बंग भस्म आयुर्वेद की एक क्लासिकल मेडिसिन है, जो धातु से तैयार की जाती है। चीन की बंग भस्म औषधि निर्माण के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। ऐसी बंग भस्म जो रंग में सफेद हो, कोमल, चिकनी, जल्दी गल जाने वाली, वजन में भारी हो वह बंग भस्म औषधि निर्माण के लिए उत्तम मानी जाती है।
आयुर्वेद में बंग भस्म को शरीर पुष्टि के लिए, गुल्म रोगों में, एनीमिया को दूर करने वाली, वात व्याधियों में, स्त्रियों की कमर दर्द में, कुष्ठ रोग में, अग्निमांध के लिए और वीर्य स्तंभन के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसके साथ ही यह अन्य रोगों मे भी बहुत ही असरदार दवा है।
यदि आप भी बंग भस्म के फायदे के बारे में जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़ें। हम आज आपको इस आर्टिकल में बंग भस्म है 20 रोगों की दवा के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे।
बंग भस्म के द्वारा 20 रोगों का इलाज
बंग भस्म को अन्य औषधीय के साथ मिलाकर लेने से अनेक रोगों को दूर किया जा सकता है,तो चलिए जानते हैं बंग भस्म के द्वारा 20 रोगों का इलाज के बारे में जानकारी
- मुख की दुर्गंध दूर करने केपिष्टी10 ग्राम बंग भस्म, शुद्ध कपूर 20 ग्राम, सेंधा नमक 20 ग्राम इन तीनों को सरसों के तेल में मिलाकर मंजन करने से मुख की दुर्गंध दूर हो जाती है।
- शरीर पुष्टि के लिए बंग भस्म का उपयोग- जायफल का चूर्ण20 ग्राम, बंग भस्म 10 ग्राम मिलाकर शहद या गाय के दूध के साथ सेवन करने से कुछ समय में ही शरीर हष्ट पुष्ट हो जाता है।
- प्रमेह रोग में बंग भस्म का उपयोग- बंग भस्म 10 ग्राम, हल्दी चूर्ण 40 ग्राम, अभ्रक भस्म 10 ग्राम मिलाकर शहद के साथ लेने से जल्द ही प्रमेह रोग दूर हो जाता है।
- एनीमिया को दूर करती है बंग भस्म- 10 ग्राम बंग भस्म, लोह भस्म या मंडूर भस्म 20 ग्राम को त्रिफला चूर्ण के साथ शहद में मिलाकर लेने से एनीमिया जल्द ही दूर हो जाता है।
- गुल्म को दूर करती है बंग भस्म- बंग भस्म 20 ग्राम, सुहागे की खील 40 ग्राम, शंख भस्म 20 ग्राम शहद या गोमूत्र के साथ कुछ समय तक लगातार लेने से गुल्म दूर हो जाता है।
- रक्त पित्त को दूर करने में सहायक बंग भस्म- 10 ग्राम बंग भस्म लेकर उसमें 20 ग्राम प्रवाल पिष्टी और और दो माशा सितोपलादि चूर्ण मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से कुछ समय में ही रक्त पित्त दूर हो जाता है।
- बल वृद्धि के लिए बंग भस्म का सेवन-यदि कोई भी व्यक्ति बल वृद्धि करना चाहता है तो 20 ग्राम बंग भस्म, 10 ग्राम लौह भस्म और 20 ग्राम प्रवाल भस्म को मिलाकर मक्खन व मिश्री के साथ मिला लें तथा इसका सेवन करें। कुछ ही समय में शरीर में बल वृद्धि होने लग जाएगी तथा शरीर सुडौल और आकर्षक हो जाएगा।
- अग्निमांध में बंग भस्म का सेवन- कुछ लोगों की अग्निमंद होती है अर्थात उन्हें खाया पिया हुआ पचता नहीं है या भूख नहीं लगती। ऐसे में बंग भस्म 10 ग्राम, 20 ग्राम पीपल चूर्ण को मिलाकर नींबू के रस में लेने से भूख खुलकर लगनी शुरू हो जाएगी तथा खाया पिया हुआ हजम हो जाएगा।
- शरीर की दुर्गंध को दूर करने में सहायक- बंग भस्म 10 ग्राम, चंपा के फूल का चूर्ण एक माशा शहद के साथ ले इससे शरीर में आने वाली दुर्गंध दूर हो जाएगी।
