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स्लिप डिस्क क्या है ? कारण,लक्षण,वैज्ञानिक आधारित चिकित्सा एवं सावधानिया |

पृथ्वी  पर उपस्थित सभी जीव जन्तुओ के शरीर के संतुलन को बनाये रखने में  रीढ़ की हड्डी का अपना एक महत्वपूर्ण  और विशेष कार्य होता है | हमारी स्पाइन में 26 वर्टिब्रा स्थापित होती है , जो बहुत ही सॉफ्ट डिस्क के द्वारा एक दुसरे से जुडी हुई रहती है ये छोटी छोटी हड्डियों से मिलकर बनी होती है |

इन छोटी हड्डियों के मध्य एक गद्दीदार/लचीली /गाढे द्रव्य युक्त डिस्क स्थापित रहती है जो हमारे स्पाइनल कार्ड की हमारे द्वारा कुछ भी शारीरिक  काम करने पर लगने वाले  झटको से सुरक्षा करती है | और हमारी स्तम्भ रूपी रीढ़ को लचकदार बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है |

इस लचीलेपन की  ही बदोलत है की  हम हमारे शरीर को दायें-बांये आगे-पीछे आसानी से घुमाते हुए  आसानी से हमारे दैनिक दिनचर्या के कार्यो को भलीभांति करते है, किन्तु जब इसमें किसी कारण वश या ये कहें की हमारे द्वारा की हुई किसी गलती के कारण इसमें विकार/दोष  उत्पन्न होने लग जाते है, विकार कहे तो त्रिदोषों की विषमावस्था की उत्पत्ति के फलश्वरूप निम्न उपद्र्व्य दिखाई देने लगते है , जिनमे सुजन आना या दर्द का लगातार बना रहना डिस्क का फैलाव हों जाना जिससे डिस्क अपनी सामान्य सीमाओ से कुछ हद तक बहार की ओर  निकल जाती है |

परिणामस्वरूप डिस्क के बाहरी आवरण में विकार उत्पन्न होकर इसमें उपस्थित न्यूक्लियस पल्पोसस नामक गाढे द्रव का रिसाव होने लगता है | जिससे डिस्क के  आसपास की तंत्रिकाओ (नर्व) पर गाढे द्रव के फ़ैल जाने से नर्व पर पड़ने वाले दबाव से  विकार उत्पन्न हो जाता है | इसे ही स्लिप डिस्क कहा जाता है |

How to cure slip-disc

यही  डिस्क जब गर्दन वाले भाग में स्लिप होती है तो उसे सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के नाम से पुकारा जाता है | वही जब यह कमर में होती है तो लंबर स्पॉन्डिलाइटिस के नाम से जाना जाता है |

लक्षण :- (symptoms of slip-disc)

  1. गर्दन से लेकर एड्डि तक कही भी लगातार दर्द या भारीपन का अनुभव  होना |
  2. कमर में जकडन के साथ लगातार भयंकर दर्द का बना रहना |
  3. शरीर के एक हिस्से में दर्द का बढना |
  4. दोनों हाथो या पैरो में दर्द का बना रहना |
  5. रात के समय अंग विशेष में दर्द का बढना |
  6. कुछ विशेष गतिविधियों में दर्द का बढ़ जाना जैसे :-खड़े होने या बैठने के बाद में दर्द का अचानक तेज बढ़ जाना |
  7. खड़े होकर थोडा चलने पर दर्द का वेग अति तीव्रगति से बढ़ जाना |
  8. प्रभावित हिस्से की मांसपेसियों में कमजोरी का एहसास होना |
  9. जलन ,दर्द ,सूनापन या झुनझुनी होना |
  10. अंग विशेष में भारीपन का एहसास होना आदि |
  11. सुई के चुभने जैसे पीड़ा होना

जानें इसके कारण

स्लिप डिस्क मुख्यत: वात दोष के प्रकुपित होने से उत्पन्न होता है जिसका मुख्य कारण हमारा आहार विहार होता है |

  • गलत तरीको को अपनाने से जैसे उठने बैठने में झटके लगना |
  • सामने झुककर वजन उठाना |
  • गलत तरीके से एक्सरसाइज करना |
  • अत्यधिक स्त्री समागम भी इसका बड़ा कारण हो सकता है |
  • तले भुने पदार्थो का अधिक सेवन करना |
  • देर रात तक बिना सपोर्ट के कुर्सी पर काम करना |
  • देर रात तक कमर को झुकाकर पढाई करना या मोबाइल का इस्तेमाल करना आदि |

