नष्टपुष्पान्तक रस: ऐसी लड़कियां या बालिकाएं जो यौवन अवस्था में प्रवेश कर चुकी है परंतु अभी तक मासिक धर्म की शुरुआत नहीं हुई है, उन लड़कियों के लिए आयुर्वेद की मेडिसिन नष्टपुष्पान्तक रस किसी वरदान से कम नहीं है। नष्टपुष्पान्तक रस आयुर्वेद की एक क्लासिकल मेडिसिन है। जो ऊष्ण वीर्य होने के कारण महिलाओं में रजोदर्शन का कार्य करती है। ऐसी महिलाएं जिनमें खून की कमी होने की वजह से रजोदर्शन नहीं हो रहा है अर्थात मासिक धर्म या पीरियड समय पर नहीं आ रहे हैं वह महिलाएं नष्टपुष्पान्तक रस का लगातार कुछ समय तक उपयोग करके अपने पीरियड्स को समय पर और सही मात्रा में ला सकती है।
यदि आप भी नष्टपुष्पान्तक रस के बारे में जानना चाहते हैं तथा इसके घटक द्रव्य और निर्माण विधि क्या है यह जानने के लिए आप इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़े।
नष्टपुष्पान्तक रस के घटक द्रव्य / Nashtpushpantak Ras in Hindi
नष्टपुष्पान्तक रस को बनाने के लिए कुछ विशेष तथा उष्ण वीर्य वाली औषधीय को उपयोग में लिया जाता है, जो इस प्रकार है-
- शुद्ध पारद – 4 तोला
- शुद्ध गंधक – 4 तोला
- लौह भस्म- 4 तोला
- बंग भस्म – 4 तोला
- सुहागे की खील – 4 तोला
- चांदी भस्म – 4 तोला
- अभ्रक भस्म – 4 तोला
- ताम्र भस्म – 4 तोला
- सेंधा नमक – 3 माशा
- मुलेठी -3 माशा
- दन्तीमूल – 3 माशा
- वंशलोचन – 3 माशा
- रास्ना – 3 माशा
- गोखरु – 3 माशा
- तुलसी का रस
- जयंती
- गिलोय
- त्रिफला
- दन्तीमूल
- हरसिंगार
- छोटी कटेली
- बड़ी कटेली
- मकोय
- देवदारु
- जीवन्ती
- कूठ
- हल्दी
- तालीस-पत्र
- वेत की कोपल
- गोखरु
- वासक (अडूसा)
- खरेंटी का स्वरस
नष्टपुष्पान्तक रस की निर्माण विधि / How to Manufactur Nashtpushpantak Ras
- नष्टपुष्पान्तक रस बनाने के लिए सबसे पहले शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक, लौह भस्म, बंग भस्म, सुहागे की खील, चांदी भस्म, अभ्रक भस्म, ताम्र भस्म- प्रत्येक 4-4 तोला लेकर इकट्ठी कर ले।
- अब पारद और गंधक की कज्जली बनाकर तैयार कर लें।
- अब पारद और गंधक की तैयार कज्जली में लौह भस्म, बंग भस्म, सुहागे की खील,चांदी भस्म, अभ्रक भस्म और ताम्र भस्म मिला लें।
- अब इन मिली हुई औषधीय को गिलोय,त्रिफला, दन्तीमूल, हरसिंगार, छोटी कटेली, मकोय, देवदारू, जीवंती, बड़ी कटेली, कूठ, हल्दी, तालीस-पत्र, वेत की कोपल, गोखरू, अडूसा और खरैटी का रस या क्वाथ के साथ अलग-अलग तीन-तीन दिन भावना दे।
- अलग-अलग तीन-तीन दिन भावना देने के बाद सेंधा नमक, मुलेठी, दन्तीमूल, लोंग, वंशलोचन, रास्ना और गोखरू प्रत्येक को उनकी बताई हुई मात्रा के अनुसार लेकर कूटकर चूर्ण बना ले।
- अब इस चूर्ण को कपड़े से छानकर उपरोक्त औषधीय में मिला लें।
