दशमूलारिष्ट क्या है ? Dashmularishta kya hai?
Dashmularishtha ke fayde : आयुर्वेद में वात रोगों की चिकित्सा में दशमुलारिष्ट के फायदे के बारे में आप किसी भी आयुर्वेद चिकित्सक से गुणगानो की चर्चा भलीभांति सुन सकते हो | वात रोगों के अलावा यदि हम इसके फायदों की बात करे तो शारीरिक कमजोरी, प्रसव पीड़ा, पुरुष रोग,पीरियड्स से सम्बन्धी समस्या आदि में उपयोग किया जाता है | भैषज्य रत्नावली के वाजीकर्ण अध्याय में दशमूलारिष्ट के फायदे ( Dashmularishtha ke fayde ) व नुकसान के बारे में वर्णन किया गया है |
दशमुलारिष्ट के आधार पर ही आप आईडिया लगा सकते है की इसका निर्माण दस जड़ी बूटियों के मूल अर्थात जड़ से तैयार किया जाता है | जिसमे पांच लघु पंचमूल और पांच वृहत पंचमूल को मिलाकर दशमूलारिष्ट का निर्माण किया जाता है | आगे आपको बतायेंगे दशमूलारिष्ट बनाने की विधि, घटक द्रव, फायदे व नुकसान आदि के बारे में विस्तार से –
दशमूलारिष्ट के घटक द्रव ingredients of Dashmularishta in hindi
दशमूलारिष्ट का नाम से ही मालूम चलता है की दस मूल के मिश्रण से तैयार किया जाता है किन्तु ऐसा नही है इसमे दशमूल के अलावा भी अन्य जड़ी बूटियों के द्वारा तैयार किया जाता है इसमें उपयोग की जाने वाली औषधियों के बारे में आगे जानकारी दी गयी है |
- अश्वगंधा
- गिलोय
- मंजिष्ठा
- बिल्व
- श्योनाक
- गंभारी
- पाटला
- अग्निमंथ
- शालपर्णी
- प्रशंपर्णी
- कंटकारी
- गोखरू
- चित्रक
- पुष्करमूल
- लोध्र
- दुर्लभा
- खदिर
- हरीतकी
- कुष्ठ
- देवदारु
- विडंग
- बिभीतक
- रक्त पुनर्नवा
- चव्य
- प्रियांगु
- श्वेत सारिवा
- कृष्ण जीरा
- त्रिवृत
- रास्ना
- नागकेशर
- मेदा
- इंद्रयव
- रिषभक
- करकटश्रृंगी
- मुस्ता
- द्राक्षा
- काकोली
- जातिफल
- शुष्कमैला
- पिप्पली
- कस्तूरी
- शहद आदि महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों के मिश्रण से बनाया जाता है | इसी लिए दशमूलारिष्ट इतने रोगों में लाभदायक सिद्ध होती है |
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डाबर दशमूलारिष्ट बनाने की विधि
उपर दी गयी जड़ी बूटियों के अनुपात का 16 गुना पानी डालकर का क्वाथ बनाया जाता है उसके बाद चौथा भाग बचने तक उबाला जाता है | जब एक चौथाई शेष रह जाता है तब स्वांगशीत होने तक छोड़ दिया जाता है | यह प्रक्रिया करने के बाद गुड और द्राक्षा का चार गुना जल में पाक किया जाता है उसके बाद इसे संधान के लिए संधान के लिए उपयुक्त बर्तन में डालकर उसके मुह को अच्छे से बंद कर दिया जाता है | और जमीन के अंदर जहां रौशनी धुप ना लग सके ऐसे जगह पर गाड़ के छोड़ दिया जाता है एक महीने के बाद इसका परिक्षण करने के बाद इसको किसी कपडे से छानकर कांच के बर्तन में रख लिया जाता है और मात्रा के अनुरूप कांच की बोत्तल में भरकर रोगियों को सेवन के लिए दिया जाता है |
अब आगे आपको बतायेंगे Dashmularishtha ke fayde किन-किन रोगों में होते है –
दशमूलारिष्ट के फायदे Dashmularishtha ke fayde in hindi
आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्रों में दशमूलारिष्ट को अनेको रोगों में Dashmularishtha ke fayde है | शारीरिक कमजोरी, पुरुष रोगों, गठिया, पाचन को सुधरने आदि में लाभदायक परिणाम देखे गये है | आगे जानेंगे दशमूलारिष्ट के फायदे के बारे में विस्तार से –
पाचन को सुधारने में फायदे
