icon

Getting all of the Ayurveda Knowledge from our Ayurvedic blog.

We are 5 year old website in Ayurveda sector. Providing you regular new article on Ayurveda. You can get Herbs, Medicine, Yoga, Panchkarma details here.

+91 9887282692

A 25 Flat 4, Shantinagar, Durgapura, Jaipur Pin code - 342018

वात दोष क्या है ? वात दोष को संतुलित कैसे करे

वात दोष क्या है : वात दोष की उत्पत्ति वायु और आकाश तत्त्वों से होती है | चरक संहिता में वात दोष का मतलब वायु से उत्पन्न होने वाले दोष को वात दोष कहा जाता है आयुर्वेद शास्त्रों में 80 प्रकार के वात रोग बताये गये है जिनका वर्णन आगे किया जायेगा | आयुर्वेद में त्रिदोषो में वात दोष को सबसे महत्वपूर्ण और प्रबल माना जाता है | हमारे शरीर में होने वाली सूक्ष्म से सूक्ष्म प्रतिक्रिया अर्थात गति के लिए वात ही सर्वोपरि भूमिका निभाता है |

शरीर में वात का मुख्य स्थान नाभि से नीचे की और माना गया है चरक संहिता के अनुसार पाचकाग्नी के लिए वात दोष ही जिम्मेदार है | यह अन्य दोषों के साथ मिलाकर उनके गुणों को समाहित कर लेता है जिससे यह अलग अलग प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है | आगे जानोगे वात दोष क्या है वात दोष को संतुलित कैसे करे के बारे में विस्तार से –

वात दोष के प्रकार

शरीर में वात की अलग अलग स्थानों के आधार पर उनकी कार्यप्रणाली के आधार पर पांच प्रकार बताये गए है जो इस प्रकार है – प्राण, उदान, समान, व्यान, अपान

80 प्रकार के वात दोष

आयुर्वेद शास्त्रों में 80 प्रकार के वात दोष बताये गये है जिनका संक्षेप में आपको बताते है की 80 प्रकार के वात दोष कौन-कौन से होते है – 1. नींद न आना (अनिंद्रा ) 2. आँखों में दर्द होना 3. आँखों का टेडापन 4. रसो का ज्ञान नहीं होना 5. अर्दित अर्थात मुह का लकवा 6. बिना कारण के बोलते रहना 7. बिना ध्वनी आवाजे सुनने का आभास होना 8. ऊँचा सुनना 9. मिर्गी जैसे झटके आना बिना कारण के हाथ पैरो को जमीन पर पीटना 10. उदावर्त अर्थात गैस की गति उपर ही और होना 11. मांशपेशियो का शिथिल होना 12. कान में दर्द होना १३. शरीर में कूबड़ निकलना 14. लंगड़ा होना 15. गुद्भ्रंश अर्थात गुदा का बहार आना 16. बालों की जड़ो का कमजोर होकर बाल झड़ना 17. मुंह का स्वाद कडवा रहना 18. गृध्रसी साइटिका 19.गुदा में दर्द होना 20.होंठो में दर्द होना अधिक रुखा होना 21. उरुस्तम्भ घुटने की हड्डी का जकड़ना 22. गले का बैठ जाना 23. एडी के आसपास दर्द होना 24. गर्दन का जकड़ा रहना 25. गंध का ज्ञान ना होना 26. उबासी अधिक आना 27. घुटने की हड्डियों में टूटने जैसा दर्द होना 28. चित्त अस्थिर होना 29. झुनझुलाहट आना 30.जानू विश्लेश 31. आँखों की रोशनी कम होना 32. त्रिकास्थि में दर्द होना 33.दांतों में दर्द होना 34. दंडापतानक (शरीर का अकड़ना ) 35. दांतों का हिलना 36.बिना किसी शोक के दिल बैठने जैसा होना 37. लंगड़ापन 38.नेत्र शूल 39. पिंडलियों में ऐठन होना 40. पैरो का नियन्त्रण कम होना 41. पैर दर्द होना 42. पाद सुन्नता 43. पार्श्व अर्थात शरीर में साइड में दर्द होना 44. आवाज बंद हो जाना 45. अचानक कान से सुनाई कम देना 46. हाथ उपर ना उठना 47. चक्कर आना 48. भोंहो का उपर उठना 49. मुंह का अधिक सुखना 50. बोलने में कठिनाई होना 51. फुफ्फुस व हृदयगति में रुकावट जैसा अनुभव होना 52. आँखों की पलके झपकने में परेशानी होना 53. उलटी होना 54. पैर में उपर से नीचे तक तेज दर्द होना 55. मलद्वार के आसपास दर्द का अनुभव होना 56. हाथ पैरो का फटना 57. अंडग्रंथियों का उपर की और छडना 58. बिना कारण के उदास रहना 59. कंपकपी होना 60. कनपटी में दर्द होना 61. मुत्रेंद्रियो में जकडन होना 62. शरीर का रंग काला पड़ना 63. सिर दर्द होना 64. कुल्हे की हड्डी में तोड़ने जैसी पीड़ा होना 65. जन्मजात मस्तिष्क रोग 66. शरीर का रंग लाल होना 67. ठोड़ी में दर्द होना 68. हिचकी आना 69. ह्रदय गति का अचानक से तेज हो जाना 70. शरीर में रूखापन अधिक होना 71. आँखों की पलके सिकुड़ जाती है जिससे आंखे खोलने में परेशानी होने लगती है 72. छाती में सुई चुभने जैसी पीड़ा होना 73. गर्दन में जकड़न होना 74. भुजा से अंगुलियों तक दर्द होना 75. पार्श्व प्रदेश में पीड़ा 76. नाखुनो का टूटना 77. शरीर में रूखापन अधिक बढ़ने से त्वचा फटना 78. स्नायुओ की कमजोरी 79. सांस लेने में कठिनाई 80. संधियों में सुन्नता

