असालिया- लम्बाई बढ़ाने के साथ अनेको रोगों में लाभकारी
असालिया को भारत में बोली भाषा के आधार पर अनेको नामो से पहचाना जाता है | जैसे चंद्रसूर, अहालील, हालिम, हालू, असालू, असालिया आदि | असालिया की खेती लगभग सम्पूर्ण भारत में की जाती है |
चंद्रसूर या असालिया को पोषण के आधार पर समझा जाये तो इसमें ओमेगा-3 की मात्रा लगभग 49% तक पायी जाती है साथ ही आयरन, कैल्शियम आदि की मात्रा की उपस्थिति इसके गुणवत्ता को और बढ़ा देते है |
लम्बाई वर्तमान समय में युवाओ की भयंकर समस्या बन चुकी है | जिसका सीधा सम्बन्ध पोस्टिक आहार से होता है | बच्चा जब माँ के गर्भ में होता है तब से लगभग 23 साल का होने तक यदि उसको प्रोपर तरीके से पोषण नही मिल पाता है तो उसका सीधा असर उसके शारीरिक विकास पर दिखाई देता है |
चंद्रसूर या असालिया आयुर्वेदिक मतानुसार अत्यंत वाजीकरण, और कामोद्दीपक होने के साथ ही स्त्री के स्तनों में दुग्ध को बढ़ाने में मददगार साबित होती है | यह वात एवं कफ नाशक होने से त्वचा रोगों में अत्यंत लाभकारी सिद्ध होती है | इसकी उष्ण प्रवृति के कारण गठिया, आर्थराइटिस आदि में लाभकारी परिणाम देखने को मिलते है |
रासायनिक संघटन
असालिया के पत्तो में खनिज, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, निकिल, लोह तत्व, सल्फर, कैल्शियम, कोबाल्ट, एस्कार्बिक एसिड आदि पाया जाता है | चंद्रसूर / असालिया के बीजो में उड़नशील तेल, कार्बोहाइड्रेट, वसा, आर्गेनिक एसिड, सिनेपिन अम्ल, क्षारीयता, ग्लुकोट्रिपियोलिन, यूरिक एसिड आदि तत्व पाए जाते है | इसके अतिरिक्त असालिया में बेन्जिल साएनाइड, और बेन्जिल आइसोथायोसाएनेट भी पाया जाता है |
असालिया खाने के फायदे / benefits of asaliya in hindi
- चर्म रोगों में असालिया बीज चूर्ण खाने के फायदे :- असालिया बीज चूर्ण व चक्रमर्द के बीज समान मात्रा में लेकर नींबू स्वरस में लैप बनाकर लगाने से चर्म रोगों में शीघ्र लाभ मिलता है | यह घरेलू उपाय कम से कम 7 दिन तक करने से आशातीत लाभ होगा |
- गठिया में असालिया के फायदे :- 100 ग्राम तिल के तेल में 30 ग्राम चंद्रसूर के को अच्छे से पकाकर तेल को सिद्ध करले | स्वान्गशीत होने के बाद कांच की बोतल में भरकर रखले और दिन में दो बार जोड़ो की मालिश करे |
- यकृत रोग में असालिया खाने के फायदे :-5 ग्राम असालिया के बीजो को 100 मिली पानी में अच्छे से उबाले जब पानी लगभग 25 मिली शेष रहे तब छानकर पिने से यकृत से सम्बन्धी रोगों में लाभकारी परिणाम मिलते है |
- लम्बाई बढ़ाने में में असालिया के फायदे :- असालिया 5 ग्राम अश्वगंधा 3 ग्राम की मात्रा में लेकर दूध में अच्छे से उबाल ले व्हल्का गुनगुना रहने पर बिना छाने पीने से लम्बाई बढने लगती है साथ ही योगाभ्यास जरूर करे |
- सीने के दर्द में चंद्रसूर के का फायदेमंद है |
