वायु मुद्रा – योग विज्ञानं में मुद्रा का अपना एक विशेष महत्व बताया गया है | योगमतानुसार मुद्रा का अर्थ ऐसी स्थिति से हे जिससे आनंद और सुख का अहसास होता हो | मुद्राओ के द्वारा ब्रेन को अधिक सजग रहने और उर्जा प्रवाह को बढ़ाने के कि प्रेरित किया जाता है जिसके सहयोग से शरीर कि मुद्राओ द्वारा श्वसन संस्थान के साथ साथ आँखों तक कि स्थिति को इसके द्वारा नियंत्रित किया जाता है | आयुर्वेद में पांच प्रकार कि वायु का वर्णन मिलता है जैसे अपान , व्यान , उदान, समान आदि |
इनके आधार पर ही मुद्राओ को विभाजित किया जाता है जैसे ज्ञान मुद्रा, वायु मुद्रा, ध्यान मुद्रा, योनी मुद्रा, आदि शामिल है | योगमतानुसार हाथो के द्वारा स्ट्रेचिंग, क्रासिंग आदि के द्वारा विशेष मुद्राओ का आकार देते हुए शरीर और मन को जागृत किया जाता है जिनके कारण हम उच्च स्वर से कनेक्ट हो पाते है | वैज्ञानिको का मानना है कि मानव शरीर कि सभी तंत्रिकाए हमारे हाथो कि उंगलियों में आकर खत्म होती है अर्थात मानव तंत्रिका तंत्र का अंतिम क्षोर होता है | और जब अंतिम क्षोर पर दबाव डाला जाता है तो उसका प्रभाव हमारे मष्तिष्क को जागृत करने के लिए अत्यंत सरल उपाय है जिससे हार्मोनल बदलाव सकारात्मकता कि और होने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य कि दृष्टि से बहुत बेहतर होते है |
वायु मुद्रा क्या है ? WHAT IS VAYU MUDRA IN HINDI
वायु को आयुर्वेद में वात कि संज्ञा दी गयी है जिसका मुख्य कार्य गति करना होता है | इसी प्रकार यदि वायु के शाब्दिक अर्थ कि बात कर तो इसका अर्थ होता है हवा | वायु मुद्रा हाथ के द्वारा बनाये जाने वाला इशारा मात्र होता है या ये कहे कि हाथ के द्वारा विशेष आकृति बनाई जाती है जिससे शरीर में उपस्थित वायु तत्व को नियंत्रित किया जाता है | वायु का का कार्य आंतो में जमी गंदगी को खासतौर पर पाचन क्रिया पर विशेष कार्य करती है वायु मुद्रा जिस कारण वायु से सम्बन्धित विकारो को ठीक करने के लिए वायु मुद्रा का अभ्यास वायु तत्व को संतुलित करने के लिए किया जाता है |
वायु मुद्रा का स्वतंत्र अभ्यास करने के बजाय इसके अभ्यास योग प्राणायाम के साथ किया जाना अधिक लाभदायक होता है | साथ ही इसका अभ्यास करना बहुत आसान और सरल है |
आयुर्वेद मतानुसार वायु मुद्रा back pain के लिए
आयुर्वेद शास्त्रों में हमारे हाथो कि उंगलियों का विभाजन पंच महाभूतो के आधार पर किया या है जैसे कि तर्जनी ऊँगली वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करती है वैसे ही अंगूठा अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है ऐसे में जब हम अंगूठे से तर्जनी अंगुली को दबाते है तो अग्नि तत्व वायु तत्व पर भारी हो जाता है और शरीर तत्वों का संतुलन बेहतर तरीके से करने हुए हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सफल हो जाता है | ये शरीर का अपना ऑटो सिस्टम होता है | जैसा कि ऊपर बताया था कि वायु मुद्रा वायु दोषों को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ऐसे में वायु मुद्रा back pain के लिए अत्यंत लाभदायक सिध्ह होती है जिसका कारण हे कि back pain वायु के विकार से उत्पन्न होने वाली बीमारी है |
ऐसे में वायु मुद्रा द्वारा ऐसी समस्याओ को ठीक किया जा सकता है जो वात के असंतुलन से उत्पन्न हुई हो | वात दोष के बढ़ने से शरीर में सूखापन , तनाव, स्वभाव का चिडचिडापन , बालो का रूखापन, गैस बनना, शरीर में सुजन आना, चक्कर आना, जोड़ो में कट-कट कि आवाज आना, भ्रम का होना आदि समस्याओ का सामना करना पड़ता है |
back pain के लिए वायु मुद्रा कैसे करे ?