वात दोष की पहचान कैसे करे

आयुर्वेद शास्त्रों में आचार्यो ने कुछ ऐसे लक्ष्ण बताये है जिनके आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है की आपकेशरीर में वात दोष संतुलित है या असंतुलित है आगे पढ़े वात दोष की पाचन कैसे करे –

वात बढ़ने से कोन – कौन सी बीमारी होती है

वात दोष क्यों होता है

जब आपकी दिनचर्या बहुत अधिक बिगड़ी हुई रहे साथ ही आपको लम्बे समय से पेट खराब अर्थात कब्ज कि शिकायत रहे और आप कब्ज को इग्नोर करते रहो ऐसी अवस्था में वात दोष प्रकुपित होने लगता है | जब वात दोष निरंतर बढ़ता जाता है ऐसी स्थिति में वाट से उत्पन्न होने वाली व्याधियाँ उग्र रूप धारण करने लगती है | लगातार यदि आप भूखे रहते हो तो भी वाट दोष अधिक प्रकुपित होता है |

वात दोष को संतुलित कैसे करे

वात दोष को संतुलित करने के लिए अपनी दिनचर्या को सन्तुलित करना सबसे अधिक आवश्यक होता है ऐसे में अपने सुबह उठने से रात को सोने तक का समय नियमित रखे ध्यान रहे घी दूध का अधिक सेवन करे जिससे प्रकुपित हुए वात को सामान्य अवस्था में लाने में सहायता मिल सकेगी | आयुर्वेद में वात दोष कि श्रेष्ट चिकित्सा बस्ती को बताया गया है | किसी कुशल आयुर्वेद चिकित्सक से बस्ती निर्माण में उपयोग लिए जाने वाले औषध द्रव्यों के बारे में परामर्श करके बस्ती लगवाने से अधिक लाभ मिलता है |

वात दोष में क्या परहेज करे

वात दोष बढ़ने के बाद ध्यान रहे रूखे खाने को त्याग देना समझदारी होगी क्योकि वात अपने आप में रूखापन बढाता है | खट्टी वस्तुओ का सेवन बिलकुल ना करे साथ ही तलाभुना खाना खाने से परहेज रखे दिन में सोने से बचे रात को समय से सोये सुबह बृह्म मुहूर्त में उठकर शोचादी से निवृत होने कि आदत डाले | अधिक समय तक भूखा नहीं रहे भूखा रहने से वात दोष अधिक प्रकुपित हो जाता है |

प्राकृतिक रूप से वात कैसे कम करे

प्राकृतिक रूप से वात दोष को ठीक करने के लिए मिटटी चिकित्सा एक बेहतर विकल्प है इसके लिए आपको अर्क कि जड़ और एरंड को जड़ के आसपास कि मिटटी निकाल कर कूट छान कर तैयार कर ले उसके बाद रात को भिगोकर रख दे और सुबह दर्द वाले हिस्से में इसका लेप लगा कर छोड़ दे इस लेप को 45 मिनट तक लगाकर रखना है उसके बाद इसके किसी मोटे कपडे से पूछ पूछ कर निकाल देना है जिससे आपको बढे हुए वात दोष में राहत मिलेगी साथ ही एनिमा लेना बिलकुल न भूले |

वात नाशक औषधि

आयुर्वेद में वात नाशक बहुत सी औषधियों के बारे में वर्णन किया गया है जिनमे से कुछ औषधियों के बारे में बताया जा रहा है – महा योगराज गुग्गुल, सिंघनाद गुग्गुल, एकांगवीर रस, वात कुलान्तक रस, कुक्कुताण्डत्वक भस्म,

वात नाशक चूर्ण

अजमोदादी चूर्ण, पंचसकार चूर्ण, वातारी चूर्ण, पंचकोल चूर्ण, एरंड भृष्ट हरीतकी आदि वात नाशक चूर्ण है जिनका सेवन करने से वात दोष का नाश होता है |

वात नाशक तेल

महानारायण तेल, महामाष तेल, दशमूल तेल, विषगर्भ तेल, लघु विषगर्भ तेल, कर्पूरादी तेल, पेन दयाल तेल

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

Written by

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *