लक्ष्मी नारायण रस : यह आयुर्वेद की एक क्लासिकल दवा है जिसका उपयोग प्रसूति व बच्चे दोनों के लिए किया जाता है। कई बार देखा गया है कि स्त्रियों में बच्चा होने के बाद ठंडी हवा लग जाने से वायु कुपित हो जाती है और बुखार लाना शुरू कर देती है। यदि इस समस्या का समय पर इलाज न किया जाए तो प्रसूति स्त्री की मृत्यु तक हो जाती है। लक्ष्मी नारायण रस डिलीवरी होने के बाद प्रसूति को देने पर उसके शरीर में वायु इकट्ठी नहीं होती है।
इसके साथ ही लक्ष्मी नारायण रस बच्चों का धनुष्टकार रोग में भी बहुत उपयोगी रसायन है। यह रोग बच्चों के लिए बहुत खतरनाक है इसमें बच्चों को बार-बार अटैक आते हैं तथा कई बार इन अटैक की वजह से उनकी मृत्यु हो जाती है।
आज इस आर्टिकल में हम आपको लक्ष्मी नारायण रस बनाने की विधि तथा इसके गुण व उपयोग के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक देंगे यदि आप भी वायु जनित रोगों को खत्म करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़ें।
लक्ष्मी नारायण रस के घटक द्रव्य
लक्ष्मी नारायण रस को बनाने के लिए निम्न औषधीय को काम में लिया जाता है जो इस प्रकार है-
- शुद्ध हिंगुल
- शुद्ध गंधक
- शुद्ध बच्छनाग
- सुहागे की खील
- कुटकी
- अतीस
- पीपल
- इंद्रजो
- अभ्रक भस्म
- सेंधा नमक
- दन्ती मूल का रस
- त्रिफला का रस
लक्ष्मी नारायण रस बनाने की विधि
- लक्ष्मी नारायण रस को बनाने के लिए बताई गई सभी औषधीय को इकट्ठा कर ले।
- शुद्ध हिंगुल, शुद्ध गंधक, शुद्ध बच्छनाग, सुहागे की खील, कुटकी, आतिश, पीपल, इंद्रजो, अभ्रक भस्म और सेंधा नमक सबको समान मात्रा में ले।
- इन सब को सामान मात्रा में लेने के बाद खरल में कूट ले।
- कूटने के बाद जब चूर्ण बन जाए तो इकट्ठा कर ले।
- इस चूर्ण को दन्ती मूल और त्रिफला के रस में तीन-तीन दिन तक घोट ले या मर्दन कर ले।
- जब यह अच्छी तरह से घुट जाए या एकसार हो जाए तो 250-250mg की गोलियां बना लें
- अब इन गोलियों को छाया में सुख ले।
- गोलियां अच्छी तरह से सुख जाए तो इन्हें डिब्बे में डालकर रख ले।
- इस प्रकार हमारा लक्ष्मी नारायण रस बनाकर तैयार हो जाता है।
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लक्ष्मी नारायण रस के गुण व उपयोग
लक्ष्मी नारायण रस प्रसूति और बच्चे दोनों के लिए लाभदायक है। इसके साथ ही यह अन्य रोगों में भी उपयोगी है जो इस प्रकार है-
- लक्ष्मी नारायण रसायन के सेवन से वात, पित्त और कफ के कारण होने वाले बुखार, हैजा, अतिसार, रक्त अतिसार, प्रसूति रोग और वायु के कारण उत्पन्न होने वाली समस्त प्रकार की व्याधियों से छुटकारा मिलता है।
- लक्ष्मी नारायण रस पसीना लाकर बुखार को उतार देता है तथा रक्त आदि धातुओं में दूषित कीटाणुओं को भी बाहर निकलता है।
- कई बार देखा जाता है कि लंबे समय तक बुखार रहने के कारण धातुओं में दोष उत्पन्न हो जाते हैं। जिसके कारण बुखार आने लग जाता है ऐसी स्थिति में यदि लक्ष्मी नारायण रस का उपयोग किया जाए तो धातुगत फीवर नष्ट हो जाता है।
