परिचय
लाजवंती मुख्यरूप से उष्ण कटिबंधीय प्रदेशो में आसानी से उगने वाला क्षुप है | जो की अमेरिका व् ब्राजील में बहुतायत से पाया जाता है | इसके शर्मीले स्वभाव या यु कहें की छूने मात्र से इसकी पत्तिया सिकुड़ जाती है इसी लिए इसको छुईमुई या शर्मीली के नाम से भी जाना जाता है | लाजवंती के फायदे लेने के लिए इसकी पहचान अत्यंत आवश्यक है |
भारत भर में लाजवंती को आदिवासियो द्वारा छुईमुई के नाम से ही जाना जाता है जबकि आयुर्वेद शास्त्रों में लाजवंती के नाम से जाना जाता है | लाजवंती को भाषा व् स्थान विशेष के आधार पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है – जैसे लज्जालु, शामिपत्रा, रक्तपादी, खदिरका, लाजकुरी, रिसमनी, भुहरीझार, टोटावडी, अंग्रेजी में Sensitive Plant आदि | लाजवंती या छुईमुई का वैज्ञानिक नाम मिमोसा पुडिका (Mimosa Pudica ) है | लाजवंती के फायदे अधिक होने से इसे बहुउद्देशीय पोधा कहा जाता है |
छुईमुई का रासायनिक संघटन
लाजवंती के पत्तो में फ़िनालिक कीटोन, एड्रीनेलिन, मिमोसीन, स्टिग्मास्टेरोल, अल्केलाइन आदि |
पञ्चांग में टर्गोरीन्स, मिमोसीन, साईटोस्टिरोल, टैनिन, नोरपाईनफेरिन, जेंटिसिक अम्ल, D-पैनिटोल आदि पाए जाते है |
गुण- धर्म
लज्जालु: शीतला तिक्ता कषाया कफपित्तजित |
रक्तपित्तमतीसारं योनीरोगान विनाशयेत् || (भा.नि.गुदुच्चायादी वर्ग)
रस– कषाय, तिक्त
गुण– लघु रुक्ष
वीर्य– शीत
विपाक– कटु
प्रभाव– कफपित्तनाशक, रक्तशोधक, योनिरोग, व्रण आदि
लाजवंती के फायदे ( Benefits of Lajwanti (Sensitive Plant) In Hindi )
पुराने घाव को शीघ्र भरे छुईमुई
लाजवंती के बीज, भृंगराज, हरसिंगार के पत्तो से शोधित तेल को घाव पर लगाने से कुछ समय में ही पुराना घाव ठीक होने लगता है | साथ ही यदि लाजवंती के पत्ते भृंगराज के पत्ते व् अपामार्ग के पत्तो का पेस्ट बनाकर लगाने से अतिशीघ्र परिणाम देखे गये है |
गुर्दे की पथरी में लाजवंती के फायदे
यदि आप गुर्दे की पथरी से परेशान है तो छुईमुई की जड़ व् सह्न्जन की जड़ की छाल समान भाग लेकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम कुछ दिन सेवन करने से गुर्दे की पथरी गल कर निकल जाती है |
स्लिपडिस्क में फायदेमंद है छुईमुई
यदि आप कमर दर्द या स्लिपडिस्क की समस्या से परेशान है तो आपको छुईमुई का सेवन दर्द से राहत दिलाने में कारगर साबित होगा | लाजवंती, बेल फल मज्जा, मोचरस व मोरिंगा छाल को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाले | 5 ग्राम चूर्ण का सेवन शहद के साथ सुबह शाम करने से आराम मिलता है |
बवासीर में फायदेमंद है लाजवंती
पाइल्स की समस्या से निज़ात दिलाने में छुईमुई का आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रो में अत्यधिक प्रचलन है | लाजवंती के 5 ग्राम चूर्ण को दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर ठीक हो जाता है | लाजवंती के पत्तो के रस को सीधे ही मस्सो पर लगाने से मस्से ठीक हो जाते है |
बहुमूत्रता में फायदेमंद है लज्जालु
जिन लोगो को बार-बार पेशाब जाने की समस्या रहती है उन्हें लज्जालु अर्थात लाजवंती के पत्तो के पेस्ट को नाभि के निचले हिस्से में लेप करे साथ ही 20-25 मिली पत्तो के रस को सुबह शाम सेवन करने से बार-बार पेशाब आने की समस्या से छुटकारा मिल जाता है |
डायबिटीज में फायदेमंद है छुईमुई
