सोम रोग – कई बार स्त्रियों की योनि से बिना प्रसव के ही लगातार निर्मल, शीतल, गंध रहित साफ और सफेद पानी बहुत ज्यादा मात्रा में निकलता रहता है और जब स्त्री इसे रोकने की कोशिश करती है तब वह नहीं रुकता है। यह सफेद पानी लगातार लंबे समय तक निकलता रहता है तो इसे आयुर्वेद में सोम रोग कहा जाता है। आधुनिक भाषा में इसे सफेद पानी के नाम से जाना जाता है।
सोम रोग होने पर स्त्री एकदम कमजोर हो जाती है। वह हर समय बेचैन रहती है, मुंह और तालू सूखने लगते हैं, पूरा दिन आलस रहता है तथा इसके साथ-साथ प्रतिदिन शरीर टूटता रहता है। इस प्रकार स्त्री का संपूर्ण बल नष्ट हो जाता है और वह दिखने में भी एकदम कमजोर हो जाती है।
आयुर्वेद में सोम रोग होने के अनेक कारण बताया गए है तथा इसके साथ ही इसके लक्षण भी बताए गए हैं तो चलिए जानते हैं सोम रोग होने के कारणों के बारे में विस्तार पूर्वक –
आयुर्वेद के अनुसार सोम रोग होने के कारण
आयुर्वेद के अनुसार सोम रोग होने की अनेक कारण है जो इस प्रकार है-
- अत्यधिक सहवास करने के कारण
- गर्भपात होने के कारण
- अजीर्ण होने के कारण
- दिन में अधिक सोने के कारण
- समय पर भोजन न करने के कारण या अधिक समय तक भूखा रहने के कारण
- अधिक राह चलने के कारण
- ज्यादा चिंता करने के कारण
- बहुत अधिक बोझ उठाने के कारण
- हाथी या घोड़े की अधिक सवारी के कारण
- अपनी उम्र से अधिक या दोगुनी उम्र के व्यक्ति के साथ सहवास करने के कारण
- योनि की सही रूप से सफाई न करने के कारण
- आवश्यकता से अधिक भोजन करना भी सोम रोग का प्रमुख कारण है।
अधिक मैथुन करने और बहुत मेहनत करने से शरीर के रस, रक्त जैसे पतले पदार्थ और पानी अपने स्थान को छोड़कर मूत्र की थैली में आकर जमा हो जाते हैं और वहां से धीरे-धीरे पेशाब की राह से हर समय या अनियमित समय पर बाहर निकालते रहते हैं। जिससे सोम रोग हो जाता है। यदि सोम रोग की समय पर चिकित्सा न की जाए तो यह बहुत ही भयानक रूप ले लेता है।
सोम रोग के लक्षण
सोम रोग होने पर स्त्री को अनेक ऐसे लक्षण होते हैं जो नजर आते हैं या उसमें देखे जा सकते हैं जैसे-
- सोम रोग होने पर हर समय योनि मार्ग से चिपचिपा पतला पानी बाहर निकलता रहता है।
- स्त्री एकदम कमजोर होती रहती है अर्थात वह शारीरिक रूप से एकदम कमजोर हो जाती है।
- स्त्री को हर समय बेचैनी रहती है उसका किसी भी कार्य में मन नहीं लगता।
- जँभाई आती रहती है और हर समय आलस बना रहता है।
- दिन प्रतिदिन स्त्री कमजोर और चिड़चिड़ी हो जाती है।
- मुंह और तालू सूखने लगते हैं।
- खाने- पीने की इच्छा नहीं रहती है।
- बार-बार पेशाब की इच्छा होती है और कई बार स्त्री यदि पेशाब को रोकने की कोशिश करती है तो भी पेशाब रुकता नहीं है।
- खाया पिया हुआ स्त्री के शरीर पर नहीं लगता है और वह शारीरिक तथा मानसिक दोनों रूप से कमजोर हो जाती है।
- योनि मार्ग में हर समय खुजली की समस्या रहती है।
आदि अनेक लक्षण है जो सोम रोग होने पर नजर आते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार सोम रोग की चिकित्सा
आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी और आधुनिकता के कारण कोई भी स्त्री ऐसी नहीं होगी जिसे सोम रोग नहीं हुआ होगा। किसी न किसी समय तो उसे अवश्य ही सोम रोग का सामना करना पड़ा होगा। आज हम आपको आयुर्वेद के अनुसार सोम रोग का इलाज या चिकित्सा के बारे में बताएंगे की किस प्रकार आप आयुर्वेद के अनुसार सोम रोग की चिकित्सा कर सकते हैं। क्योंकि आयुर्वेद में अनेक ऐसी जड़ी-बूटियां है जो सोम रोग को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखती है। तो चलिए जानते हैं इन जड़ी बूटियां के बारे में और इनसे किस प्रकार चिकित्सा की जाए इस बारे में –
- मुलेठी, आंवला, शहद और दूध इन सबको मिलाकर सेवन करने से सोम रोग नष्ट हो जाता है।
- केले की पकी फली, विदारीकंद और शतावरी इन सबको एकत्रित करके मिला ले तथा दूध के साथ सुबह के समय लगातार पीने से सोम रोग नष्ट हो जाता है।
- नागकेसर को माठे में पीसकर, 3 दिन तक पीने से और माठे के साथ भात खाने से सोम रोग जड़ से खत्म हो जाता है।
- आंवलों के बीजों को जल में पीसकर, फिर उसमें शहद और चीनी मिलाकर पीने से तीन दिन में ही सोम रोग खत्म हो जाता है।
- शतावरी का चूर्ण सुबह – शाम एक-एक चम्मच लेकर ऊपर से दूध पीने से सोम रोग नष्ट हो जाता है।
- यदि सोम रोग में पीड़ा भी हो और पेशाब के साथ सोम धातु बराबर निकलती हो तो ताजा शराब में इलायची और तेज पत्ते का चूर्ण मिलाकर पीना चाहिए। इससे लाभ होता है।
- उड़द का आटा, मुलेठी, विदारीकंद, शहद और मिश्री इन सबको मिलाकर रख लें तथा सुबह-सुबह एक-एक चम्मच सेवन करें तथा ऊपर से गाय का दूध पी ले। ऐसा करने से कुछ ही समय में सोम रोग नष्ट हो जाएगा।
- केले की पक्की हुई फली अर्थात पका हुआ केला, आंवले का रस, शहद और मिश्री इन सबको मिलाकर खाने से सोम रोग और मूत्र अतिसार दोनों ही नष्ट हो जाते हैं।
- भिंडी की जड़, सूखा पिंडारू,सूखे आंवले, विदारीकंद यह सब 4-4 तोला,उङद का चूर्ण 2तोला और मुलेठी 2 तोला लाकर अच्छी तरह से कूटकर, पीसकर और छान कर रख ले। प्रतिदिन सुबह – शाम इस चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में लेकर, ऊपर से गाय का दूध मिश्री मिला हुआ लेने से सोम रोग अवश्य ही नष्ट हो जाएगा।
सारांश (Conclusion)
इस पोस्ट का सारांश यह है कि सोमरोग महिलाओं में होने वाला एक रोग है । जिसमे महिलाओं की योनी मार्ग से चिपचिपा पदार्थ निकलता रहता है । साथ ही महिलाओं के शरीर में शारीरिक कमजोरी हो जाती है, वजन घटता है एवं शरिर दुबला पतला रहता है । स्वाभाव भी इस रोग में महिला का चिडचिडा हो जाता है । इसे हमारे द्वारा बताये गए नुस्खों को अपनाकर आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है ।