डिलेवरी के बाद अक्षर देखा जाता है की महिलाएं पाचन सम्बन्धी समस्याओ से परेशान रहती है ऐसे में आप Dashmularishtha ke fayde ले सकती है क्योकि दशमूलारिष्ट डिलेवरी के बाद के पाचन सम्बन्धी रोगों में भूख नही लगना आदि में फायदेमंद परिणाम देने वाली आयुर्वेद औषधि है |
आर्थराइटिस में फायदे
स्ट्रेस से छुटकारा दिलाने में Dashmularishtha ke fayde
दशमूलारिष्ट का सेवन करना महिलाओ को मानसिक रूप से शक्ति प्रदान करता है जिससे दिमाग और शरीर दोनों मजबूत हो जाता है | यह मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ ही साथ शरीर को पुन: नया बनाने में भी सहायक सिद्ध होता है |
स्किन रोगों में फायदे
यह शारीरिक बल प्रदान करने के साथ साथ स्किन को ग्लो देने का काम भी करता है जिससे आपको यदि काले धब्बे, डार्क सर्कल जैसी समस्या है तो आपके लिए यह काफी हेल्पफुल हो सकता है |
दर्दनाशक है दशमूलारिष्ट
शरीर में होने वाले दर्द में दशमूल काढ़े का प्रयोग आमतौर पर किया जाता है | जबकि दशमूलारिष्ट में दशमूल काढ़े के अलावा भी बहुत सारी जड़ी बूटियों का मिश्रण है ऐसे में शरीर में होने वाले भयंकर से भयंकर दर्द में आप Dashmularishtha ke fayde ले सकते है |
शारीरिक कमजोरी में लाभदायक
यदि आप अंग्रेजी दवा खा खाके थक चुके हो और आपको शारीरिक कमजोरी का स्थाई समाधान नहीं मिल पा रहा है तो आप अपने नजदीकी चिकित्सक से परामर्श कर Dashmularishtha ke fayde लेके अपनी शारीरिक कमजोरी को हमेशा के लिए ठीक कर सकते हो |
प्रसव में हेल्पफुल है दशमूलारिष्ट
डिलेवरी के बाद शारीरिक कमजोरी अधिक हो जाने के कारण हल्का बुखार होना सामान्य होता है ऐसे में आपको जरुरुत होती है दशमूलारिष्ट का सेवन करने की क्योकि आयुर्वेद शास्त्रों में कहा भी गया है की प्रसव के बाद महिलाओ को बल्य औषधियों का सेवन करना उनके स्वास्थ्य की दृष्टि से अधिक सुरक्षित रहता है क्योकि शारीरक कमजोरी के साथ प्रसव पश्चात होने वाली समस्याओ से सुरक्षा करता है दशमूलारिष्ट | ऐसे में आप आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श करके Dashmularishtha ke fayde ले सकती है जिससे आपका स्वास्थ्य प्रसव के बाद भी बेहतर बना रहे |
पीरियड्स के लिए दशमूलारिष्ट के फायदे
यदि आप पीरियड्स के दर्द से बहुत अधिक परेशान रहती हो या फिर यु कहें की पीरियड्स सही तरह से नही आते है महीने में कभी पहले तो कभी बाद में आते है ऐसी स्थिति में आपको Dashmularishtha ke fayde ले कर अपनी पीरियड की समस्याओ से छुटकारा पा सकती हो | 2016 में हुए एक रिसर्च में सामने आया है की दशमूलारिष्ट का सेवन करने से प्रसव के पश्चात होने वाले पीरियड्स के दर्द को कम करने में सहायक औषधि है |
दशमूलारिष्ट का सेवन कैसे करे
किसी भी आयुर्वेद औषधि का सेवन करने का तरीका रोगी व्यक्ति की उम्र और वजन के आधार पर निश्चित किया जाता है | आमतौर पर दशमूलारिष्ट का सेवन 15-20 मिली की मात्रा में समान भाग जल मिलाकर खाने के बाद किया जाता है | किन्तु आपकी शारीरिक बीमारी को देखते हुए आयुर्वेद चिकित्सक आपको अलग तरह से भी Dashmularishtha Uses hindi करवा सकता है |
दशमूलारिष्ट के नुकसान
वैसे तो आपको बता दे की आयुर्वेद औषधियों का सेवन यदि आप आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में करते हो तो
दशमूलारिष्ट price
सवाल-जवाब (FAQs) – दशमूलारिष्ट से सम्बंधित पूछे जाने वाले सवाल
दशमूलारिष्ट कब पीना चाहिए ?