back pain में वायु मुद्रा का उपयोग करने से पहले इसको करने कि विधि के बारे में ध्यान पूर्वक पढ़े उसके बाद प्रारम्भ करे गलत कि हुई मुद्रा का लाभ नही मिलता है back pain के ;लिए वायु मुद्रा को करने के लिए आगे बताये अनुसार करे –
- सबसे पहले किसी शांत स्थान पर सुखासन, वज्रासन या पद्मासन में बैठ जाये | ध्यान रहे अपनी कमर बुल्कुल सीधी रखे |
- अपने मन को शांत करने के लिए कुछ देर लम्बे स्वास प्रस्वास का अभ्यास करे |
- उसके बाद अपने हाथो को घुटनों पर रखे ध्यान रहे हथेलिया उपर कि और हो अब धीरे -धीरे अपनी तर्जनी अंगुली को मोड़ते हुए अंगूठे के आधार को छुले |
- इसके बाद अंगूठे को घुमाते हुए तर्जनी अंगुली पर हल्का सा दबाव डाले ऐसा करने पर हाथ ही हथेली पर प्रारम्भ में दबाव असहज लगेगा किन्तु थोड़े अभ्यास के बाद सहज लगने लगेगा | ध्यान रहे तर्जनी और अंगूठे के अलावा बाकि अंगुलिया सीधी रखनी है |
- मुद्रा लगाने के बाद शरीर में हलचल न करे साथ ही अपने मन को शांत करने के लिए सुखपूर्वक सांस लेते रहे और ॐ का उच्चारण करते रहने से मानसिक शांति बनी रहती है |
back pain में वायु मुद्रा के लाभ
यदि आप back pain से परेशान हो तो आपके लिए कटी चक्रासन , अश्वसंचलानासन , सूर्य नमस्कार के बाद वायु मुद्रा का अभ्यास करने से आप देखोगे आपको वायु मुद्रा से back pain में धीरे -धीरे आराम मिलना शुरू हो जायेगा | यदि आप इन आसनों के साथ वायु मुद्रा का अभ्यास करते हो तो आपकी गर्दन, कंधे, और कमर के दर्द में काफी राहत मिले जाएगी |
गैस के लिए वायु मुद्रा के फायदे
वायु मुद्रा का अभ्यास करने से ब्रेन में अधिक मात्रा में ओक्सीजन पहुंचने लगती है | और जब शरीर को सामान्य से अधिक ऑक्सिजन मिलने लगती है तो स्वाभाविक रूप से शरीर में जमे विषाक्त पदार्थ और हानिकारक पधार्थो को शरीर से बहार निकालने के गति बढ़ा देता है | जिससे शरीर से विषाक्त पदार्थो के निकल जाने से शरीर में पित्त जनक सामग्री कम हो जाने से गैस कि समस्या से राहत मिलने लगती है |
गठिया के लिए वायु मुद्रा के लाभ
गठिया वात प्रकुपित रोगों कि श्रेणी में आने वाला रोग है ऐसे में यदि आप वायु मुद्रा का अभ्यास करने से गठिया कि रोकथाम में सहायता मिलती है जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, रुमेटाइड, आदि में | इसी अतिरिक्त जोड़ो कि गति में सुधार करके जोड़ो के दर्द में राहत प्रदान करता है | वायु मुद्रा शरीर कि मांसपेशियों को मजबूत बनाने के साथ ही शरीर में होने वाले रक्त संचरण को बढ़ाने से शरीर में पोषक तत्वों को सभी भागो में पहुँचाने से सम्पूर्ण स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिलता है |
तनाव से मुक्ति दिलाने में वायु मुद्रा के फायदे
वायु मुद्रा के नियमित अभ्यास से ब्लड सर्कुलेशन का फ्लो बढ़ने लगता है जिसके कारण मेलाटोनिन हार्मोन का अधिक स्त्राव होने लगता है | ऐसे में जब मेलाटोनिन हार्मोन का अधिक मात्रा में स्त्राव होने लगता है तो स्वत: ही तनाव में कमी आने लगती है इसी बढे हुए मेलाटोनिन हार्मोन ब्लड के साथ मिलकर सम्पूर्ण तंत्रिका तंत्र को अपना काम सुचारू रूप से करने के लिए प्रेरित करता है जिससे बढ़ा हुआ तनाव पूरी तरह से समाप्त हो जाता है |
हेयर ग्रोथ के लिए वायु मुद्रा
आप में से बहुत सारे लोग ये भलीभांति जानते होंगे कि बालो तक प्रॉपर पोषण नहीं पहुंचने से हेयर ग्रोथ रुकने लगती है ऐसे में वायु मुद्रा के अभ्यास से वायु का संचार बेहतर तरीके से होने लगता है और जब वायु का संचार बिना अवरोध के होने लगता है ऐसे में रक्त संचरण भी बेहतर हो जाने से ब्लड के द्वारा सभी आवश्यक पोषक तत्व बालो तक पहुँचने से बालो का झड़ना रुक कर बालो कि ग्रोथ होने लगती है |
पार्किन्सन के लिए वायु मुद्रा