- लक्ष्मी नारायण रस का प्रभाव वायु के कारण शरीर में उत्पन्न होने वाले बुखार पर भी विशेष रूप से पड़ता है।
- कई बार शरीर में वायु के कुपित होने के कारण लकवा जैसी समस्या हो जाती है। जिसके कारण शरीर में बुखार आना शुरू हो जाता है ऐसी स्थिति में लक्ष्मी नारायण रस तुरंत प्रभाव दिखाता है।
- बच्चों में होने वाले धनुष्टकार रोग में लक्ष्मी नारायण रस का विशेष प्रभाव देखने को मिलता है। यह वह रोग है जिसमें बच्चों को वायु के कारण बार-बार झटके आते हैं, झटके आने पर बच्चा बेहोश हो जाता है, मुट्ठी बंद हो जाती है, श्वास रुक जाती है तथा शरीर की नसें कभी ढीली तथा कभी कड़ी हो जाती है। यह बच्चों के लिए बहुत ही खतरनाक रोग होता है इसमें बुखार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तथा 100 में से 75 बच्चों की मृत्यु इस रोग के कारण ही होती है।
- धनुष्टकार रोग में लक्ष्मी नारायण रस का उपयोग करने पर दूषित हुई वायु शांत हो जाती है जिससे रक्त संचार भी ठीक होने लगता है तथा धीरे-धीरे वायु के झटके भी कम होने लगते हैं। झटके कम होने पर दो-तीन दिन में बुखार भी काम हो जाता है।
- कई बार देखा जाता है कि स्त्रियों को बच्चा होने के बाद ठंडी हवा लग जाती है। जिससे वायु दूषित होकर बुखार लाना शुरू कर देती है। यदि शीघ्र ही इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह वायु सिर में दर्द, अधिक प्यास, संपूर्ण शरीर में दर्द, बुखार की गर्मी बहुत बढी हुई तथा कभी कमजोरी से भयंकर बेहोशी आदि के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में लक्ष्मी नारायण रस के सेवन से बहुत ही शीघ्र लाभ देखने को मिलता है।
- प्रसूति स्त्री को ठंड से बचाने के लिए बच्चा होने के बाद लक्ष्मी नारायण रस का उपयोग करवाना चाहिए इससे शरीर में वायु प्रकुपित नहीं होगी तथा दूषित वायु शरीर से बाहर निकल जाएगी।
- पाचन क्रिया में गड़बड़ी होने के कारण आंखें खराब हो जाती है ऐसी स्थिति में भी यदि लक्ष्मी नारायण रस का उपयोग रोगी को कराया जाए तो शीघ्र ही लाभ देखने को मिलता है क्योंकि पाचन क्रिया में गड़बड़ी होने के कारण बुखार आना शुरू हो जाता है ऐसी स्थिति में लक्ष्मी नारायण रस जल्दी लाभ दिखता है।
- लक्ष्मी नारायण रस का सेवन वात, पित्त और कफ तीनों दोष के कारण होने वाले बुखार में किया जा सकता है।
लक्ष्मी नारायण रस की सेवन विधि
- लक्ष्मी नारायण रस की 1 से 2 गोली सुबह शाम अदरक के रस के साथ सेवन कर सकते हैं।
- लक्ष्मी नारायण रस की 1 से 2 गोली सुबह शाम शहद के साथ भी लेने से लाभ मिलता है।
- लक्ष्मी नारायण रस एक क्लासिकल मेडिसिन है अतः आप अपने चिकित्सक से परामर्श लेने के बाद ही इसका सेवन करें।
लक्ष्मी नारायण रस के नुकसान
यह आयुर्वेद की एक क्लासिकल मेडिसिन है। जिसका उपयोग शरीर में वात,पित्त और कफ तीनों के कारण उत्पन्न होने वाले बुखार में किया जाता है। आप इसका उपयोग चिकित्सक से परामर्श लेने के बाद ही करें अन्यथा कोई भी दुष्प्रभाव उत्पन्न हो सकता है।