- आमाशय विकृति :- चंद्रसूर के बीजो का काढ़ा बनाकर 3-3 चम्मच सुबह शाम लेने से आमाशय विकृतियों में लाभ मिलता है
- श्वास रोगों में असालिया के फायदे :- पंचांग क काढ़ा बनाकर पीने से श्वास सम्बन्धी रोगों से राहत मिलती है |
- असालिया पीने के फायदे खांसी में :- चंद्रसूर की टहनियों को चार गुना पानी में उबाल कर पिलाने से सुखी खांसी से राहत मिलती है |
- बवासीर में असालिया के फायदे :- हालम/हालू के बीजो के स्वरस 5 मिली नागकेशर चूर्ण 3 ग्राम को 50 मिली नारियल पानी में मिलाकर पिलाने से खुनी बवासीर में तुरंत राहत मिलती है |
- अतिसार/दस्त :- असालिया के बीजो के स्वरस 5 मिली को 50 मिली नारियल पानी में मिलाकर पिलाने से अतिसार व् दस्तो में तुरंत राहत मिलती है |
- मेधावर्धक :- चंद्रसूर में बेन्जिल साएनाइड , और बेन्जिल आइसोथायोसाएनेट की उपस्थिति बुद्धि विकासक का काम करता है | रोज सुबह चंद्रसूर बीज पावडर 5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से बुद्धि का विकास होता है | प्राणायाम व् ध्यान का अभ्यास जरूरी है |
- हिक्का ( हिचकी) :- 5 ग्राम चंद्रसूर बीजो को 40 मिली पानी में डालकर तब तक पकाए जब तक की इसमें गाढ़ापन ना आ जाये | 10 मिली शेष रहने पर चुटकी भर मोर के पंख की राख मिलाकर पिलाने से हिक्का रोग में तुरंत राहत मिलती है |
- शोथ ( सूजन ) :- असालिया के बीजो का लेप बनाकर सुजन वाले स्थान पर लगाने से राहत मिलती है |
असालिया खाने के नुकसान / SIDE EFFECTS OF ASALIYA IN HINDI
चंद्रसूर का सेवन यदि चिकित्सक की देखरेख में किया जाये तो किसी प्रकार का कोई साइड इफ़ेक्ट नही होता है | चंद्रसूर का अधिक मात्रा में सेवन करने पर पेट में हल्का भारीपन होने लगता है | प्रेग्नेंट महिलाओ को इसके सेवन से बचना चाहिए क्योकि इसकी प्रकृति उष्ण रहती है जिससे गर्भपात होने की सम्भावना रहती है |
असालिया का भाव price
चंद्रसूर आसानी से मार्किट में मिल जाता है असालिया का मार्केट भाव 260-300 रूपये प्रति किलोग्राम रहता है |
चंद्रसूर सेवन की सही मात्रा
इसके बीज के चूर्ण को 2-5 ग्राम तक की मात्रा में सेवन किया जा सकता है |
लम्बाई बढ़ाने के लिए योग ( yoga for Increase hight )
- सूर्यनमस्कार
- मार्जरी आसन
- नटराजासन
- ताड़ासन
- भुजंगासन
- त्रिकोणासन
- वीरभद्रासन
- पादहस्तासन
- पश्चिमोत्तासन
- हलासन
- शीर्षासन
- चक्रासन
लम्बाई बढ़ाने के लिए असालिया खाने का सही तरीका -लम्बाई बढ़ाने के लिए अश्वगंधा पाउडर के साथ असालीया पाउडर व मिश्री मिलकर सुबह-शाम गोदुग्ध के साथ सेवन करने से लम्बाई बढने लगती है |
धन्यवाद |
9 Comments
Dhara
May 12, 2019Nice information
Sukh
May 12, 2019Superrrrrr
Nikil
May 24, 2021😁😁
NEETESH DHANGAR
September 22, 2021सर असालिया को देशी भाषा में क्या कहते हैं
admin
September 23, 2021असालिया को देशी भाषा में हालम और हालू के नाम से जाना पहचाना जाता है |
