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नस्य का परिचय , प्रकार , नस्य के फायदे व सावधानिया

नस्य का परिचय , नस्य के फायदे व सावधानिया Nasya in hindi

परिचय :-“नस्ति अनासित ननास नेसतु:”

नस्य कर्म Nasya hindi
file – swadeshi upchar

जिस प्रक्रिया में ओषध सिद्ध योगो को नासा मार्ग से ग्रहण किया जाता है उसे नस्य कहा जाता है | नस्य Nasya hindiको अनेको नामों से भी जाना जाता है जैसे नस्त:कर्म, शिरोविरेचन, मूर्ध विरेचन, शिरोविरेक आदि |

नस्य को उर्ध्वजत्रुगत रोगों का दुश्मन कहा जाता है | नस्य में नासिका द्वारा ओषध को डाला जाता है जो गर्दन से उप्पर के सभी रोगों में रामबाण का काम करती है |

स्वसन सम्बन्धी रोगों , नासिका से सम्बंधित रोगों , कान के रोगों , नेत्र रोगों , बालो से सम्बंधित रोगों , मष्तिष्क से सम्बंधित रोग सरेब्ल पाल्सी , न्यूरोलोजी जबड़े से सम्बन्धी रोगों व सभी प्रकार के मानसिक विकारो में में नस्य Nasya hindi का अपना एक अलग ही स्थान है | 

नस्य कर्म के प्रकार types of Nasya in hindi

आयुर्वेद शास्त्र में नस्य के तीन प्रधान भेद बताये गये है किन्तु आश्रय भेद से सात प्रकार के नस्य का वर्णन किया जाता है जो इस प्रकार है –

1 .पुष्प नस्य :-

लोध्र , निम्ब , अनार आदि के फूलो के स्वरस को नासिका छिद्रों में डाला जाता है जो की पुष्प नस्य के नाम से पुकारा जाता है |

2. फल नस्य :-

 फलो के द्वारा दिया जाने वाला नस्य फल नस्य कहलाता है |

3. पत्र नस्य :-

तुलसी अनार सप्तवर्ण , तालिशपत्र आदि के पत्तो से जो नस्य दी जाती है वह पत्र नस्य है |

4. मूलनस्य :-

अर्क करंज , ब्राम्ही आदि के मूल से दिया जाने वाला नस्य मूल नस्य कहलाता है |

5. त्वक नस्य :-

जिस  नस्य में ओषधि की छाल के स्वरस को नासिका छिद्रों में टपकाया जाता है   त्वक नस्य कहलाती है |

6. निर्यास नस्य :-

जिस नस्य में पोधे के निर्यास को नासिका छिद्रों में टपकाया जाता है निर्यास नस्य के नाम से जाना जाता है |

 7. कंद नस्य

परिणाम भेद से नस्य के प्रकार  

आचार्य चरक ने नस्य के पांच प्रकार बताये है –

नावन नस्य :-

अंगुली को स्नेह आदि में डुबोकर या किसी ड्रॉपर की सहायता से नासिका छिद्रों में बूँद बूँद ओषध को टपकाया जाता है जिसे नावन नस्य (Nasya in hindi )कहा जाता है |

अवपीडन नस्य :-

नासिका में किसी ओषध आदि के कल्क को निचोड़कर उसका रस नासिका में डाला जाता है जिसे अवपीडन नस्य के नाम से जाना जाता है | अवपीडन नस्य में दूर्वा स्वरस , दूध , घी , अनार के पुष्प का स्वरस , आदि का प्रयोग किया जाता है |

ध्मापन नस्य :-

ध्मापन नस्य को प्रधमन नस्य भी कहा जाता है | किसी 6 अंगुल लम्बाई की नलिका से ओषध सिद्ध चूर्ण को नासिका में फूंका जाता है इसी को ध्मापन नस्य कहते है | इसका उपयोग मानसिक रोग जैसे अपस्मार , उन्माद , भ्रम आदि रोगों में किया जाता है |

धूम नस्य :-

दशमूल क्वाथ आदि को किसी पात्र में जला कर उसकी धुआं को नासिका द्वारा खींचने की प्रक्रिया को ही धूम नस्य कहा जाता है | धूम नस्य में ओषध सिद्ध धूआँ को नासिका से खिंच कर मुंह के द्वारा बहार निकाला जाता है |