पार्किन्सन रोग का मुख्य कारण होता है नर्वस सिस्टम का कमजोर होना और नर्वस सिस्टम कमजोर होता है जब वात अर्थात वायु प्रकुपित हो जाती है ऐसे में शरीर के अंगो में कमजोरी कि वजह से प्रारम्भ में हल्का कम्पन्न शुरू होने लगता है ऐसे में यदि शुरुआत में ही इस रोग पर ध्यान दिया जाये तो नर्वस सिस्टम में सुधार के लिए योगेन्द्र रस , रसराज रस आदि के सेवन के साथ ही वायु मुद्रा का अभ्यास करना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है |
वजन घटने में वायु मुद्रा के लाभ
जिन लोगो का वजन वायु के प्रकुपित होने के कारण बढ़ने लगता है ऐसे लोगो को वजन घटाने में वायु मुद्रा का नियमित अभ्यास लाभ देता है जिसका कारण है इस मुद्रा के अभ्यास से पाचन संस्थान में सुधार हो जाने से शरीर में विषाक्त पदार्थ इकट्ठे नही होंगे और जब विषाक्त पदार्थ इकट्ठे नही होंगे तो शरीर में वसा का जमाव भी नहीं होता है | और जिनके शरीर में वसा का जमाव हो चूका हो ऐसे लोग इसका अभ्यास करने अपना वजन घटा सकते है |
स्लिप डिस्क में वायु मुद्रा के फायदे vayu mudra benefits for slip disc
स्लिप डिस्क मुख्त्य: वायु विकार से उत्पन्न हुई समस्या है जिसके इलाज के लिए बढ़ी हुई वायु को सामान्य अवस्था में लाने के बाद ही अन्य इलाज काम करते है ऐसे में स्लिप डिस्क को ठीक करने के लिए वायु मुद्रा का नियमित अभ्यास के साथ पंचकर्म चिकित्सा लेने से स्लिप डिस्क पूरी तरह ठीक हो सकता है |
साइटिका दर्द के लिए मुद्रा mudra for sciatica pain
वास्तव में साइटिका वात अर्थात वायु का साइटिका नर्व में जमाव हो जाने से ब्लड सर्कुलेशन असामान्य हो जाने से साइटिका नर्व इ असहनीय दर्द कि समस्या होने लगती है ऐसे में वायु मुद्रा के अभ्यास के साथ ही यदि आप सूर्यनमस्कार का अभ्यास करते हो तो आपको साइटिका से छुटकारा मिल सकता है |
स्पाइन एलाइनमेंट के लिए बेस्ट मुद्रा best mudra for spine alignment
जिन लोगो का स्पाइन का एलाइनमेंट बिगाड़ा हुआ हो उनको सबसे पहले अपनी दिनचर्या में सुधार करते हुए वायु मुद्रा का अभ्यास उनके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है ऐसे में वायु मुद्रा के साथ धनुरासन, कटी चक्रासन, सूर्यनमस्कार प्राणायाम, ध्यान आदि करने के बाद वायु मुद्रा का अभ्यास अधिक लाभ देता है |
कमर दर्द के लिए मुद्रा best mudra for back pain
जिन लोगो को back pain कि समस्या रहती है ऐसे लोगो के लिए वायु मुद्रा अत्यंत फायदेमंद साबित हो सकती है मांसपेशियों में खिंचाव के चलते कमर में दर्द होने लगता है ऐसे में वायु मुद्रा का अभ्यास कमर दर्द से निजात दिलाने में सहायक सिद्ध हो सकता है |
वायु मुद्रा से सम्बंधित पूछे जाने वाले प्रश्न –
वायु मुद्रा कौन कर सकता है ?
जो लोग वात रोगों से पीड़ित है या आपको वायु से सम्बंधित किसी भी प्रकार का विकार है तो आपके लिए वायु मुद्रा करना ठीक रहेगा सामान्य तौर पर प्रत्येक स्वस्थ्य व्यक्ति भी वायु मुद्रा कर सकता है |
वायु मुद्रा कौन नहीं कर सकते ?
चोट और सर्जरी हुई लोगो को वायु मुद्रा नही करनी चाहिए साथ ही जिन लोगो कि हथेलियों कलाई और अंगुलियो में चोट लगी हो तो यह नही करनी चाहिए |
वायु मुद्रा करने का सही समय क्या है ?
सुबह या शाम जब भी आप पूरी तरह खाली पेट हो अर्थात खाना खाने के 4 घंटे बाद करना अधिक फायदेमंद होता है | सामान्यत: हल्का खाने के बाद भी आप इसका अभ्यास कर सकते हो किंतु लाभ थोडा कम मिलता है |
वायु मुद्रा कितनी देर तक करनी चाहिए ?
20-25 मिनट तक इसका अभ्यास कर सकते हो |
दर्द के लिए कोनसी मुद्रा अच्छी होती है?
शून्य वायु मुद्रा दर्द के लिए अच्छी होती है |
वायु मुद्रा का उपयोग कब करे ?
यदि आप सुबह अमृत वेला अर्थात बृहम मुहूर्त में करते हो तो सबसे अधिक लाभ मिलने कि सम्भावना रहती है |
क्या हम सोते समय वायु मुद्रा कर सकते है ?
जी हा , वायु मुद्रा सोते, बैठते, चलते किसी भी समय कि जा सकती है |
धन्यवाद |