जिन लोगो को डायबिटीज की समस्या हो उनको डायबिटीज को नियंत्रित करने में लाजवंती का काढ़ा सुबह शाम सेवन करने से कुछ ही दिनों में आराम मिलने लगता है | साथ ही अपनी दिनचर्या को सुधारना होगा |
स्तनों को सुडोल बनाये छुईमुई
छुईमुई की जड़, अश्वगंधा की जड़, नागार्जुनी की जड़ का पेस्ट बनाकर स्तनों पर लेप करके 30-45 मिनट के लिए छोड़ दे उसके बाद किसी सूती कपड़े से साफ करले | इस प्रयोग को करने से कुछ ही दिनों में महिलाओ के स्तनों का ढीलापन दूर होकर स्तन सुडोल होने लगते है |
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शारिरिक दुर्बलता दूर करे लाजवंती
जिन लोगो का शरीर अत्यंत कमजोर हो उनको इस प्रयोग को करने से वजन बढ़ाने में मदद मिलेगी | लाजवंती के बीज का चूर्ण अश्वगंधा व् असालिया सभी को समान मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करने से शीघ्र वजन बढने लगता है |
शुक्राणुओं की संख्या बढाये लाजवंती
लज्जालु की जड़ व् बीजो के समान भाग चूर्ण को मिश्री मिले दूध के साथ 45 दिनों तक ब्रह्मचर्या का पालन करते हुए सेवन करने से वीर्य पुष्टि होकर शुक्राणुओं की संख्या बढने की सम्भावना रहती है |
थाइरोइड में लाजवंती के फायदे
जिन महिलाओ को थाइरोइड की समस्या रहती है उन्हें लाजवंती के पत्ते कांचनार के पत्तो का पेस्ट बनाकर गले पर लगाने से थाइरोइड से उत्पन्न हुए सूजन से राहत मिलती है | यह पेस्ट जिन लोगो को टोन्सिल की समस्या रहती है उनके लिए भी फायदेमंद रहता है |
खांसी में छुईमुई के फायदे
आदिवासी क्षेत्रो में छुईमुई की जड़ को गले में बांधने से खांसी में बेहतर परिणाम मिलने की जानकारियाँ मिलती है |
त्वचा रोगों में लाजवंती के फायदे
छुईमुई में एंटीफंगल गुणों की प्रधानता साथ ही आदिवासी इलाकों में हर्बल मेडिसिन स्थानीय जानकार इसके पत्तो के रस का उपयोग चर्म रोगों में करवाते है और बेहतर परिणाम भी मिलते है |
किडनी सम्बन्धी रोगों में लाजवंती के फायदे
किडनी से सम्बंधित सभी प्रकार किस समस्याओ में लाजवंती पञ्चांग, गोखरू व् पुनर्नवा के काढ़े का सेवन अत्यंत लाभकारी साबित होता है |
योनिभ्रंश में छुईमुई के फायदे
जिन महिलाओ को गर्भाशय बहार निकलने की समस्या रहती है उनको लाजवंती के पत्तो का पेस्ट या जड़ का पेस्ट बनाकर बहार निकले हुए गर्भाशय पर लेप लगाकर हाथ से ऊपर की और धकेलकर कुछ देर आराम करे | इस प्रयोग से योनिभ्रंश या योनी का बहार निकलने की समस्या से राहत मिल जाता है |
वृषण/ अन्डकोशो की सूजन में छुईमुई के फायदे
जिन लोगो को वृषण में सूजन रहती हो उनको छुईमुई के पत्तो का लेप लगाने आराम मिल जाता है |
लाजवंती के नुकसान (Side Effects of sensitive plant in hindi)
आमतौर पर लाजवंती के किसी प्रकार के दुष्प्रभाव नही देखे गये है किन्तु यदि आप किसी अन्य दवा का सेवन कर रहे हो तो आपको बिना चिकित्सकीय परामर्श के लाजवंती का सेवन नही करना चाहिए | अन्य दवाओ के साथ छुईमुई का सेवन करने से दूसरी दवा अपना प्रभाव नही दिखा पाती है ऐसे में चिकित्सकीय परामर्श से सेवन करने से किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नही होता है |
किसी भी आयुर्वेद ओषधि का सेवन चिकित्सक के परामर्श के बिना ना करे |
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डॉ.रामहरि मीना
धन्यवाद!