वासारिष्ट : प्रमुख आयुर्वेदिक औषधि है। जो रसायन गुणधर्मों से भरपूर होती है अर्थात यह आयुर्वेद में एक रसायन के रूप में उपयोग में लिया जाता है। यह सभी प्रकार की खांसी को दूर करने, शरीर को बलवान बनाने रोग प्रतिरोध को बढ़ाने, प्राकृतिक शक्तियों को सुधारने, और शरीर को संतुलित रखने के उद्देश्य से इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में यह एक महत्वपूर्ण औषधि है जो खांसी को दूर करने के साथ-साथ पौष्टिक, वीर्य वर्धक तथा हाजमा को ठीक करने में उपयोगी है।
वासारिष्ट एक सिरप के रूप में उपलब्ध है जो हमारे शरीर से कफ को बाहर निकलता है क्योंकि वासारिष्ट में लोहे का अंश होता है जो कफ दोष को मिटाने में सहायक होता है तथा इसके साथ ही वासारिष्ट शरीर को पुष्ट, बलवान और सुंदर स्वस्थ बनाता है।
आज हम इस आर्टिकल में आपको आयुर्वेदिक वासारिष्ट सिरप के बारे में जानकारी देंगे कि यह किन-किन रोगों में उपयोग में लिया जाता है तथा इसे बनाने की विधि और सेवन विधि के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताएंगे। अतः आप इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़ें।
वासारिष्ट बनाने के लिए घटक द्रव्य
वासारिष्ट रिष्ट बनाने के लिए कुछ विशेष आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां का उपयोग किया जाता है। जो निम्न है
- वासा पंचाग
- गुड़
- धाय के फूल
- दालचीनी
- बड़ी इलायची
- तेज पत्ता
- नागकेसर
- कंकोल
- सोंठ
- काली मिर्च
- पीपल
- सुगंधबाला
- जल
वासारिष्ट बनाने की विधि-
- सबसे पहले बताई गई औषधीयों को इकट्ठा कर ले।
- अब वासा पंचाग को कूटकर तैयार कर लें।
- वास पंचांग की मात्रा के अनुसार उसकी दुगनी मात्रा में जल लेकर पकाए।
- जब पकाने के बाद जल का चौथा हिस्सा रह जाए तब उसे छान ले।
- गुड़, धाय के फूल, दालचीनी, बड़ी इलायची, तेजपत्ता, नागकेसर, कंकोल, सोंठ, काली मिर्च, पीपल और सुगंधबाला का मोटा मोटा चूर्ण तैयार कर लें।
- अब इन सबके चूर्ण को बराबर मात्रा में एक साथ मिला ले अर्थात यदि गुङ 4 तोला है तो बाकी सभी औषधियां भी 4-4 तोला होनी चाहिए।
- अब छान कर तैयार किए हुए जल में इन सभी औषधियों का चूर्ण बताई गई मात्रा के अनुसार मिला लें।
- अब इन्हें एक चिकने मटके में भरकर ऊपर से कपड़े से बांधकर बंद कर दें।
- अब इसे एक महीने तक इसी तरह बंद पड़ा रहने दें।
- 1 महीने बाद इसे निकाल कर छान कर सुरक्षित रख लें। इस प्रकार हमारा वासारिष्ट तैयार हो जाता है।
पुराने समय में तथा आज भी शिक्षित वैद्य द्वारा वासारिष्ट को इसी प्रकार तैयार किया जाता है। हालांकि अब कुछ मशीनों द्वारा भी वासारिष्ट तैयार किया जाने लग गया है। आप चाहे तो इसे घर पर भी बना सकते हैं परंतु यदि यह सही तरह से न बने तो यह जहर के समान हो जाता है। इसलिए आप इसे किसी वैद्य की सलाह से ही तैयार करें अन्यथा बाजार में वासारिष्ट सभी आयुर्वैदिक मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध है। अतः आप इसे मेडिकल स्टोर से लेकर इसका उपयोग कर सकते हैं।
वासारिष्ट के गुण व उपयोग
- यह सभी प्रकार की खांसी को दूर करता है तथा शरीर को बलवान बनाता है।
- यह काम शक्ति को बढ़ाता है तथा बांझ स्त्री को संतान उत्पत्ति की शक्ति प्रदान करता है।
- खांसी दूर करने के अतिरिक्त यह है पौष्टिक, वीर्य वर्धक तथा हाजमा को ठीक करने वाला रसायन है।
- वासारिष्ट का उपयोग सभी प्रकार की सूजन को दूर करने के लिए किया जाता है। कफ प्रधान सूजन में जल भाग की वृद्धि होने पर तथा रक्ताणुओ की कमी होने पर वहां सूजन हो जाती है। सूजन को अंगुली से दबाने पर गड्ढा हो जाता है जो फिर धीरे-धीरे भरता रहता है यही इस रसायन की पहचान है।
- इस प्रकार की सूजन को मिटाने तथा कफ को शरीर से बाहर निकालने के लिए इसका ओउपयोग किया जाता है जिसमें शीघ्र ही लाभ देखने को मिलता है।
- कई बार श्वेत प्रदर, रजो विकार, प्रदर रोग आदि के कारण गर्भाशय कमजोर हो जाता है अथवा गर्भाशय की चमड़ी मोटी हो गई हो, शरीर की चर्बी ज्यादा बढ़ जाने की कारण गर्भाशय का मुंह ढक गया हो। इन कारणों से यदि संतान न होती हो तो इस स्थिति में वासारिष्ट का लगातार सेवन करने से जल्द ही संतान उत्पत्ति का सुख मिलता है।
- वासारिष्ट के साथ-साथ चंद्रप्रभा वटी का भी उपयोग करते रहने से गर्भाशय के सभी दोष दूर हो जाते हैं और स्त्री सुंदर और स्वस्थ संतान को जन्म देती है।
- स्त्री और पुरुष के रज-वीर्य की कमजोरी के कारण संतान उत्पत्ति में बाधा उत्पन्न हो रही हो तो स्त्री और पुरुष दोनों को ही वासारिष्ट का सेवन लगातार करते रहना चाहिए तथा साथ ही में जब तक इसका उपयोग करें तब तक ब्रह्मचर्य का पालन करें।
वासारिष्ट की मात्रा व सेवन विधि
- एक से दो चम्मच की मात्रा खाना खाने के बाद सुबह और शाम बराबर जल मिलाकर सेवन करें।
- यह रसायन लेते समय गुनगुने पानी का सेवन करें।
- इसके अतिरिक्त आप चिकित्सक के परामर्श के अनुसार सेवन कर सकते हैं।
धन्यवाद!