क्या है बचाव/सावधानिया  

नियमित योगाभ्यास आपको स्पाइनल सम्बन्धी समस्याओ से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |

  • अपने आहार विहार का विशेष ध्यान रखे |
  • वात दोष को प्रकुपित करने वाले खाद्य पदार्थो के सेवन से बचे |
  • रात्रि जागरण से बचे |
  • धुम्रपान या नशीले पदार्थो के सेवन से बचे क्योंकि निकोटिन नामक जहर डिस्क में उपस्थित द्रव को सुखा देता है |
  • किसी भी शारीरिक गतिविधि को एक निश्चित तकनीक के आधार पर करे जैसे वजन उठाने में आपको सामने झुकने की बजाय नीचे बैठ कर उठाये आदि |
  • यदि आपका दैनिक कार्य कुर्सी पर बैठे रहने का है तो पीठ को सपोर्ट देकर या कुर्सी को अपने कमर के अनुसार किसी तकिये इत्यादी से व्यवस्थित कर लेना चाहिए |
  • करवट में सोते समय अपने दोनों घुटनों के मध्य तकिये का सहारा अवश्य ले |
  • सोते समय भी अपने शरीर के आकार पर विशेष ध्यान रखना चाहिए |
  • ओज की रक्षा करे अर्थात सम्भोग से परहेज करे |

जानें स्लिप-डिस्क का ईलाज एवं उपचार  

स्लिप डिस्क वात प्रकुपित रोग है और वात प्रकुपित रोगों में एनिमा अर्थात बस्ति चिकित्सा को श्रेष्ठ माना गया है |

  • नियमित योगाभ्यास
  • पंचकर्म चिकित्सा में
  • कटिबस्ती
  • अनुवासन बस्ति
  • पोटली
  • भाप स्नान
  • आयुर्वेद ओषधियों में योगराज गुग्गुल,त्रिफला गुग्गुल ,त्रियोद्सांग गुग्गुल ,दशमूल काढ़ा,महारास्नादी काढ़ा,अश्व्गंधारिस्ट,वातकुलान्तक रस,व्र्हित वात चिंतामणि रस,वातारी गुग्गुल,वात्ग्जान्कुस रस आदि का उपयोग चिकित्सक की देखरेख में अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है |

प्राकृतिक चिकित्सा / पंचकर्म चिकित्सा का  स्लिप-डिस्क में वैज्ञानिक आधार

प्राकृतिक चिकित्सा और पंचकर्म चिकित्सा द्वारा स्लिप हुई डिस्क का इलाज संभव है | जिसका वैज्ञानिक आधार इस प्रकार से समझा जा सकता है | पंचकर्म में की जाने वाली प्रिक्रिया कटिबस्ती के माध्यम से स्लिप हुई डिस्क के आस-पास के क्षेत्र में सक्त हुए तंतुओ को लचीला बनाया जाता है , जब  इन तंतुओ में लचीलापन बढ़ जाता है, तो धीरे धीरे मृत हुई कोशिकाए पुनर्जीवित होने लगती है | जब यहाँ उपस्थित सभी कोशिकाए पुनर्जीवित हो जाती है |तो धीरे धीरे डिस्क के आगे-पीछे ,दाये-बाये  घुमाव को बरकरार बनाये रखने वाली जैली का पुन: बनना प्रारम्भ हो जाता है | जब यह जैली  प्राकृतिक तरीके से अपने प्राकृतिक रूप में आ जाती है | डिस्क का अपने मूल श्वरूप में आने के बाद नर्वस सिस्टम /तंत्रिका तंत्र पर पड़ने वाला दबाव स्वत: ही कम हो जाता है |  जिसके फलस्वरूप पैरो की झुनझुनाहट ,सूनापन के साथ होने वाले दर्द से मुक्ति मिल जाती है | तब निश्चित ही डिस्क के स्लिप होने से उत्पन्न होने वाले सभी उपद्र्व्यो से अल्प समय मे ही दीर्घकालीन लाभ हो जाता है |

