अनुभूत ओजवर्द्धक वाजीकरण जड़ी-बूटिया/नुस्खे
वाजीकरण परिचय :- वाज-अर्थात जिसमे शुक्र हो उसे वाजी-अर्थात शुक्रवान कहते है | जो शुक्रवान न हो उसे अवाजी कहा जाता है | ऐसा व्यक्ति जिसे ओषध सेवन से शुक्रवान बनाया गया हो ‘’वाजीकरण” कहलाता है |
जिन ओषधियो के सेवन करने से व आहार-विहार के द्वारा वीर्यहीन मनुष्य भी सम्भोग करने की शक्ति उत्पन्न करले उसे वाजीकरण (ओषधि) कहते है अर्थात जिस ओषध के सेवन से वीर्य की अधिक वृद्धि होती हो उसे वाजीकरण कहते है |
जो भी ओषध जो स्वाद में मधुर स्वास्थ्यकर, बृहण, गुरुपाकी तथा चित्त को प्रसन्न करने वाली हो वाजीकारक होती है |
मन में प्रसन्नता उत्पन्न करने वाले विचार, हर्ष और प्रसन्नता को बढ़ाने वाले लताग्रह जिनमे बहुत से सुंदर पुष्प खिले दिखाई दे रहे हो ऐसे विचारो की उत्पत्ति से विहार करने योग्य योग बनते है साथ ही इन्द्रियों को सुखद अनुभव के साथ ही वाजीकारक शक्ति को बढ़ाने वाला एहसास है |
स्त्री प्रसन्न्ग से क्षीण हुये ,साध्य नपुंसक और अल्प वीर्य वाले पुरुषो को वाजीकरण योगो को सेवन करना हितकारक, बलदायक और पुष्टिकारक होता है | हस्टपुष्ट व ओजवान पुरुषो को देश काल आदि को ध्यान में रखते हुए वाजीकारक द्रव्यों का सेवन करना चाहिए |
प्रमुख वाजीकारक नुस्खे vajikaran nuskhe hindi
आचार्यो ने स्त्री-स्पर्श को सर्वाधिक वाजीकारक माना है |
अश्वगंधा :- अश्वगंधा को सर्वाधिक बलशाली व पुष्टिकारक माना गया है | अश्वगंधा टेस्टोस्टेराँन हार्मोन को बढ़ाने में सहायक है , सम्भोग के समय होने वाली थकान को रोकता है | बॉडी में एनर्जी स्टोरेज करते हुए रिप्रोडक्टिव स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है इसके सेवन से स्पर्म बढ़ते है | अश्वगंधा का सेवन नर्व को मजबूत बनाता है | स्ट्रेस को कम करता है | इसकी प्रकृति उष्ण होती है
उपयोग विधि :- अश्वगंधा की जड़ का चूर्ण 5 ग्राम की मात्र में लेकर उसे दूध में उबालकर सेवन करने से वीर्य वृद्धि होने के साथ साथ वाजीकारक शक्ति में वृद्धि होती है |
विदारीकन्द :-विदारीकन्द में भरपूर मात्रा में प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट आदि पाए जाते है | यह शुक्रवर्धक, मूत्रल व जीवनीशक्ति को बढ़ाने वाली जड़ी है |
विदारी का सेवन धातुक्षय, शीघ्रपतन, नपुंसकता और यौन दुर्बलता में इसका सेवन अत्यंत लाभप्रद है |
उपयोग विधि :-
प्रयोग नं.2 :- 50 ग्राम विदारी की जड़ के चूर्ण में विदारी स्वरस की भावना देने से इसके गुणों में दोगुनी वृद्धि हो जाती है |
प्रयोग नं.1 :- विदारीकन्द का चूर्ण एक चम्मच सुबह शाम दूध के साथ सेवन करने से वाजीकारक गुणों की उत्पत्ति होती है |
अन्य प्रयोग :- जिन महिलाओ में मासिकधर्म के समय होने वाले अधिक रक्तश्राव में एक चम्मच चूर्ण को गाय के घी व शक्कर के साथ मिलाकर चाटने से अधिक रक्तस्राव की समस्या से छुटकारा मिल जाता है |
स्तनों में दूध की कमी :- जिन महिलाओ के स्तनों में दूध कम आता है जिससे की शिशु का पेट ठीक से नही भर पाता है ऐसी महिलाओ को विदारी कंद चूर्ण में आधा भाग सालम मिश्री मिलाकर नित्य सुबह-शाम दूध से सेवन करवाने से 15-20 दिनों के बाद स्तनों में दूध की कमी दूर होकर शरीर भी हष्टपुष्ट हो जाता है |
सालमपंजा
सालमपंजा महिलाओ व पुरुषो दोनों के स्वास्थ्य के लिए ही अत्यंत महत्वपूर्ण जड़ी है या ये कहे की यह किसी वरदान से कम नही है |
इसमे वीर्यवर्धक, बलवर्द्धक, ओजवर्द्धक होने के साथ ही नपुंसकता को नष्ट करने वाली हर्ब है | महिलाओ में प्रसव के बाद होने वाले दर्द से छुटकारा दिलाने में यह काफी असरकारक साबित होती है | वीर्यवर्धक गुणों से भरपूर होने से वाजीकारक है |
उपयोग विधि :- आधा चम्मच चूर्ण को शहद मिले दूध के साथ सुबह खली पेट सेवन करे |
कालीमुसली :- कालिमुसली की जड़े एफ्रोडाइजियेक, अल्टरनेटिव फैटनिंग और एप्पोटाईजर होती है | कालीमुसली का 3 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम सेवन करने से शीघ्रपतन, नपुंसकता, अनैच्छिक वीर्यपात जैसी समस्याओ से छुटकारा दिलाते हुए अत्यंत वाजीकारक नुस्खे है | यह स्तम्भक गुणों से परिपूर्ण जड़ी है |
