icon

Getting all of the Ayurveda Knowledge from our Ayurvedic blog.

We are 5 year old website in Ayurveda sector. Providing you regular new article on Ayurveda. You can get Herbs, Medicine, Yoga, Panchkarma details here.

+91 9887282692

A 25 Flat 4, Shantinagar, Durgapura, Jaipur Pin code - 342018

साइटिका – जाने कारण, लक्षण एवं प्राकृतिक / आयुर्वेदिक उपचार

साइटिका के लक्षण

साइटिका / Sciatica in Hindi 

परिचय – साइटिका रोग मुख्य रूप से साइटिका नर्व जो त्रिकास्थि से प्रारंभ होती हुई नितंबों से पैर के निचले हिस्से तक जाती है  इसमे कुपित हुए वात का संचय होने का परिणाम है | यह प्रकुपित वात ही साइटिका नर्व के रक्तसंचार को अवरुद्ध कर देता है।

 

साइटिका नर्व मे प्रकुपित वायु के ठहरने पर बल का क्षय होने लगता हैं जिससे साइटिका नर्व मे दर्द/पीड़ा होने लगती हैं ओर धीरे धीरे यह पीड़ा असहनीय पीड़ा में बदल जाती हैं किन्तु जब मज्जा मे दूषित वात स्थिर हो जाता है तो पीडा कभी शांत नहीं होती ओर निरंतर बढ़ती ही जाती हैं।

जाने क्या होते है साइटिका के कारण ? / Cause of Sciatica in Hindi 

वात ही हमारे सम्पूर्ण शरीर में जहाँ जिस तत्व की आवश्यकता होती हैं वहां उसे पहुंचाता है |साथ ही विजातीय द्रव्यों और दूषित अणुओं को शरीर से बाहर निकालता है एवं मनुष्य को स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है |

किंतु जब यही बलवान वात रूखे, ठण्डे, हल्के और कडवे पदार्थ सेवन करने से, लंघन करने से, ऊँचे – नीचे मार्ग में चलने से, चिंता फिक्र करने से प्रकुपित हो जाता हैं जो शरीर के खाली स्रोतों या नसो मे भरकर अनेकों प्रकार के एकांगी व सर्वांगव्यापी रोगो की उत्पत्ति कर देता है जिनमें साइटिका भी शामिल है।

साईटिका के लक्षण /  Symptoms of Sciatica In Hindi 

साइटिका नर्व मे प्रकुपित वायु के ठहरने पर निम्न लक्षण उत्पन्न होते है

  • स्नायुओं मे वात के प्रकुपित होने से निरंतर शूल(दर्द)
  • आक्षेपक(cramp) अर्थात नशों में खिंचाव आना |
  • स्तंभ(freeze) या जकड़न आना |
  • कूल्हों की संधियों कमर, पीठ, ऊरू, जांघ ओर पैरों मै स्तब्धता(Stiffness) के कारण सूई चुभोने जैसी पीडा का अनुभव होना |
  • बल का क्षय होने से नींद नही आती |
  • कमर से पैरों के टखने तक का हिस्सा बेजान सा हो जाता हैं आदि लक्षण प्रकट होते है |

साईटिका के मुख्य उपचार / Sciatica Main Treatments 

गृध्रिशी या साइटिका (sciatica) मुख्य रूप से वात रोग होने के कारण इसकी चिकित्सा भी वात रोग के अनुसार ही करते हुए एनिमा के द्वारा पेट की सफाई करनी चाहिए तत्पश्चात सरसों के तेल मे लहसुन पकाकर तैयार किये हुए तैल सै नित्य 30 मिनट तक नीचे से ऊपर की ओर मालिश करने के पश्चात भाप स्नान देना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता हैं।

मिट्टी चिकित्सा से प्राकृतिक उपचार 

प्रभावित क्षेत्र पर मिट्टी का लेप लगाकर उपर से ठंडी पट्टी की लपेट 1-2 घंटे तक लगाने के बाद गुनगुने पानी से धोले ओर बाद मे सूती एवं मोटे कपडे से अच्छे से लाल होने थक रगडें।उपरोक्त चिकित्सा से शुरुआत से ही लाभ मिलना प्रारंभ होगा।

योग के द्वारा इलाज 

वज्रासन, उत्तानपादासन, गरुडासन, धनुरासन, अर्द्धमत्येन्द्रासन, उत्कटासन, अनुलोम विलोम, कपालभाति, एवं वायु मुद्रा का नित्य अभ्यास करें।

साइटिका के आयुर्वेदिक उपचार 

5 ग्राम सहंजन की छाल 1 ग्राम हींग 2 ग्राम सैंधा नमक को 200 मिली. पानी मे मंदाग्नि पर उबालें 50 मिली शेष रहने पर छानकर गुनगुने काढे का नियमित सेवन करें शीघ्र लाभ होगा।

अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आये या जानकारी स्वास्थ्यप्रद लगे तो कृपया इसे सोशल साईट पर शेयर जरुर करें |

धन्यवाद |

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

Written by

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

1 Comment
  • Mk Reply
    November 21, 2018

    Bhut acchi janiari

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
नमस्कार आप अपनी स्वास्थ्य संबंधिय समस्याएँ परामर्श कर सकते हैं । हमें जानकारी उपलब्ध करवाएं