बस्ति या एनिमा

प्राकृतिक चिकित्सा का जब नाम आता है तो जान लेना चाहिए की प्राकृतिक चिकित्सा की शुरुआत मतलब एनिमा ! वर्तमान समय में एनिमा के नाम से ही बहुत से लोग चिकित्सा लेने में हिचकिचाते है  | किन्तु यह एक सर्वभोमिक सत्य है की प्राकृतिक चिकित्सा में एनिमा जिसे पंचकर्म में मेडिसिन्स के द्वारा तैयार किया जाता है बस्ति कहा जाता है | एनिमा /बस्ति के द्वारा रोगी के पेट की सफाई की जाती है | आंतो की सफाई होने से प्रकुपित हुआ वात अपनी साम्यावस्था में आने लगता है | जिससे की धीरे धीरे रोगी को रोग के लक्षणों में कमी महसूस होने लग जाती है | बस्ति में जो मेडिकेटेड आयल  मिलाया जाता है | वो किसी न किसी रूप में प्रकुपित वात को तो ठीक करता ही है साथ की साथ  आंतो को मजबूत बनाकर  स्पाइन की आन्तरिक लचक को बढ़ाने में महत्वपूर्ण निभाता है | जब तक पेट की सफाई अर्थात कब्ज को ठीक नही किया जायेगा स्लिप हुई डिस्क में पूर्ण  व दीर्घकालीन स्वास्थ्य लाभ की कामना करना उचित नही होगा | 

 स्लिप डिस्क slip disc रोगी जो प्रथम बार जब प्राकृतिक चिकित्सा लेने हमारे पास आते है तो एनिमा का विकल्प ढूढ़ते है | जब चिकित्सक द्वारा अधूरे इलाज के लिए मना कर दिया जाता है तो कुछ रोगी चिकित्सा लेने से पीछे हट जाते है | जो चिकित्सक के लिए उतना ही ठीक है जितना की रोगी व्यक्ति के लिए गलत | रोगी को उचित चिकित्सा नही मिलने पर चिकित्सक को अपयश का भागी होना पड़ता है |

किसी प्रशिक्षित आयुर्वेदाचार्य/प्राकृतिक चिकित्सक की देखरेख में चिकित्सा लेनी चाहिए

  • सर्वप्रथम एनिमा द्वारा पेट की सफाई करनी चाहिए |
  • पेट की मिट्टी पट्टी व अंग विशेष पर गर्म मिट्टी पट्टी लगाये |
  • अभ्यंग के द्वारा लचीलापन आने से अत्यंत लाभ मिलता है |
  • बस्ति चिकित्सा जैसे अनुवासन निरुह कटिबस्ती जानुबस्ती ग्रीवाबस्ती आदि से आशातीत लाभ होता है|
  • सहन्जन की छाल व सैन्धव लवण का काढ़ा बना के लेने से शीघ्र लाभ की आशा की जा शक्ति है |
  • प्रात:  भ्रमण के समय शहंजन के पत्तो का सेवन काफी लाभकारी सिद्ध होता है |
  •  योगासन  प्राणायाम व मुद्राओ का नियमित अभ्यास बहुत ही कारगर सिद्ध हुआ है  |
  • मर्म चिकित्सा के द्वारा भी शीघ्र आशातीत लाभ प्राप्त होता है|
  • एरंड तेल में भुनी हुई हरड को सोते समय लेने से शोच खुल के आता है, जिससे कमर पर होने वाले हिस्से की जकडन में काफी आराम मिलता है  |

 हमारे द्वारा की जाने वाली बोन-सेटिंग के द्वारा चमत्कारिक परिणाम, देखने को मिलते है | परिणाम देखने के लिए यहा क्लिक करे |

स्लिप-डिस्क में किये जाने वाले योग

  • अर्द्धमतेंद्रासन
  • अर्द्धउस्ट्रासन
  • भुजंगासन
  • शलभासन
  • धनुरासन
  • सेतुबंधासन
  • मर्कटासन
  • कोणासन
  • ताड़ासन
  • अर्धचक्रासन
  • सुप्तवज्रासन
  • गोमुखासन
  • तोलांगुलासन
  • गरुडासन
  • कटी-चक्रासन
  • पवनमुक्तासन
  • नाड़ीशोधन
  • कपालभांति
  • वायुमुद्रा आदि |
  •  

यह आलेख केवल सामान्य जानकारी के लिए उपलब्ध करवाया गया है इसमे बताये सभी चिकित्सा पद्धतिया हमारे द्वारा अभिभूत है |  फिर भी  स्वम् उपयोग से बचे व चिकित्सक के परामर्श के उपरांत ही उपयोग में ले |

आपको हमारा लेख पसंद आये तो कृपया अपने सोशल नेटवर्क के माध्यम से अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले |

धन्यवाद !

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

Written by

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

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