चाय एक मीठा जहर
चाय में लगभग 6% तक कैफीन पाया जाता है | चाय वर्तमान समय में सभी घरो की आवश्यक व पहली पसंद बनी हुई है जो की स्वास्थ्य की दृष्टि से उतनी ही हानिकारक भी है वर्तमान समय में यदि घर या ऑफिस में आये हुए मेहमान को चाय नही पिलाई जाये तो अपना अपमान होना समझते है |हमारा देश पाश्च्यात संस्कृति के दिखावे में अपने स्वास्थ्य का कबाड़ा करने में लगे हुए है क्योंकि चाय में पाए जाने वाला कैफीन हमारी जाठराग्नि को मन्द कर देता है जो की हमारे शरीर शरीर में उपस्थित दोष धातुओ में विषमता उत्पन्न कर अनेको रोगों को उत्पन्न कर देता है | अग्निया हमारे द्वारा लिए गये आहार को पचाने (जलाने) का कार्य भलीभांति करती है किन्तु जब अग्निया और कैफीन मिलते है तो ये हमारे शरीर को जलाने का काम करते है चाय के अधिक उपयोग से हमारी आंतो में निर्बलता आ जाती है जिससे हमारी पाचन प्रणाली बिगड़ जाती है जिससे ना तो खाने के सभी पोष्टिक तत्व ही हमे मिल पाते है और ना ही मल का सही से निष्कासन हो पाता है |
और यदि मल का निष्कासन ठीक प्रकार से नही होता है तो यही से दोषों (वात,पित्त ,कफ ) में असुन्तुलन पैदा हो जाता है जो अनेको बीमारियों का कारण बनता है आयुर्वेद शास्त्रों में CONSTIPATION कब्ज को ही सभी रोगों की उत्पत्ति का प्रमुख कारण माना गया है वर्तमान समय में ऑफिस या कही पर भी दो लोग यदि एक साथ बैठते है तो वो जहर रूपी चाय/काफी तो अवश्य ही लेंगे बहुत से लोग दिन भर ऑफिस में या घर में चाय पीते रहते है उनको अक्सर पेट में अल्सर की समस्या होनाआम बात हो जाती है |
चाय के दुष्प्रभाव
- चाय के अधिक सेवन से सबसे पहले हमारे पाचन संस्थान पर प्रभाव पड़ता जिसमे अजीर्ण अपच ,एसिडिटी ,पेट में अल्सर जैसी भयंकर बीमारियाँ हो जाती है |
- कैफीन के सेवन से constipation होने से मोटापा,उच्च-रक्तचाप,मधुमेह,अनिंद्रा आदि भयंकर रोगों की सम्भावना कई गुना तक बढ़ जाती है |
- कैफीन के सेवन से उत्तेजना बढ़ जाती है जिसका सीधा असर हमारे ह्रदय पर पड़ता है हृदयगति तेज हो जाती है जिससे हृदय रोग होने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है |
- चाय के सेवन से रक्त में अनेको विजातीय द्रव्य सम्मिलित हो जाते है जिससे कील मुहांसे व चर्म रोगों की सम्भावना बढ़ जाती है |
- कैफीन के सेवन से हमारे तंत्रिका तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव से मानसिक तनाव सहन करने की क्षमता घट जाती है जिससे याददास्त कमजोर हो जाती है |
- कैफीन के सेवन से मानसिक अस्वस्थ्यता के कारण महिलाओ में प्रदर रोग , रसोली जैसी भयंकर समस्याए हो जाती है |
- ठंडी हुई चाय को पुन:गर्म करके पीने से उसमे पित्त और अधिक बढ़ जाता है जिसके सेवन से पेट में जलन की समस्या अधिक हो जाती है |
- चाय के सेवन से शुक्राणुओ की कमी हो जाती है एवं शीघ्रपतन जैसी दुःख दायी मानसिक समस्या हो जाती है |
- चाय का अधिक सेवन यूरिक एसिड को बढ़ा देता है जिससे बार बार मूत्र आने की समस्या हो जाती है यह कारण भी सेक्स समस्याओ की उत्पत्ति में बड़ा कारण है |
- चाय के सेवन से मस्सा,पाइल्स ,फिस्टुला,फिशर आदि रोगों की उत्पत्ति हो जाती है |
क्या है स्वास्थ्यवर्द्धक चाय के विकल्प :
- चोकर,लोंग,कालीमिर्च,इलायची,सोंठ,तुलसी आदि को पानी में उबाल करे सेवन करे यह कब्ज को खत्म करने वाली हितकर पेय है |
- इलायची,लोंग,कालीमिर्च,मुलेठी,तेजपत्र,दालचीनी,गुलाबपत्र, तुलसीपत्र|
धन्यवाद ||
1 Comment
LarryKar
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