माणिक्य रस के फायदे: राजयक्ष्मा यानी टीबी जैसी व्याधि के लिए आयुर्वेद के माणिक्य रस का उपयोग प्राचीन समय से किया जा रहा है। यह आयुर्वेद की एक क्लासिकल मेडिसिन है। जिसका प्रयोग विशेष कर कफ जनित व्याधियों तथा टीबी रोग के लिए किया जाता है। इसके साथ ही यह शरीर में बल वृद्धि कर शरीर को हष्ट-पुष्ट भी बनता है। जो लोग शीघ्रपतन की समस्या से पीड़ित रहते हैं उनके लिए भी माणिक्य रस काफी फायदेमंद है क्योंकि इसके अंदर वीर्य का स्तंभन करने का गुण विद्यमान होता है।
आज इस आर्टिकल में हम आपको माणिक्य रस के घटक द्रव्य, निर्माण विधि तथा टीबी रोग के अतिरिक्त यह किन-किन रोगों में काम में लिया जाता है तथा इसके गुण व उपयोग आदि के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक देंगे। अतः यह जानने के लिए आप इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़ें।
Read More:
- सुवर्ण मालिनी वसंत रस के घटक द्रव्य, निर्माण विधि तथा गुण व उपयोग
- Kamdudha Ras Uses in Hindi – कामदुधा रस के उपयोग, घटक, फायदे एवं नुकसान
- आनंदभैरव रस के फायदे – Anand Bhairav Ras Benefits in Hindi
- Kafketu Ras Uses in Hindi | कफकेतु रस के उपयोग, घटक द्रव्य, खुराक एवं फायदे
- चन्द्रामृत लौह के फायदे, घटक द्रव्य और निर्माण विधि तथा गुण व उपयोग
माणिक्य रस के घटक द्रव्य | Ingredients of Manikya Rasa
माणिक्य रस को बनाने के लिए पारद और गंधक की कज्जली बनाकर काम में ली जाती है तथा इसके अलावा कुछ अन्य घटक द्रव्य भी काम में लिए जाते हैं। जो इस प्रकार हैं –
- शुद्ध पारद-8 तोला
- शुद्ध गंधक-8 तोला
- शुद्ध मैनशिल – 8 तोला
- शुद्ध नाग(शीशा)- 8 तोला
माणिक्य रस की निर्माण विधि | How to make
- सबसे पहले माणिक्य रस बनाने के लिए बताई गई सभी औषधीय को उनकी मात्रा के अनुसार इकट्ठा कर लें।
- अब नाग अर्थात शीशा को बताई गई मात्रा के अनुसार लेकर पिघला लें।
- अब इस पिघले हुए शीशा को पारद में डालकर अच्छी तरह से घोट लें।
- अच्छी तरह से जांच कर लें कि पारद में शीशा मिल गया है या नहीं।
- जब अच्छी तरह से पारद में शीशा मिल जाए तो उसमें गंधक मिलकर कज्जली बन ले।
- जब कज्जली तैयार हो जाए तो उसमें शुद्ध मैनशिल मिलाकर कपड़े मिट्टी की हुई कांच की सीसी में भरें।
- आप इस कांच की सीसी को बालुका यंत्र में रखकर 16 प्रहर तक लगातार आंच देते रहे।
- अब इस कांच की सीसी को अच्छी तरह से पकड़कर नीचे उतार ले।
- जब यह कांच की सीसी अच्छी तरह से ठंडी हो जाए या शीतल हो जाए तो इस सीसी के गले में लगे रस को निकाल कर सुरक्षित रख ले।
- यह रस मणि अर्थात मोती के समान चमकदार होता है, इसे ही माणिक्य रस कहा जाता है।
माणिक्य रस के गुण व उपयोग , माणिक्य रस के फायदे | Manikya Ras Uses in Hindi