सफेद मुसली :- सफेद मुसली का सेवन शरीर को ऊर्जावान बनाता है | सफेद मुसली स्पर्म की गुणवत्ता में सुधार करते हुए संख्याबल में भी खासी वृद्धि करता है | यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन (लिंग का अनुत्तेजित रहना ) आदि में असरदायक है
| सफेद मुसली वजन घटाने व बढ़ाने दोनों में ही काम करती है ,यदि वजन बढ़ाना है तो दूध के साथ सेवन करे और यदि वजन घटाना है तो गुनुगुने पानी के साथ सेवन करे |
हमारे द्वारा स्वनिर्मित अनुभूत ओषधियो का परिणाम दायक योग
अश्वशक्तिवर्धक योग
दोस्तों आज हम आपको एक ऐसा प्राकृतिक जड़ी बुटियों द्वारा तेयार किया जाने वाला शक्तिवर्धक योग बताने जा रहे है जिसका आपने लगातार 14 दिनों तक प्रयोग किया तो आपकी वाजीकारक शक्ति (वाजीकरण नुस्खे) संतोषप्रद हो जाएगी | और आप आपके जीवन साथी को वो ख़ुशी दे पाओगे जिसकी हर एक स्त्री को अपने पार्टनर से इच्छा होती है |
दोस्तों यह नुस्खा आपके शारीरिक स्वास्थ्य को भी बनाये रखेगा जिस से आपके शरीर में ओज व बल वृद्धि, वीर्य वृद्धि, होने से आपके शीघ्रपतन, वीर्य की कमी व मूत्र के साथ धातु की समस्या से छुटकारा पाते हुए आपका चेहरा कांतिमान हो जायेगा | यह योग आपके वजन को शीघ्र बढ़ा कर आपकी पर्सनल्टी में भी चार चाँद लगा देगा | इस योग की सबसे खास बात ये है कि इसमे उपयोग की गई अधिकतर जडी-बुटीया हमने स्वम ही जंगल से एकत्रित की है |
इसके निर्माण के लिए हमे इन 26 हर्बल ओषधियों को जंगल से एकत्रित करनी होगी, जो उपलब्ध नही हो पायी उन्हें बाजार से लिया गया है |
- ईरानी अकर करा
- रूमी मस्तंगी
- सफ़ेद मुसली
- कृष्ण मुसली
- अश्वगंधा
- पिली शतावरी
- नागबला
- अतिबला
- विदाराकंद
- सालमपंजा
- चोपचीनी
- सहन्जन बीज
- मुलेठी
- कोंच बीज काला
- तालमखाना
- गोक्षुर
- बरियारी
- वंशलोचन
- कामराज बूटी
- नागरमोथा
- जायफल
- दुधी (नागार्जुनी)
- त्रिवंग भस्म
- पुष्पधन्वा रस
- प्रवाल पिष्टी
- कामदुधा रस
नोट :-चिकित्सक के परामर्श के उपरांत ही उपयोग करे | यह योग अब जॉइंट स्टैमिना कैप्सूल के रूप में बना दिया गया है | जिसमे सभी औषधियों को एक्सट्रेक्ट फॉर्म में उपयोग लिया गया है – अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़े – जॉइंट स्टैमिना कैप्सूल
अश्वशक्तिवर्धक योग कोन ले सकता है
जिन पुरुषो में कामशक्ति/जोश की कमी हो, नपुंसकता, शुक्राणुओं की कमी हो, जिनका वीर्यपात शीघ्र हो जाता है अर्थात शीघ्रपतन से परेशान हो, पेशाब के साथ धातु गिरता हो जिनका वजन कम हो, थकान महसूस करता हो, अपने जीवनसाथी को ख़ुश नही कर पाते हो आदि के बल व वाजीकरण शक्ति को बढ़ाकर सम्पूर्ण शरीर को पुष्ट बनाता है |
अश्वशक्तिवर्धक योग ही क्यों ?
अश्वशक्ति वर्धक योग आयुर्वेद के वाजीकरण सिद्धांत के आधार पर तैयार की गई है इसमें काम में ली गई अधिकतर जडीबुटियो को सीधा जंगल से एकत्रित किया गया है जिसके कारण हर एक ओषधि आपके लिए लाभदायक साबित होगी और आप सभी तरह के उत्पादों का उपयोग करने के बाद भी हताश हो तो एक बार हमारा लाजवाब अश्वशक्ति वर्धक योग के इस्तेमाल से आपको अवश्य अपनी समस्या से छुटकारा मिल पायेगा |
दवा लेते समय सावधानिया/परहेज
दवा का सेवन प्रारम्भ करने के बाद खट्टी चीजो का सेवन, बेसन, मेदा, तैलीय वस्तुओं शराब, आदि का सेवन बंद कर देना है साथ ही प्रातः काल योगाभ्यास व प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करे जिससे आपको दुगुना लाभ होगा |
सेवन करने की विधि
दवा का सेवन सुबह-शाम 5-5 ग्राम दूध/शहद या चिकित्सक के बताये अनुसार ले | दवा लेने के 30 मिनट तक कुछ भी ना ले अधिक लाभ होगा | गर्मियों में दवा का सेवन शहद के साथ करे |
किसी भी आयुर्वेद औषधि का उपयोग चिकित्सक की देखरेख में करना अधिक लाभदायक और सुरक्षित रहता है |
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दर्शन बाळकृष्ण गोसावी
January 29, 2020सर मुझे निल शुक्राणू की समस्या है, आपके योग से ये समस्या दूर हो सकती है क्या ?