- अब इस संपूर्ण मिश्रण को एक-एक दिन जयंती और तुलसी के रस में अच्छी तरह से घोट लें।
- अब इसकी 250-250mg की गोलियां बनाकर तैयार कर लें।
- इन गोलियों को छाया में सुखा ले।
- इस प्रकार हमारा नष्टपुष्पान्तक रस बनकर तैयार है।
नष्टपुष्पान्तक रस के गुण व उपयोग / Nashtpushpantak Ras uses in Hindi
नष्टपुष्पान्तक रस उग्र अर्थात तेज रसायन और ऊष्ण वीर्य है। जो विशेष कर महिलाओं के मासिक धर्म को सुचारू रूप से चलाने के लिए काम में लिया जाता है। इसके गुण व उपयोग इस प्रकार हैं-
- कई बार महिलाओं में किसी रोग या कमजोरी के कारण मासिक धर्म रुक गया हो या दर्द के साथ थोड़ा-थोड़ा होता है, ऐसी स्थिति में यदि नष्टपुष्पान्तक रस का कुछ समय तक लगातार प्रयोग किया जाए तो महिलाओं में होने वाली कमजोरी दूर होकर मासिक धर्म अर्थात पीरियड सही मात्रा में फिर से शुरू हो जाता है।
- ऐसी लड़कियां या बालिकाएं जो यौवन अवस्था में है परंतु फिर भी उन्हें पीरियड शुरू नहीं हुए हैं तो ऐसी बालिकाएं अवश्य ही नष्टपुष्पान्तक रस का प्रयोग करें। यह रस रजोदर्शन के साथ-साथ योवनावस्था के सभी अंगों का भी विकास सही रूप से करता है।
- जिन स्त्रियों के शरीर में रक्त की कमी के कारण मासिक धर्म नहीं होता है उन्हें लौह भस्म या कसीस भस्म के साथ नष्टपुष्पान्तक रस का प्रयोग करने से अवश्य ही लाभ मिलता है।
- नष्टपुष्पान्तक रस महिलाओं में रक्त की कमी को दूर करता है क्योंकि इसके अंदर लौह भस्म मिलाई जाती है।
- मासिक धर्म रुकने के कारण स्त्रियों की आंखों में जलन, अनिद्रा, हाथ पैरों में दर्द, सिर दर्द, कमर में दर्द और हिस्टीरिया जैसे विकार उत्पन्न हो जाते हैं, ऐसी स्थिति में उन्हें अवश्य ही नष्टपुष्पान्तक रस के प्रयोग से लाभ मिलेगा।
- पीरियड्स की कमी तथा कमर में दर्द को भी नष्टपुष्पान्तक रस के द्वारा दूर किया जा सकता है।
- कई बार मेनोपॉज की उम्र नहीं आने पर भी पहले से ही मासिक धर्म कम मात्रा में तथा सही समय पर नहीं आता है। ऐसी स्थिति में यदि नष्टपुष्पान्तक रस का प्रयोग गुड़ मिलाकर किया जाए तो मासिक धर्म शुरू हो जाता है तथा खुलकर आने लग जाता है।
नष्टपुष्पान्तक रस की मात्रा व अनुपान तथा सेवन विधि
- नष्टपुष्पान्तक रस की एक से दो गोली सुबह शाम तिल के क्वाथ में गुड़ मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
- जिन महिलाओं में रक्त की कमी की वजह से पीरियड्स समय पर नहीं आती है उन्हें नष्टपुष्पान्तक रस का उपयोग लौह भस्म के साथ करना चाहिए।
- रक्त की कमी को दूर करने के लिए नष्टपुष्पान्तक रस का उपयोग कासीस भस्म के साथ भी किया जा सकता है।
- इसके अतिरिक्त रोग के अनुसार चिकित्सक से परामर्श लेकर नष्टपुष्पान्तक रस का सेवन कर सकते हैं।