जाने PCOD/PCOS क्या है ? कारण,लक्षण,चिकित्सा व सावधानियां
PolycysticOvarian Disorder (PCOD), या Polycystic Ovarian syndrom वर्तमान समय में महिलाओकी बड़ी ही गंभीर समस्या है | जिन महिलाओ में पुरुष हार्मोन एण्ड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है उनके अंडाशय में छोटी छोटी सिस्ट्स गांठे बनने लग जाती है | सिस्ट्स के कारण ओवरी का आकर बड़ा हो जाता है | महिलाओ में PCOD का सबसे बड़ा कारण वर्तमान समय की तनाव भरी दिनचर्या (LIFESTYLE) है | लगातार बने रहने वाले तनाव के परिणामस्वरूप ही महिलाओ में हार्मोनस का संतुलन बिगड़ जाता है और यह बिगड़ा हुआ हार्मोनल असुन्तुलन के कारण ही महिलाओ में पुरुष हार्मोन ANDROGEN का निर्माण अधिक होना प्रारंभ हो जाता है | साथ ही साथ मोटापा या थाइरोइड जैसी बीमारियो का सामना करना पड़ सकता है | हाल ही में भारत भर में MERTOPOLIS HEALTH CARE लिमिटेड द्वारा किये गये एक सर्वे के मुताबित लगभग 27000 महिलाओ पर 18 महीने तक किये गये सर्वे के मुताबित लगभग 4800 महिलाओ ने हार्मोनल रिस्क की समस्या को झेला है जो की हमारे लिए चिंता का विषय है |
वर्तमान समय में महिलाओ की एक गंभीर समस्या के रूप में मासिकधर्म की अनियमितता उभर कर सामने आ रही है |
यदि देखा जाये तो रजो:दर्शन के प्रारम्भ से लेकर रजो:निवृति तक किसी न किसी उम्र की लगभग सभी महिलाओ में यह समस्या आम हो गई है | जिसका सबसे बड़ा कारण पाश्चात देशो की देखा देखि है | यह मुख्यतः बिगड़ी हुई दिनचर्या से बढ़ रहे तनाव का ही एक दुष्परिणाम कहा जा सकता है | तनाव के रहते हुए
हरमहीने 28 वै दिन 13-50 वर्ष तक मासिकधर्म धर्म की प्रवृति होती है |मासिकधर्म के दौरान दूषित रक्त योनी मार्गद्वारा बहार निकलता है | जो 3-5 दिन तक बहता रहता है |और फिर स्वत:ही बंद हो जाताहै | नियमित रूप से मासिक धर्म के आते रहने से स्त्री की आरोग्यता की पहचान होती है | यदि गर्भ के ठहरे बिना ही मासिक धर्म अपनीं नियत तिथि के उपर जाता है तो उस स्त्री की पहचान प्रदर रोग में की जाती है |जिस स्त्री को नियत समय पर रजोधर्म होता है वह उसकी स्वस्थता की निसानी है |
वर्तमान समय में जंक फ़ूड फ़ास्ट फ़ूड (पिज़्ज़ा बर्गरआदि )व घर से बहार खाना खाने का प्रचलन युवा महिलाओ में एक आम बात सी हो गई है जोइस समस्या का सबसे बड़ा कारण भी है |
PCOD के लक्षण :-
- पति-पत्नी की प्लानिंग के बाद भी गर्भ का नही ठहरना |
- मासिकधर्म की अनियमितता , मासिकधर्म का कभी जल्दी होना तो कभी देरी से आना |
- मासिकधर्म के दौरान जननांगो के अलावा शरीर के सभी हिस्सों में दर्द का लगातार बना रहना |
- क्रोध या गुस्से का बार बार आना ,छोटी-छोटी बातो पर भावुक हो जाना आदि की वजह से चिडचिडापन बना रहता है |
- अचानक वजन का बढ़ जाना |
- महिलाओ के अनचाहे जगहों पर रोमकूपो का दिखाई देना जैसे पेट,छाती,चहरे,पीठ ,पेरो की अंगुलियों पर बालो का उग जाना आदि|
- चहरे पर दाग-धब्बो का अचानक से बढ़ जाना व शरीर के सभी हिस्सों पर दाग-धब्बो का दिखाई देना |
- पती के साथ सम्बन्ध बनाने की इच्छा में धीरे धीरे कमी का होना |
- सम्भोग के समय तेज दर्द का होना |
- हल्के पेट दर्द का आभास होते रहना |
- शिर के बालो का अचानक से बहुत ज्यादा झड़ना |
- त्वचा व बालो का तैलीय होना आदि |
PCOD में किये जाने वाले टेस्ट/परीक्षण
Ultra sound scan of pelvic
Serum –LH
SERUM-FSH
LH-FSH RATIO
DHEA-S Level etc.
