मधुमेह परिचय
वर्तमान समय में बिगड़ी हुई दिनचर्या अनेको लाइफस्टाइल डिसऑर्डर सम्बन्धी अनेको रोगों को निमंत्रण दे रही है जिनमे मधुमेह भी एक बहुत भयंकर रोग है | मनुष्य शरीर में पैंक्रियाज ठीक से कार्य नही करता है ऐसी स्थिती में इन्सुलिन की ठीक से सप्लाई नही होने से रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढना चालू हो जाता है |
इन्सुलिन एक पाचक हार्मोन होता है | जो हमारे द्वारा लिए हुए भोजन से पोषक तत्वों को हमारे शरीर के विकास के लिए एनर्जी में परिवर्तित करता है | इन्सुलिन ही रक्त में शुगर के स्तर को संतुलन में बनाये रखता है | वर्तमान समय में पश्चिमी देशो के रहन-सहन खान-पान का प्रचलन भारतीयों में अधिक बढ़ रहा है | जिसका ही दुष्परिणाम है की अनेको बीमारिया हमे उपहार स्वरुप मिल रही है |
वर्तमान युवा पीढ़ी शारीरिक परिश्रम बिलकुल भी नही करना चाहती है | जिस व्यक्ति को मधुमेह घेर लेता है, उसको उपहार स्वरूप अनेको बीमारियाँ जैसे लीवर, किडनी, नेत्र, आँख, उच्च-रक्तचाप आदि मिलती है | पहले तो यह रोग केवल प्रोढ़ावस्था के बाद देखने को मिलता था किन्तु अब यह स्थिती हो गई है की जन्मजात बच्चो में भी यह आसानी से मिल जाती है |
मधुमेह के प्रकार
मधुमेह के दो प्रकार होते है |
1.टाइप -1 :-यह वंशानुगत होती है जिनके माता पिताओ को डायबिटीज होती है संभवत: उनको डायबिटीज होने का खतरा अधिक रहता है |
2.टाइप -2 :- यह बिगड़ी हुई जीवनशैली की वजह से होती है | जो लोग फास्टफूड प्रेमी होते है ,साथ ही अपनी सम्पुर्ण दिनचर्या को आलसी बनाते हुए जीते है किसी प्रकार का कोई शारीरिक श्रम नही करते है | लगातार मानसिक तनाव में रहते हुये कार्य करते है उन्हें टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा अधिक रहता है |
मधुमेह की प्राकृतिक चिकित्सा
- सबसे पहले एनिमा के द्वारा पेट की सफाई करे |
- योगाभ्यास , प्राणायाम व षट्कर्म का अभ्यास करे |
- एनिमा से पेट साफ कर लेने के बाद 5:3 के अनुपात में पेट पर गर्म ठंडी पट्टी लगाये |
- मधुमेह स्पेशल अभ्यंग जो की पैंक्रियाज को अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है |
- मधुमेह की प्राकृतिक चिकित्सा प्रारम्भ करते समय प्रारम्भ के 10 दिनों तक पॉइंट to पॉइंट अभ्यंग करवानी चाहिए |
- NAVAL थेरेपी अभ्यंग के शुरुआत में करनी चाहिए |
- सप्ताह में कम से कम एक दिन सम्पुर्ण बालू स्नान लेना चाहिए |
- रोगी की पृकृति के अनुरूप उसके खाने में खाद्य पदार्थो को सम्मिलित करवाना चाहिए |
मधुमेह में आहार चिकित्सा
- प्रात:काल शोचादी से निवृत होने के बाद गिलोय+करेले के रस का उपयोग करना चाहिए |
- सप्ताह में तीन दिन विल्व पत्र ,जामुन पत्र, आम पत्र ,नीम पत्र,सहन्जन पत्र आदि को सिल-बट्टी पर चटनी बनाकर गुनगुने पानी में मिलाकर छानकर लेना बहुत ही लाभदायक रहता है |
- सुबह के नास्ते में अंकुरित अनाज , दाल, भीगे बादाम, सत्तू आदि को शामिल करना चाहिए | साथ ही छाछ को अवश्य सम्मिलित करे |
- एक निश्चित समयांराल में कुछ हल्का अपक्वाहार लेते रहना चाहिए |
- मधुमेह डायबिटीज स्पेशल आटा घर पर तैयार करे
- गेहू -4 किग्रा
- जौ -1 ½ किग्रा
- इंद्र जौ -1/2 किग्रा
- चना -1 किग्रा
- बाजरा/ज्वार -1 किग्रा
- रागी -1 किग्रा
- मैथी -1 किग्रा
- घर से बहार के खाने को अवॉयड करे |
- किसी भी प्रकार के धुम्रपान शराब आदि का सेवन तुरंत बंद कर देना चाहिए |
- अधिक से अधिक अपक्वाहार का सेवन करना चाहिए |
- कच्चे फल व सब्जियों जैसे पपीता नाशपाती, मोषमी, अमरुद, जामुन, खरबूजा, निम्बू, आंवला, टमाटर, बेंगन, शलगम, फूलगोभी, करेला, लोकी, मैथी, पालक, तुरई, आदि का सेवन अधिक करना चाहिए |
- अधिक कैलोरी युक्त खाने का सेवन नही करना चाहिए |
मधुमेह में किये जाने वाले प्रमुख योग
- कटिचक्रासन
- पादहस्तासन
- वीरभद्रासन
- सुप्तवज्रासन
- मंडूकासन
- अर्धहलासन
- हलासन
- सर्वांगासन
- पवनमुक्तासन
- नोका संचालन
- शलभासन
- अश्वसंचलासन
- अर्धमत्स्येन्द्रासन
- धनुरासन
- कपालभाती (षट्कर्म )
- अनुलोम-विलोम
- भ्रामरी
मधुमेह में सावधानिया
- तनाव से बचना चाहिए |
- कैफीन युक्त चाय के सेवन से बचे |
- मीठे फलो के सेवन से बचे |
- आम, केले, अंगूर, सेब, खजूर आदि के सेवन से बचना चाहिए |
- अपने आहार में मिठाइयो को सम्मिलित करने से बचे |
- अपनी दिनचर्या को नियमित रूप से स्वस्थता बनाये रखने वाली बनाये रखे |
- अपनी नियमित जांचे करवाते रहे |
- चिकित्सक के सम्पर्क में रहे |
यह केवल सामान्य जानकारी है उपयोग से पहले चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले |
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धन्यवाद !