचन से खाये हुए आहार का मल भाग शरीर से निकाला जाता है | जिससे कोष्ठ शुद्धि होने से धमनियों पर पड़ने वाला अतिरिक्त बल कम हो जाता है जिससे उच्च रक्तचाप व आन्त्रिक रक्तश्राव को रोका जा सकता है |

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धन्यवाद !

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

Written by

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

1 Comment
  • Prakash Reply
    October 25, 2019

    Very good information for better health….

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