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कपालभाती

हठयोग प्रदीपिका के अनुसार कपालभाती को षट्कर्म की छ:क्रियाओ में सम्मिलित किया गया है,जिनके माध्यम से शरीर के अंदर जमा विजातीय द्रव्यों को बहार निकाला जाता है |कपालभाती के सम्बन्ध में अनेको लोग प्रचार करते है की कपालभाती  प्राणायाम है | जबकि सच तो यह है कि कपालभाती  शरीर  शोधन(शुद्धि) की षट्कर्म की एक महत्वपूर्ण क्रिया है |

कपालभाती का शाब्दिक अर्थ कपाल हमारे शिर के उपरी हिस्से को कपाल कहा जाता है तथा भाती का अर्थ ज्योति से लिया गया है |

नारी.पंजाब

कपालभाती को स्वस्थ्य रहने की सबसे सर्वोत्तम प्रक्रिया मानी गई है | यह अमृत की भांति सभी प्रकार के रोगों में लाभदायक सिद्ध होती है | कपालभाती को योग  की अमृता कहना कोई अतिश्योक्ति नही होगी क्योकि जिस प्रकार आयुर्वेद में गिलोय को अमृता के नाम से जाना जाता है, क्योकि गिलोय सभी रोगों में लाभकारी है वैसे ही कपालभाती भी सभी रोगों में लाभकारी होने से  योग की अमृता ही है |

कपालभाती करने का सही तरीका

पद्मासन,वज्रासनया सुखासन में बैठकर लम्बा गहरा श्वास ले और छोड़े | धीरे धीरे श्वास छोड़ने की क्रिया को तेज करते जाये साथ ही सबसे महत्वपूर्ण ध्यान रखने योग्य बात यह है  की श्वास लेते समय पेट बहार व श्वास छोड़ते समय पेट अंदर | पूरक की अपेक्षा रेचक में एक तिहाई समय ही ले श्वास को इतना तेज या जल्दी जल्दी छोड़ा जाये की इनकी संख्या बढ़ते बढ़ते 1 मिनट में 120 तक हो जाये | श्वास लेते व छोड़ते समय केवल पेट की मांसपेशियों में ही  हरकत होनी चाहिए
| बाकि छाती व कंधो पर किसी भी प्रकार की हरकत को नियंत्रित करके रखना है | बीच-बीच में लम्बे सांसो का अभ्यास करते रहे | समय को धीरे धीरे बढ़ाते जाये |

कपालभाती  के लाभ / फायदे

  • कपालभाती के अभ्यास से कपालस्थ नासाछिद्रों श्वसन संस्थान के अन्य सभी भागो की अच्छे से सफाई हो जाती है |
  • शरीर में प्राणवायु की अधिक प्राप्तिसे विजातीय द्रव्यों से मुक्ति मिल जाती है |
  • कपालभाती के नियमित अभ्यास से पेट कीपेशियों तथा सम्बंधित अंगो की अच्छे से मालिश हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप पेट सम्बंधित अनेको रोग, मधुमेह , PCOD जैसी भयंकर बीमारियों से मुक्ति संभव है | साथ ही पाचनतंत्र ठीक होने से कब्ज,एसिडिटी जैसी समस्याओ से निजात मिल जाती है |
  • इसके नियमित अभ्यास से श्वास नली तथा मस्तिष्क की अच्छे से सफाई हो जाती है जिससे श्वास सम्बन्धी रोग , खांसी ,नेत्र रोग आदि में चमत्कारिक परिणाम मिलते है |
  • इसके अभ्यास में अधिक शक्ति लगाने के कारण सम्पूर्ण शरीर में पसीना आने से रोमछिद्र खुलने से विजातीय पदार्थ त्वचा के माध्यम से बहार निकल जाते है | परिणामस्वरूप चर्म रोगों में भी लाभ होता है |
  • इसके नियमित अभ्यास से केलोरी बर्न होने से  वजन कम करने में सहायता मिलती है |
  • कपालभाती के नियमित अभ्यास से शरीर में रक्त का संचार ठीक प्रकार से होता है जिससे चेहरा कान्तिमान हो जाता है |

कपालभाती में ध्यान रखने योग्य बाते  

उच्च-रक्तचाप, मिर्गी के दौरे , स्पाइन सम्बन्धी समस्या , हर्निया,किसी भी प्रकार की सर्जरी के बाद , आदि रोगियों को प्राकृतिक चिकित्सक या योग प्रशिक्षक की सलाह से उसकी देखरख में कपालभाती का अभ्यास करना चाहिए | किसी भी प्रकार की  सर्जरी के तीन महीने तक कपालभाती का अभ्यास निषेध है |

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धन्यवाद !

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

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Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

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