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सिंथेटिक दूध से बचें – जाने कैसे बनता है प्राकृतिक दूध

प्राकृतिक दूध / Natural milk क्या है ?

दूध का ph लेवल 6.4से6.8 तक होता है जिसमें 3-7% तक वसा होता हैं दूध में विटामिन ए, डी, ई, के पाये जाते हैं |

प्रश्वोपरांत मां का दूध ही बच्चे के लिए सर्वश्रेष्ठ आहार होता हैं जब तक बच्चे के पाचनतंत्र के सभी अंगों की कार्य करने की क्षमताओं का सम्पूर्ण विकास नहीं हो जाता है जब तक ही उसे शुद्ध दूध प्राप्त होता हैं उसके उपरांत उसको बाजार में मिलने वाले सिंथेटिक दूध ही मिल पाता है जिसका दुष्प्रभाव उसके शारिरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है
प्रकृति नवजात शिशुओं को लैक्टोज नामक एन्जाइम प्रदान करती है जो कि दूग्ध शर्करा के पाचन में सहायक होता है।

अधिकांश लोग रात के खाने के बाद व सोने से पहले दूध लेतें हैं जो कि हमारे पाचनतंत्र के लिए ठीक नहीं होता है।दूध को सुबह के नाश्ते में शामिल किया जाना चाहिए।
वर्तमान समय मे व्यापारिक उद्देश्यों की पूर्ति के आगे शुद्ध दूध मिल पाना मुश्किल होता जा रहा है।

दूध के नाम पर जहर – सिंथेटिक दूध/ नकली दूध

वर्तमान समय में नकली दूध बनाने का काला धंधा बेरोकटोक जोरों शोरों से चल रहा है जिसमें मनुष्य के स्वास्थ्य की चिंता किए बगैर सिर्फ़ मुनाफे को ध्यान में रखते हुए नकली दूध बनाया जा रहा है।

व्यापार करने वाले लोग मुनाफे के आगे स्वयं के व खुद के परिवार जनों के स्वास्थ्य का ध्यान तक नहीं रखते हैं ऐसे मिलावट करने वाले लोग यह क्यों भूल जाते हैं कि जब हम घर से बहार जाते तो इसी दूध रूपी जहर का सेवन करते हैं ओर इनके बच्चे जो घर से दूर रह कर पढाई या नौकरी करते है वो भी इसी जहर का सेवन कर रहे हैं।ओर कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों की चपेट में आते जा रहे हैं।

ये व्यापारी लोग सिंथेटिक दूध बनाने के लिए बहुत सारे हानिकारक केमिकल्स का उपयोग करते है जैसे कि यूरिया, कास्टिक सोडा, स्लोटिंग पेपर,हाइड्रोजन पराक्साइड, फोरमीलीन, शैम्पू/डिटर्जेंट, अरारोट, चूना,रिफाइंड तेल आदि के द्वारा सिंथेटिक दूध तैयार करते हैं |जिसका मानव शरीर पर बहुत से हानिकारक प्रभाव पड़ते है।

सिंथेटिक दूध के दुष्प्रभाव

सिंथेटिक दूध के लगातार उपयोग करने से हृदय रोग, लीवर रोग, पेप्टिक अल्सर, थकावट महसूस करना, असंतुलित विकास,त्वचा रोग, लडकियों मे योवनारम्भ का जल्दी आना, गर्भपात, नपुंसकता, कैंसर आदि रोगो की सम्भावना काफी हद तक बढ जाती हैं।

जहरीले दूध का विकल्प प्राकृतिक दूध | क्यों ना इस जहर रुपी दूध के स्थान पर हम प्राकृतिक दूध तैयार करके उपयोग में ले।

प्राकृतिक दूध बनाने की विविध तरीक़े।

सोयाबीन का दूध

सोयाबीन को बारीक पिसवा ले।एक लीटर दूध बनाने के लिए एक लीटर पानी को गर्म करें 100 ग्राम सोयाबीन के आटे को धीरे धीरे पानी में डालते हुए चम्मच से चलाते रहे ऐसे करते हुए10 मिनट में आपका शुद्ध सोयाबीन दूध तैयार हो जायेगा.। ठंडा करके आवश्यक मात्रा में ईलायची पाउडर व शहद डाल दें।