मर्श नस्य :-

 दोनों नासिका छिद्रों में 10 -10 बूँद ओषध सिद्ध घृत या तेल की बूंदे डाली जाती है | यदि स्नेह की कुछ बूंदे रोज नासिका में डाली जाये उसे प्रतिमर्श नस्य कहा जाता है |

नस्य कैसे करे

नासिका छिद्र में ओषध सिद्ध तेल , घी , धूआँ या चूर्ण को एक निश्चित अनुपात में डाला जाता है | नासिका में डाले हुए ओषध को अन्दर लेने के बाद मुहं के द्वारा बहार निकाला जाता है  |

मुंह से ओषध को जैसे जैसे बहार निकाला जाता है उसके साथ साथ कफ भी बहार निकलता रहता है | जिससे कफज व्याधियो का शमन हो जाता है |

नस्य के फायदे

  • बालो का झड़ना :- नस्य Nasya in hindi के द्वारा सिर में विधमान कफ पोष्टिक तत्वों को बालो तक ठीक प्रकार से पहुंचने में अडचन पैदा करते है | नस्य कर्म से सिर में विधमान फक बहार निकाल दिया जाता है , कफ के बहार निकल जाने के बाद बालो को भलीभांति पोष्टिक तत्व मिलने लगते है जिससे बहुत कम समय में ही बालो का पकना और बालो का झड़ना रुक जाता है |
  • बालो का असमय सफेद होना :- असमय सफेद हुए बालो में नस्य करने के बाद बहुत जल्द चमत्कारिक प्रभाव देखने को मिलता है | वमन विरेचन आदि से शारिरिक शोधन करने के बाद नस्य कर्म करने से लाभ और भी जल्द मिलता है |
  • शिर:शूल |
  •  मन्यास्तम्भ ( गर्दन दर्द ) :- नस्य कर्म में उपयोग में लिए गये ओषध सिद्ध घृत और तेल को नासिका मार्ग से अन्दर पहुंचाया जाता है , नासिकाओ द्वारा डाली गयी ओषध गले गर्दन आदि में विधमान दोषों को बहार निकालने में कारगर साबित हुआ है | सर्वाइकल में षड्बिन्दु तेल का नस्य अत्यंत लाभदायक सिद्ध हुआ है |
  • आधाशीशी ( माइग्रेन )
  • चेहरे की सुन्दरता |
  • झुर्रिया |
  • आँखों के नीचे काले धब्बे ( डार्क सर्किल )
  • नजला |
  • सायनुसाईटिस |
  • पुरानी झुकाम |
  • नेत्र रोग |
  • बोद्धिक क्षमतावर्द्धक |
  • थाइरोइड नाशक |
  • नासाशूल आदि रोगों में लाभकारी सिद्ध होती है |
  • चहरे की सुन्दरता के लिए नस्य के फायदे :-
    • नस्य कर्म में उपयोग में ली गई ओषधिया गले से ऊपर विधमान कफ को खत्म कर देती है | गले सिर नासिका आदि में एकत्रित हुए कफ के साथ साथ अनेको प्रकार के टोक्सिंस या जहरीले पदार्थो का संग्रहण होता रहता है जिससे मुख मंडल की आभा सुन्दरता खत्म होने लगती है | नस्य कर्म के बाद ये सभी टोक्सिंस कफ के साथ बहार निकल जाते है परिणामस्वरूप धीरे धीरे चेहरे की चमक बढ़ते हुए वास्तविक सुन्दरता निकल कर सामने आती है जिससे आप बिना किसी मेकअप के भी हमेशा सुंदर बने रह सकते हो |

 आचार्यो ने नस्य का स्वरूप कान नाक गला  आँखों व मष्तिष्क से सम्बंधित रोगों के शमन के लिए बनाया गया है जिसमे नासिका के माध्यम से ओषध को शरीर के अन्दर प्रविष्ट करवाया जाता है |  जो कफ आदि संचित दोषों का शमन करके  सम्बन्धित रोगों से छुटकारा दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | 

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धन्यवाद !

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

Written by

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

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