उपचार
PCOD/PCOS में आहार चिकित्सा :-
आहार का मनुष्य के जीवन अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है | मानव को होने वाली सभी बीमारियों का कारण उसके द्वारा लिए गये आहार पर ही निर्भर करता है | वर्तमान समय में हर एक भारतीय का आहार विहार का असंतुलन ही रोगोत्पत्ति का सबसे बड़ा कारण है | हमारे द्वारा जो आहार वर्तमान समय में लिया जा रहा है वह पूर्ण रूपेण हमारे भारतीय चिकित्सा ग्रंथो की अवहेलना करता है | जो हमारी सबसे बड़ी भूल है |
PCOD/PCOS जैसी घातक बीमारी में आहार का संतुलन बहुत ही ज़रूरी है | क्योकि आहार ही आपके मानसिक तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा |
pcodसे परेशान महिला को चाहिए की वह अपने आहार पर पूर्ण ध्यान दे एवं अपने आहार मेंअधिक से अधिक अपक्वाहर को सम्मिलित करे |कच्चे फल व सब्जियों का सेवन रोगमुक्ति में अहम भूमिका निभाता है | फास्टफूड आदि को बिलकुल बंद कर देना चाहिए | फास्टफूड से हमारे पाचन तंत्र पर दुष्प्रभाव पड़ता है जो कि इस समस्या का बड़ा कारण भी है |
योगिक उपचार :-
pcod में किये जाने वाले महत्वपूर्ण योग
योगाभ्यास प्रारंभ करने से पूर्व किसी अच्छे प्राकृतिक चिकित्सक या योग प्रशिक्षक से परामर्श या प्र्शिक्षण लेने के बाद ही करे |क्योंकि हर व्यक्ति के दोष व धातुओ की प्रबलता के आधार पर योगासन व प्राणायाम व षट्कर्म आदि का चयन करेगा उसके पश्चात आपको आशातीत लाभ मिलेगा |
- सूर्यनमस्कार
- गर्भासन
- शशांकासन
- मार्जरी आसन
- भुजंगासन
- शलभासन
- सेतुबन्धासन
- सुप्तवज्रासन
- सु्प्तबद्ध कोणासन
- तितली आसन
- विस्तृतकोणासन
- मंडुकासन
- कुक्कुटासन
- अश्वसंचलासन
- अर्ध हलासन
- हलासन
- सर्वांगासन
- कटिचक्रासन
- त्रिकोणासन
- सुप्त वज्रासन
- कपालभाती
- अनुलोम विलोम
- भ्रामरी
- भस्त्रिका प्राणायाम
- खेचरी
- अश्विन मुद्रा
- अग्निसार क्रिया
- शंखप्रक्षालन
आयुर्वेद उपचार :
कांचनारगुग्गुल,वृधिवादिका वटी, शिलासिंदूर, ताम्र भस्म,गिलोय सत्व,प्रवाल पिष्टी ,गंडमालाखंडनरस, प्रताप लंकेश्वर रस , गर्भपाल रस,पत्रांगासव ,कुमार्यासव,अशोकारिस्ट,दशमुलारिस्ट ,सारस्वतारिस्ट , लोध्रासव, सतावरी गुल्म , सतावरी घृत , मेध्य रसायन ,ब्रह्मरसायन ,लोध्र चूर्ण ,मंजिष्टादी चूर्ण ,चोबचिनी चूर्ण,पुष्यानुग चूर्ण आदि आयुर्वेदिक दवाईयों का चिकित्सक के परामर्श के उपरांत, उपयोग रोग मुक्ति में अत्यंत उपयोगी साबित होता है |( पंचकर्म के विरेचन कर्म के उपयोग से इस समस्या से शीघ्र लाभ मिलता है )|
क्या सावधानिया बरती जानी चाहिए ?
pcod/pcos जैसी भयानक बीमारियों से बचे रहने के लिए आपको अपने आहार-विहार का विशेष रूप से ध्यान रखना होगा |
आपको नियमित जांचे करवाते रहना अत्यंत आवश्यक है |
जिससे आपको आपके शारीरिक स्वास्थ्य का पता चलता रहेगा की आपके शरीर में क्या हार्मोनल परिवर्तन हो रहे है | जिससे आप इस समस्या के शुरुआती लक्षणों के आधार पर ही अपने चिकित्सक से परामर्श करके उसका समाधान कर सकते हो |
जैसे अचानक से वजन का घटना,पेट में हल्का दर्द बने रहना , या स्वभाव में परिवर्तन आना |
धन्यवाद,यदि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आयी हो तो कृपया अपने दोस्तों के साथ भी अवश्य साझा/शेयर करे |
धन्यवाद