माणिक्य रस के बारे में जैसा कि हमने आपको पूर्व में भी बताया है कि यह कफ जनित व्याधियों तथा टीबी रोग में विशेष रूप से कम में लिया जाता है, परंतु इसके अतिरिक्त यह कुछ अन्य रोगों में भी काम में लिया जाता है। जिनके बारे में हम आपको जानकारी देने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं माणिक्य रस के गुण व उपयोग के बारे में-
- यह राजयक्ष्मा अर्थात टीबी को दूर करता है।
- टिबी रोग के कारण शरीर में आई कमजोरी को दूर करके बल वृद्धि कर शरीर को हष्ट-पुष्ट बनता है।
- अस्थमा, खांसी तथा शुक्र विकार आदि रोगों को भी दूर करता है।
- जिन पुरुषों में शीघ्रपतन की समस्या रहती है वह यदि नियमित रूप से पथ्य पूर्वक माणिक्य रस का सेवन करें तो वीर्य का स्तंभन होकर शरीर की निर्बलता को दूर करता है।
- खांसी और टीबी के लिए यह बहुत ही सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेद मेडिसन है।
- कई बार पित्त के प्रकुपित होने के कारण कफ सुखकर छाती में जम जाता है और लगातार सूखी खांसी आती रहती है। कई बार बीच-बीच में शांत हो जाती है तथा फिर से आने लगती है। ऐसी स्थिति में यदि माणिक्य रस का प्रयोग शहद के साथ किया जाए तो तुरंत ही लाभ मिलता है।
- कई बार लगातार लंबे समय तक बुखार रहने के कारण तथा साथ ही में खांसी बनी रहने के साथ-साथ शरीर में दिन प्रतिदिन कमजोरी आ जाती है और कफ भी बढ़ रहा होता है तथा पसीना रात में अधिक आता है। ऐसी स्थिति में माणिक्य रस का प्रयोग वसंत मालती रस के साथ मिलाकर करने से जल्द ही लाभ देखने को मिलता है।
- माणिक्य रस का प्रयोग वसंत मालती रस के साथ मिलाकर करने पर शरीर में बढा हुआ कफ कम हो जाता है और बुखार की गर्मी भी कम होने लगती है तथा धीरे-धीरे शरीर में कुछ बल का संचार होने लगता है।
- यकृत विकार की स्थिति उत्पन्न होने पर माणिक्य रस का प्रयोग सौम्य औषधीयो के साथ करने से लाभ देखने को मिलता है।
- माणिक्य रस का प्रयोग लगातार कुछ समय तक करने से खांसी, बुखार जैसे रोग तो दूर होते ही हैं इसके साथ ही शीघ्रपतन भी दूर होता है।
- यह शरीर में बल वृद्धि करके शरीर को हष्ट-पुष्ट बनता है तथा वीर्य स्तंभन का कार्य करता है।
माणिक्य रस की सेवन विधि, मात्रा व अनुपान | Dosage
- माणिक्य रस का सेवन 125 – 125 mg की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर करें।
- माणिक्य रस का उपयोग मक्खन व मिश्री के साथ मिलाकर भी किया जा सकता है ।
- इसके अतिरिक्त आप माणिक्य रस का प्रयोग रोग के अनुसार अर्थात पित्त दोष की स्थिति में सौम्य औषधीयो के साथ कर सकते हैं।
- इसके अतिरिक्त आप रोग के अनुसार डॉक्टर से परामर्श लेकर माणिक्य रस का उपयोग कर सकते हैं।
Note: ध्यान दीजिये यह औषधि रस प्रकरण की दवा है । अत: इसे बिना चिकित्सकीय उपयोगों के प्रयोग करना उचित नहीं है । अगर आपको इसे सेवन करना है तो निश्चित रूप से आयुर्वेदिक वैद्य से सलाह मशवरा करके दवा का प्रयोग करना चाहिए । क्योंकि रोग एवं रोगी की प्रकृति के हिस्साब से ही औषधि की मात्रा एवं अनुपान का सही निर्धारण हो सकता है ।
धन्यवाद ।