परिचय
अगरादी धुप आयुर्वेद शास्त्रों का धूपन करने हेतु कल्पित योग है | जिसका उपयोग आयुर्वेद शास्त्रों में पर्यावरण शुद्धि के लिए उपयोग किया जाता रहा है | यदि अगरादी धुप का उपयोग हवन सामग्री के साथ किया जाये तो इसके परिणाम और भी बेहतर हो जाते है | कुष्ट रोगियों के रूम में अगरादी धुप से धूपन करने से उनको रोग मुक्त होने में लाभ मिलता है |
अगरादी धुप बनाने की विधि
आवश्यक सामग्री
- नागरमोथा
- अगर काला
- तगर
- वच
- छाड़ छडिला
- जटामांसी
- वायविडंग
- नीम के पत्ते
- लोहबान
- राल
- सरसों
- राइ
- कपूर काचरी
- गुग्गुल
सभी घटक द्रव्यों को एक साथ समान मात्रा में मिलाकर किसी पात्र में भरकर रख ले | सभी घटक द्रव्यों को यवकूट ही करना है बिलकुल बारीक़ पाउडर नही बनाना है | जिससे जलने में सहूलियत रहती है | बारीक़ पाउडर करने से धुँआ ठीक प्रकार से नही बनता है |
उपयोग विधि
अगरादी धुप का प्रयोग करने के लिए किसी मिट्टी के पात्र में आग जलाये या हवन कुण्ड तैयार करके उसमे अग्नि प्रज्वलित कर ले | अग्नि अच्छे से तैयार हो जाने के बाद उसमे अपने घर के आकर के आधार पर उसमे अगरादी धुप डालकर धूआँ करे और पुरे घर में उस धूआँ को फैला दे | जिससे आपके घर में उपस्थित सभी प्रकार के जीवाणु और कीटाणुओं से मुक्त होने में सहायता मिल जाती है | जिस समय आप अगरादी धुप से धूपन करते हो उस समय आपको ध्यान रखना है की छोटे बच्चो को कुछ समय के लिए घर से बहार कर लेना चाहिए
अगरादी धुप के फायदे
- कुष्ट रोगियो के कमरे में अगरादी धुप का धूपन करने से रोगी व्यक्ति को काफी लाभ मिलता है |
- घर में उपस्थित जीवाणुओं का नाश होता है |
- सभी कीटाणुओं को नष्ट करने में लाभकारी |
- घर में बदबू को खत्म करने में भी फायदेमंद है |
यदि आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो कृपया शेयर करना ना भूले |
धन्यवाद !
डॉ.रामहरि मीना (Dr.Ramhari Meena)