शतावार्यादि चूर्ण: यह शतावरी, गोखरू, कौंच, सफ़ेद मुसली और अश्वगंधा इन सभी के चूर्ण को मिलाकर बनने वाली एक आयुर्वेदिक क्लासिकल औषधीय उपचार है । इस आयुर्वेदिक चूर्ण का इस्तेमाल शरीर को शक्ति बढ़ाने, बजिकारक, वीर्यवर्धक करने के लिए किया जाता है ।
![शतावार्यादि चूर्ण](https://shridayalspinecare.com/wp-content/uploads/2023/09/d59405bf-543d-487d-aae0-ab5a47167e33-1024x548.jpeg)
आज हम आपको शतावार्यादि चूर्ण के घटक, फायदे, नुकसान और खुराक के बारे में जानकारी देंगे । अगर आप जानना चाहते हैं कि शतावार्यादि चूर्ण क्या होता है तो पढ़ें –
शतावार्यादि चूर्ण क्या है ? | What is Shatavaryadi Churna in Hindi
यह एक क्लासिकल चूर्ण है । शतावार्यादि चूर्ण एक प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपाय है जो शतावरी पौधे की जड़ों को सुखाकर और इसमें दूसरी जड़ी बूटियां मिलाकर बनाया जाता है । शतावरी (Asparagus racemosus) पौधा भारतीय आयुर्वेद में महत्वपूर्ण औषधि के रूप में जाना जाता है। इसके रूप, रंग, और आकार की वजह से इसे “शतावरी” कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है सौ जड़ वाली ।
शतावार्यादि चूर्ण आयुर्वेदिक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है और इसमें विभिन्न पोषक तत्व, विटामिन्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
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शतावार्यादि चूर्ण के घटक क्या है? (What is the Ingredients in Shatavaryadi Churna)
इसमें कुछ आयुर्वेदिक घटक हैं –
- शतावरी (Shatavari)
- गोखरू (Gokhru Beej)
- कौंच बीज (Kounch beej)
- सफ़ेद मुसली (Safed musli)
- अश्वगंधा (Ashwagandha)
शतावार्यादि चूर्ण के फायदे (Benefits of Shatavaryadi Churna)
शतावार्यादि चूर्ण कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है। यह एक पौष्टिक आयुर्वेदिक दवा है जो आमतौर पर प्राकृतिक रूप से प्रयोग होती है। यहां शतावार्यादि चूर्ण के कुछ महत्वपूर्ण फायदे हैं:
- शतावरी चूर्ण महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है। इसका नियमित सेवन प्रजनन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है, पीरियड्स के दर्द को कम करता है, और मासिक धर्म की समस्याओं को दूर करने में भी लाभदायक है ।
- यह शरीर को मजबूत बनाने में विशेष लाभ करता है । इसमें अश्वगंधा, कौंच होने के कारण शरीरीक ताकत भी बढाता है । शरीर को मजबूत बनाने के लिए शतावार्यादि चूर्ण का प्रयोग करना चाहिए ।
- शतावरी चूर्ण को पाचन को बेहतर बनाने में फायदेमंद है, जिससे पेट के रोगों को दूर रखने में मदद मिलती है। एक आयुर्वेदिक चिकित्सक की मानें तो शतावार्यादि चूर्ण के सेवन से जिस्म में पेट के रोग नहीं होते ।
- इसका नियमित सेवन शरीर के रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है। डायबिटीज रोगियों को एक आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही इसका सेवन किया जाना चाहिए । यह बहुत लाभदायक है ।
- शतावार्यादि चूर्ण में विटामिन सी, ए और कैल्शियम का अच्छा स्रोत होता है, जिससे हड्डियों को मजबूती मिल सकती है और त्वचा की स्वास्थ्य बनी रह सकती है।
- इसे वयस्कों के लिए मानसिक विकारों के लिए लाभदायक माना जाता है । अश्वगंधा और शतावरी होने की वजह से यह तनाव को कम करने में विशेष लाभदायक है ।
- यह एंटीऑक्सीडेंट्स का अच्छा स्रोत होता है जो फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाले कई रोगों से लड़ने में मदद करता है।
- शतावरी चूर्ण के सेवन से व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है, और तनाव और चिंता को कम करने में फायदेमंद है ।
- इसका सेवन शरीर के एंडोक्राइन सिस्टम को स्वस्थ रखने में मदद करता है, जिससे यौन स्वास्थ्य को बनाए रखने में लाभ मिलता है ।
- इसका सेवन शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में लाभ मिलता है ।
नुकसान | Side Effects
शतावार्यादि चूर्ण के सेवन में कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, खासकर अधिक मात्रा में और अव्यवस्थित रूप से उपयोग करने पर। यहां कुछ महत्वपूर्ण नुकसान दिए गए हैं:
- पेट की समस्या: शतावार्यादि चूर्ण की अधिक मात्रा का सेवन पेट की समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि दर्द, ब्लोटिंग, और पेट की गैस।
- एलर्जिक रिएक्शन: कुछ लोग शतावरी चूर्ण के प्रति एलर्जिक हो सकते हैं, जिससे त्वचा की खुजली, चुभन या चकत्ते हो सकते हैं।
- शुक्राणु की अधिकता: अधिक मात्रा में शतावार्यादि चूर्ण का सेवन करने से शुक्राणु की अधिकता हो सकती है, जिससे यौन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- डायरिया: अधिक मात्रा में शतावार्यादि चूर्ण का सेवन करने से डायरिया की समस्या हो सकती है।
- गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं को शतावार्यादि चूर्ण का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि इसका गर्भावस्था पर प्रभाव हो सकता है।
खुराक | Dosage
आमतौर पर शतावार्यादि चूर्ण को 2 से लेकर 5 ग्राम तक की मात्रा में सुबह – शाम दूध या जल के साथ सेवन किया जाना चाहिए । इसे अधिकतम 5 ग्राम तक सुबह – शाम ही सेवन किया जा सकता है । अन्य विशेष रोगों के लिए एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से इसका परामर्श करना माना जाता है ।
हालाँकि इससे नुकसान नहीं होता लेकिन इसका सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए । अगर आपके डॉक्टर ने आपको सुझाया गया खुराक से अधिक का सेवन न करें ।