Shivam
February 10, 2022Sir असालिया ka vaigyanik naam kya h
Sharwan Bishnoi
November 1, 2022बहुत ही अच्छी जानकारी दी है आपने इस असालिया की खेती कहा पर की जाती है।
सुरेन्द्र बागड़ी Surendra Bagdi
March 4, 2023असालिया चतुर्बीज योग बनाने के काम भी आता है । यह ला ब्लड प्रेशर में न्यूनतम से अधिकतम मात्रा , हाई ब्लड प्रेशर में न्यूनतम मात्रा 3 बार , ब्रेन ट्यूमर में न्यूनतम मात्रा 3 बार , ब्लड क्लोटिंग में न्यूनतम मात्रा 3 बार , हड्डी मांस के दर्द में, नशा छोड़ने के बाद सेवन से लिवर तंदरुस्त करने में, खून नहीं बनना, कब्जी रहना , भूख नहीं लगना, बदन में ताकत व फुर्ती लाने हेतु, चेहरे पर चमक लाने हेतु , बुखार में निवाये जल से लेवें , जिनका बदन ठंडा रहता हो , पुरुष रोग में भी उत्तेजना हेतु यह सार्थक है , खून का सही बहाब करके नसों को पूर्ण तन्दुरूस्त बना देता है , ऐलोपेथिक दवाइयों का सेवन ज्यादा किया है तो उसके सब साइड इफेक्ट्स खून साफ करके यह योग बाहर निकाल देता है । आदि
मात्रा :- सर्दी में अधिक तम मात्रा 1/2 टी स्पून 2 बार सेवनीय साधारण जल से लेवें।
गर्मी में न्यूनतम मात्रा 1 गेहूं के बराबर 3 बार सेवनीय साधारण जल से लेवें।
निषेध:- पेट में घांव , दस्त , रक्त प्रदर में, चोट से खून बह रहा हो तो व गर्भवती महिला ना लेंवे। योग लेने के कुछ समय बाद दस्त चालू हो जायें तो बन्द कर दें व नोर्मल होने के बाद वापस ले सकते हैं। इति शेष।।
सुरेन्द्र बागड़ी Surendra Bagdi
March 4, 2023असालिया चतुर्बीज योग बनाने के काम भी आता है । यह ला ब्लड प्रेशर में न्यूनतम से अधिकतम मात्रा , हाई ब्लड प्रेशर में न्यूनतम मात्रा 3 बार , ब्रेन ट्यूमर में न्यूनतम मात्रा 3 बार , ब्लड क्लोटिंग में न्यूनतम मात्रा 3 बार , हड्डी मांस के दर्द में, नशा छोड़ने के बाद सेवन से लिवर तंदरुस्त करने में, खून नहीं बनना, कब्जी रहना , भूख नहीं लगना, बदन में ताकत व फुर्ती लाने हेतु, चेहरे पर चमक लाने हेतु , बुखार में निवाये जल से लेवें , जिनका बदन ठंडा रहता हो , पुरुष रोग में भी उत्तेजना हेतु यह सार्थक है , खून का सही बहाब करके नसों को पूर्ण तन्दुरूस्त बना देता है , ऐलोपेथिक दवाइयों का सेवन ज्यादा किया है तो उसके सब साइड इफेक्ट्स खून साफ करके यह योग बाहर निकाल देता है । आदि
मात्रा :- सर्दी में अधिक तम मात्रा 1/2 टी स्पून 2 बार सेवनीय साधारण जल से लेवें।
गर्मी में न्यूनतम मात्रा 1 गेहूं के बराबर 3 बार सेवनीय साधारण जल से लेवें।
निषेध:- पेट में घांव , दस्त , रक्त प्रदर में, चोट से खून बह रहा हो तो व गर्भवती महिला ना लेंवे। योग लेने के कुछ समय बाद दस्त चालू हो जायें तो बन्द कर दें व नोर्मल होने के बाद वापस ले सकते हैं। इति शेष।।
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