दशमूलारिष्ट का सेवन खाना खाने के बाद 15-20 मिली की मात्रा में बराबर जल के साथ सेवन करना ठीक रहता है क्योकि इसका कोम्बिनेशन स्ट्रोंग होता है इसलिए इसके सेवन करने के लिए या यु कहें दशमूलारिष्ट खाना खाने के बाद पीना चाहिए |
दशमूलारिष्ट पुरुषो के लिए ही होती है ?
नही ऐसा नही है दशमूलारिष्ट पुरुष और महिला दोनों के लिए होती है किन्तु हा जिन पुरुषो में टेस्टोस्टेरोन की कमी होती है उन पुरुषो के लिए तो यह किसी वरदान से कम नही है |
दशमूलारिष्ट कब नही पीना चाहिए ?
दशमूलारिष्ट खाना खाने से पहले नही पीने की सलाह दी जाती है | क्योकि यह संधारण विधि से तैयार की जाती है ऐसे में आयुर्वेद शास्त्रों में स्पष्ट रूप से कहा गया है की आसव और अरिष्ट का सेवन खाने के पश्चात ही करना बेहतर रहता है |
दशमूलारिष्ट की तासीर क्या है ?
दशमूलारिष्ट की तासीर शीतोष्ण होती है इसी लिए इसका उपयोग किसी भी ऋतू में महिला और पुरुष किसी भी परिस्थिति में आसानी से बिना किसी व्यवधान के कर सकते है |
प्रसव के बाद दशमूलारिष्ट कितने दिन तक लेना चाहिए ?
प्रसव के बाद दशमूलारिष्ट लेना का सही समय महिला की शारीरिक स्थिति उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर चिकित्सक ही सही समय का निर्धारण कर सकता है | किन्तु 4-6 महीने तक दशमूलारिष्ट का सेवन किया जा सकता है |
दशमूलारिष्ट किसे नहीं लेना चाहिए ?
5 वर्ष से कम उम्र के बच्चो को दशमूलारिष्ट के सेवन के लिए योग्य नहीं माना जाता है |
दशमूलारिष्ट के परहेज क्या क्या है ?
दशमूलारिष्ट का उपयोग करते समय मदिरा का सेवन नही करना चाहिए साथ ही ध्यान रहे खट्टी वस्तुओ के सेवन से बचना चाहिए |
क्या दशमूलारिष्ट की लत लग सकती है |
नही ! ऐसा नही है यह मादक औषधि नही है जिसकी लत लग सकती है | फिर भी ध्यान रहे लम्बे समय तक सेवन करने की स्थिति में चिकित्सक से परामर्श करते रहना बेहतर होता है |
स्तनपान कराने वाली महिला दशमूलारिष्ट का सेवन कर सकती है ?
जी हां ! बिलकुल कर सकती है | क्योकि दशमूलारिष्ट स्तनपान के दोरान दूध बढ़ाने में सहायक होती है | साथ ही स्तनपान के समय आने वाली कमजोरी से राहत दिलाने में भी हेल्पफुल साबित होता है |
गैस बनने में दशमूलारिष्ट का सेवन कर सकते है ? Dashmularishtha ke fayde
जी है ! बिल्कुल कर सकते है | दशमूलारिष्ट का सेवन पेट सम्बन्धी रोगों में अत्यंत फायदेमंद साबित हो सकता है यदि आप चिकित्सक के परामर्श के बाद यदि आप इसका सेवन करते हो तो गैस में Dashmularishtha ke fayde जानकर आप हैरान हो जायेंगे |