- दाह अर्थात जलन को दूर करने के लिए- पेट में यदि जलन हो रही हो तो 10 ग्राम बंग भस्म और एक तोला नीम की पत्ती का रस मिश्री में मिलाकर सेवन करने से शरीर में होने वाली जलन दूर हो जाती है।
- वीर्य स्तंभन के लिए- 20 ग्राम बंग भस्म, 10 ग्राम नाग भस्म, 40 ग्राम वंशलोचन चूर्ण में मिलाकर मक्खन – मिश्री या शहद में मिलाकर सेवन करें उसके पश्चात खूब उबला हुआ दूध पिए इसे जल्द ही वीर्य गाढ़ा हो जायेगा और लंबे समय तक रुकेगा।
- चर्म रोगों को दूर करने के लिए – यदि किसी भी प्रकार का चर्म रोग हो तो बंग भस्म 10 ग्राम लेकर हरताल भस्म 5 ग्राम लेकर मिला ले। अब इसे त्रिफला चूर्ण के साथ सेवन करें ऊपर से खदिरारिष्ट पी ले। ऐसा कुछ समय तक करने से सभी प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाते हैं।
- सोम रोग को दूर करने में सहायक बंग भस्म- 10 ग्राम बंग भस्म को लेकर 5 ग्राम ताम्र भस्म में मिला लें। इसे नियमित रूप से शहद के साथ सेवन करने से स्त्रियों में होने वाले सोम रोग नष्ट हो जाते हैं।
- क्षय अर्थात टीबी को दूर करने में सहायक बंग भस्म- कई बार लंबे समय तक खांसी रहने के कारण टीबी जैसा रोग हो जाता है। ऐसी स्थिति में रोगी बहुत कमजोर हो जाता है तथा उस पर किसी भी प्रकार की दवाई का असर नहीं होता।ऐसे समय में 10 ग्राम बंग भस्म, 5 ग्राम प्रवाल भस्म, 10 ग्राम स्वर्णवसंत मालती रस को शहद में मिलाकर सेवन करने से जल्द ही टीबी जैसा रोग दूर हो जाता है।
- अजीर्ण की स्थिति में बंग भस्म का प्रयोग- भोजन करने के बाद 10 ग्राम बंग भस्म, 5 ग्राम लवण भास्कर चूर्ण के साथ मिलाकर सेवन करें तथा ऊपर से गर्म जल पी ले। ऐसा करने से अजीर्ण की समस्या दूर हो जाती है।
- दर्द को दूर करती है बंग भस्म- शरीर में वात बढ़ने के कारण या वायु के प्रकुपित होने के कारण दर्द की स्थिति उत्पन्न होती है ऐसी स्थिति में 20 ग्राम बंग भस्म को लेकर लहसुन कलक में मिलाकर खाने से सभी प्रकार के वात विकार दूर होते हैं।
- कुष्ठ रोग में- 10 ग्राम बंग भस्म, दो माशा बाकूची का चूर्ण, एक तोला संभालू के पत्तों का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से कुष्ठ जैसा भयंकर रोग दूर हो जाता है।
- कमर दर्द में बंग भस्म का सेवन- नियमित होने वाली कमर दर्द में 10 ग्राम बंग भस्म, 40 ग्राम जायफल का चूर्ण और 40 ग्राम अश्वगंधा का चूर्ण को मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से आराम मिलता है।
- जलोदर रोग में – जलोदर रोग को दूर करने के लिए 20 ग्राम बंग भस्म में 40 ग्राम फिटकरी भस्म को मिलाकर बकरी के दूध के साथ सेवन करना चाहिए।
- स्वपन दोष तथा नपुंसकता को दूर करने में उपयोगी बंग भस्म- अधिक स्वपन दोष या हस्तमैथुन आदि के कारण वात वाहिनी और मांसपेशियां कमजोर हो जाने की वजह से शरीर में शुक्र नहीं रह पाता है। जिससे मनुष्य कामवासना से वंचित ही रह जाता है। ऐसी हालत में बंग भस्म का प्रयोग अन्य औषधी के साथ मिलाकर करने से अत्यधिक लाभ मिलता है। बंग भस्म को 10 ग्राम तथा शिलाजीत को 40 ग्राम को दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से जल्द ही सभी प्रकार के वीर्य दोष तथा नपुंसकता दूर हो जाती है।