विशेष:- संसार में सोयाबीन के जैसा अन्य पोष्टिक खाध मिलना मुश्किल है यह सभी गुणों से गाय के दूध के समान ही पोषण देने वाला है।

चिकित्सकीय उपयोग

यह 80% तक अल्कलाइन(क्षारीय) होता है कैल्शियम आयरन, फास्फोरस, व विटामिन बी का अच्छा स्त्रोत है। कील-मुहांसे, काले चकत्ते मधुमेह, वातरोग, कोलेस्ट्रॉल को कम करता है हृदय रोग व उच्च रक्तचाप मे अत्यंत उपयोगी, यूरिक एसिड नही बनाने के कारण गठिया रोग में दूध का बेहतर विकल्प, मानसिक रोग, स्नायु दोर्बल्यता,एनिमिया, मिर्गी,तपेदिक व कैंसर की संभावनाओ को कम कर देता है।

खरबूजे के बीजो का दूध

खरबूजे के 50ग्राम बीजों को 30 मिनट तक पानी में भिगोकर रखने के बाद मिक्सी मे पीसकर चटनी बना ले। अब इसमें 300मिली. पानी डालकर छानले आपका दूध तैयार है।

उपयोग:- कैल्शियम व फास्फोरस का भण्डार होने के कारण दिमाग को तरोताजा रखता है।

सूरजमुखी के बीजों का दूध

सूरजमुखी के 100ग्राम बीजों को रात में भिगोकर रख दें व सुबह मिक्सी आदि में पीसकर चटनी बना ले अब इसमें600मिली पानी डालकर छानले आपका दूध तैयार है।
विटामिन डी की भरपूर मात्रा होने से हड्डियों के लिए विशेष उपयोगी साथ ही पुरूष शक्ति को बढाने में सहायक।

मिक्स मेवो का दूध

सफेद तिल,बादाम, नारियल की गिरी.12घंटे भिगोकर रख दें व काजू 6घंटे भिगोने के बाद.मिक्सी में चटनी बना ले। आवश्यकतानुसार 8गुणा ठंडा या गर्म पानी मिलाकर छान ले आपका दूध तैयार है।

उपयोग:- वजन, शक्ति व सैक्सुअल ताकत बढाने में लाभकारी है।

मूंगफली का दूध

कच्ची मूंगफली 100 ग्राम को रात में पानी में भिगो दें।भिगी हुई मूंगफली को सुबह मिक्सी आदि में चटनी बनाये। अब आवश्यकतानुसार 800मिली गर्म या ठंडा पानी डालकर छानले। दूध तैयार है दूध गाढा या पतला करने के लिए पानी की मात्रा कम या ज्यादा की जा सकती हैं।

चिकित्सकीय उपयोग

प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए व बी,कैल्शियम, आयरन,वसा, फास्फोरस आदि पर्याप्त मात्रा में होने से यह सुपाच्य ओर बल को बढाने वाला है, मस्तिष्क दुर्बलता मे उपयोगी।

तिल का दूध

सफेद तिल 100 ग्राम रात को भिगो दें। भिगे हुए तिलो को.सुबह मिक्सी मे पपीसकर चटनी बना ले व 800 मिली गर्म/ठंडा पानी मिलाकर छान लें।

चिकित्सकिय उपयोग

तिल कैल्शियम का भंडार है जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी, सी,ई, आयरन, फास्फोरस आदि की प्रचुरमात्रा है।

यह त्रिदोष नाशक है,मस्तिष्क दुर्बलता, रजोदोष, त्वचा रोग,दांतों की कमजोरी, व कामोत्तेजक है।

नोट:- मिठास के लिए शहद, खजूर,व किशमिश का प्रयोग करें। अगर जानकारी अच्छी लगे तो कृपया इसे सोशल साईट पर जरुर शेयर करें | आपका एक शेयर इसे कई लोगों के  साथ साझा करने में उपयोगी सिद्ध होता है | 

धन्यवाद | 

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

Written by

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

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