चन्द्रामृत लौह: चन्द्रामृत लौह आयुर्वेद की एक क्लासिकल मेडिसन है । जो खांसी, अस्थमा, बुखार, जलन, दर्द तथा पुराने बुखार को दूर करने के लिए उपयोग में ली जाती है। चन्द्रामृत लौह का लगातार कुछ समय तक उपयोग करने से लंबे समय तक रहने वाले बुखार को खत्म किया जा सकता है तथा इसके साथ ही बुखार के कारण शरीर में होने वाले रक्त की कमी को दूर किया जा सकता है। कई बार लंबे समय तक बुखार रहने के कारण रोगी की भोजन के प्रति इच्छा खत्म हो जाती है ऐसी स्थिति में यदि चन्द्रामृत लौह का लगातार कुछ समय तक सेवन करवाया जाए तो बुखार का नाश होने के साथ-साथ व्यक्ति की जठराग्नि फिर से जागृत हो जाती है, जिससे उसे भूख लगना शुरू हो जाती है।
तो चलिए जानते हैं बुखार को दूर करने के साथ-साथ तथा जठराग्नि को प्रज्वलित करने के साथ-साथ चन्द्रामृत लौह का उपयोग और किन- किन रोगों में किया जाता है तथा यह किस प्रकार बनाया जाता है यह जानने के लिए आप इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़ें।
चन्द्रामृत लौह के घटक द्रव्य | Ingredients of Chandramrita Lauh
चन्द्रामृत लौह को बनाने के लिए कुछ औषधीय को काम में लिया जाता है। यह औषधियां तथा इनकी मात्रा निम्न प्रकार है-
- सौंठ – 5 ग्राम
- पीपल – 5 ग्राम
- काली मिर्च – 5 ग्राम
- हरड़ – 5 ग्राम
- बहेड़ा – 5 ग्राम
- आंवला – 5 ग्राम
- धनिया – 5 ग्राम
- जीरा – 5 ग्राम
- सेंधा नमक – 5gm
- लौह भस्म- 45 ग्राम
चन्द्रामृत लौह की निर्माण विधि | How to Make Chandramrita Lauh
इसे बनाने की कम्पलीट प्रोसेस हम यहाँ निचे दे रहें है । इस विधि को देख कर आप इसकी निर्माण विधि को समझ सकते हैं । इसे बहुत सी आयुर्वेदिक कंपनियां बना रहीं है ।
- चन्द्रामृत लौह बनाने के लिए सबसे पहले बताई गई औषधियों को एकत्रित कर लें।
- इन औषधीय को बताई गई मात्रा के अनुसार काम में।
- अब बताई गई मात्रा के अनुसार सौंठ, पीपल, काली मिर्च, हरड़, बहेड़ा, आंवला, धनिया, जीरा और सेंधा नमक आदि सभी औषधीय को लेकर अच्छी तरह से खरल में कूट लें।
- खरल में कूटकर इन औषधीय का महीन चूर्ण बना लें ।
- अब इस चूर्ण को कपड़ छान करके रख ले।
- अब 45 ग्राम लौह भस्म को लेकर खरल में कपड़ छान किए हुए चूर्ण के साथ मिला लें।
- अब इसकी 250-250mg की गोलियां बनाकर तैयार कर लें ।
- इन गोलियों को छाया में सुखाकर इकट्ठा कर ले।
- इस प्रकार हमारा चन्द्रामृत लौह बनकर तैयार हो जाता है।
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चन्द्रामृत लौह के गुण व उपयोग | Benefits of Chandramrita Lauh
चन्द्रामृत लौह का प्रयोग विशेष कर खांसी और बुखार में किया जाता है। इसके अतिरिक्त चन्द्रामृत लौह के कुछ अन्य गुण व उपयोग इस प्रकार हैं | इन्हें आप चन्द्रामृत लौह के फायदे भी कह सकते हैं ।
- चन्द्रामृत लौह के सेवन से सभी प्रकार की खांसी और अस्थमा के रोगों में फायदा मिलता है।
- चन्द्रामृत लौह का कुछ समय तक लगातार सेवन करने से लंबे समय तक रहने वाले बुखार को दूर किया जा सकता है तथा बुखार के कारण आई कमजोरी को भी दूर करने में उपयोगी है।
- इसके सेवन से सब प्रकार की खांसी, श्वास रोग, बुखार, जलन, दर्द और पुराने बुखार का नाश होता है।
- चन्द्रामृत लौह के सेवन से भोजन के प्रति अरुचि को भी दूर किया जाता है।
- चन्द्रामृत लौह का लगातार कुछ समय तक उपयोग करने से जठराग्नि तेज होती है, जिससे व्यक्ति को या रोगी को भूख खुलकर लगती है।
- चन्द्रामृत लौह के अंदर लौह भस्म का उपयोग होने के कारण यह शरीर में आई रक्त की कमी को दूर करके रक्त को बढ़ाता है तथा बल- वर्ण की वृद्धि करता है।
- टीबी जैसे रोग में जब खांसी का वेग तेज हो तथा साथ ही में श्वास रोग भी उत्पन्न हो तब चन्द्रामृत लौह का सेवन सितोपलादि चूर्ण के साथ मिलाकर शहद में चटाने पर अचूक लाभ देखने को मिलता है। बहुत से आयुर्वेदिक डॉक्टर इसे टीबी के रोग में प्रयोग करवाते हैं ।
- कई बार बुखार लंबे समय तक रहता है तथा उसके कारण शरीर में कमजोरी आ जाती है। ऐसी स्थिति में यदि चन्द्रामृत लौह का सेवन लगातार कुछ समय तक करवाया जाए तो पुराने से पुराने बुखार का भी नाश हो जाता है तथा शरीर में आई कमजोरी को दूर करने में चन्द्रामृत लौह विशेष लाभ देता है।
- चन्द्रामृत लौह टीबी जैसे रोग को दूर करने में भी अत्यंत सहायक है।
चन्द्रामृत लौह की सेवन विधि व मात्रा | Dosage
- सुबह – शाम एक-एक गोली शहद के साथ सेवन करें।
- सुबह – शाम खाना खाने के बाद एक-एक गोली कुल्थी क्वाथ के साथ भी सेवन कर सकते हैं।
- यदि खांसी बहुत तेज है तो सुबह – शाम चन्द्रामृत लौह की एक- एक गोली नीलकमल के रस के साथ सेवन करने से जल्द ही लाभ देखने को मिलता है।
- चन्द्रामृत लौह का सेवन आप चिकित्सक के परामर्श के अनुसार भी कर सकते हैं।
सामान्य सवाल एवं जवाब (FAQs)
1. चन्द्रामृत लौह क्या है और इसका उपयोग किस तरह से होता है?
- चन्द्रामृत लौह आयुर्वेद की एक क्लासिकल मेडिसिन है जो खांसी, अस्थमा, बुखार, जलन, दर्द, और पुराने बुखार को दूर करने के लिए उपयोग में आती है। इसका लगातार सेवन करने से लंबे समय तक रहने वाले बुखार को खत्म किया जा सकता है।
2. चन्द्रामृत लौह का निर्माण कैसे होता है और इसके घटक द्रव्य क्या होते हैं?
- चन्द्रामृत लौह के निर्माण में सौंठ, पीपल, काली मिर्च, हरड़, बहेड़ा, आंवला, धनिया, जीरा, सेंधा नमक, और लौह भस्म शामिल होते हैं। ये घटक द्रव्य एकत्रित करके चूर्ण बनाए जाते हैं, जिन्हें गोलियों में प्रेस करके तैयार किया जाता है।
3. चन्द्रामृत लौह के कौन-कौन से रोगों में उपयोगी होता है?
- चन्द्रामृत लौह खांसी, अस्थमा, बुखार, जलन, दर्द, पुराने बुखार, खांसी, श्वास रोग, तथा रक्त की कमी जैसे रोगों में उपयोगी होता है।
4. चन्द्रामृत लौह के सेवन से क्या फायदे होते हैं?
- चन्द्रामृत लौह के सेवन से खांसी, अस्थमा, बुखार, जलन, दर्द, पुराने बुखार का नाश होता है। यह व्यक्ति की जठराग्नि को तेज कर भूख खोलता है, अरुचि को दूर करता है, और रक्त की कमी को दूर करता है।
5. चन्द्रामृत लौह का सेवन कैसे करना चाहिए?
- चन्द्रामृत लौह की सुबह-शाम एक-एक गोली शहद के साथ सेवन करना अच्छा होता है। खाना खाने के बाद भी इसकी एक-एक गोली कुल्थी क्वाथ के साथ सेवन किया जा सकता है। चिकित्सक की सलाह के अनुसार भी इसका सेवन कर सकते हैं।
कृपया ध्यान दें कि चिकित्सा सलाह के बिना किसी भी आयुर्वेदिक दवा का सेवन नहीं करना चाहिए।