प्रेम क्या है !(what is love)
प्रेम दो व्यक्तियों के अंतर्मन को समझने/छूने का एक अद्र्श्य माध्यम है | दो व्यक्तियों के बीच होने वाला एहसास जिसका अनुभव बहुत ही सुखद है | अनेक विद्वानों ने प्रेम के सम्बन्ध में कहा भी है की जो कार्य किसी भी तरीके से नही हो सकता वह प्रेम से सरलता पूर्वक हो जाता है | प्रेम के अनेक रूप होते है भाई का बहिन से पिता का पुत्र से, माँ का पुत्री से, पुत्री का माँ से , माँ का बेटे से , पति का पत्नी से , पत्नी का पति से , सास का बहु से , अपने सगे सम्बन्धियों से रिश्तेदारों से , दोस्तों से आदि अनेको प्रकार से प्रेम की डोर में बंध कर ही इन्सान अपने जीवन चक्र की निरंतरता को कायम रख पता है जिसमे अनेको आशाओं / उम्मीदों को साथ लेकर परिश्रम, भागदोड़, आदि सभी किसी न किसी रूप में प्रेम पर ही आश्रित होती हुई दिखाई देती है |
प्रेम अनेको रूप में स्थान विशेस के आधार पर अपनी परिभाषा बदल लेता है , दो व्यक्तियों के मन के बीच हो तो प्रेम , शरीर के बीच हो तो वासना अपने वतन से हो तो जज्बा , ईश्वर से हो तो भक्ति , वस्तुओ से हो तो मोह आदि आदि | दो व्यक्तियों के बीच होने वाला प्रेम यदि स्वतन्त्र हो तो वह सदेव ही प्रसनता देने वाला साबित होता है | प्रेम में कभी भी लोभ-लालच नही होना चाहिए | लोभ लालच की वासना से उत्पन्न प्रेम सदेव ही अस्वस्थ्यता को जन्म देने वाला साबित होता है |प्रेम में जितनी स्वतंत्रता होगी प्रेम उतना ही प्रगाढ्य /गहरा होगा | प्रेम की सफलता प्रेमी की स्वंत्रता पर ही टिकी रहती है | जब –जब अपने ही प्रेमी द्वारा प्रेम में बंदिशे लागू हुई है प्रेम असफल हुआ है | प्रेम किसी पर अपना स्वामित्व नही है , मोह मुक्त होकर व्यक्ति विशेष का सम्मान व उसके हित में सोचना ही है प्रेम ! आप यदि सोचते हो की जो में सोचु जो में कहू उसी को सामने वाला इन्सान फॉलो करे यह कोई प्रेम थोड़ी ना है यह तो ,एक व्यक्ति के साथ प्रेम के नाम पर छलावा है | प्रेम कभी परतंत्रता की जंजीरों में नही बांधता यह तो वह एहसास ह जो इंसान को इंसान की तरह जीने का सलिखा सिखाता है | प्रेम एक ऐसी अवस्था है जो दो व्यक्तियों को एक ऐसे मजबूत सूत्र में बांधती है जहां वे ‘’में’’ से ‘’हम’’ हो जाते है | प्रेम इंसान को इंसान की तरह जीना सिखाता है |
प्रेम क्यों होता है ? किससे होता है ?
जब कोई व्यक्ति बिना किसी लोभ-लालच के किसी व्यक्ति विशेष की परवाह या अहित की चिंता करता है , सामने वाले का सम्मान/इज्जत करता है | प्रेम कोई वस्तु नही है यह मात्र अहसास है एक दूजे को समझने का सोचते रहने का | और सोचते सोचते कब प्रेम हो जाता है किसी को पता ही नही चलता | जहा अहंकार लेश मात्र भी नही होता वह प्रेम गहरा होते जाता है किन्तु जहा अहंकार होता है वह प्रेम दुर्बल होते जाता है |और आखिर में एक दुसरे से अलग होना पड़ता है जो भयंकर दुःख / तनाव का कारण बनता है | सृष्टी में जिसने भी विशुद्ध निस्वार्थ प्रेम किया है उन सब ने प्रेम के सम्बन्ध में यही कहा है की जहा प्रेम है वह आनंद ही आनंद है | निस्वार्थ प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण कृष्ण का राधा के प्रति प्रेम जो रुकमणि से अधिक प्रेम राधा से करते थे |
अधिकतर कवियों का पसंदीदा विषय रहा है प्रेम :-
प्यार कोई बोल नही ,प्यार कोई आवाज नही , प्रेम तो एक ख़ामोशी है , सुनती है कहा करती है, न यह भुजती है , न रूकती है , न ठहरी है कही , नूर की बूँद है सदियों तक बहा करती है –
~ गुलजार
प्यार एक एहसास है जिसे रूह से मह्सूस करो |
प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई और नाम न दो ||
~ गुलजार
प्रेम का मानसिक स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
वर्तमान समय में प्रेम प्रसंग के अनेको मामले सामने आते रहते है जिनमे युवक युवतियाँ आये दिन आत्महत्या कर रहे है | इन सब का सबसे बड़ा कारण है की स्वार्थ के नाम पर प्रेम रुपी दिखावा करके अपना स्वार्थ सिद्ध होने के पश्च्यात अलग हो जाते है जिसका प्रेम के नाम पर छलावा करने वाले इन्सान को तो पता रहता है किन्तु सामने वाला समझ ही नही पाता है और वह निस्वार्थ प्रेम में धोखा खा जाता है जो अत्यंत दुखद है ऐसी अवस्था में मनुष्य के दिमाग के आगे वाला वह भाग जो घातक न्यूरोट्रांसमीटर छोड़ता है, जो की हमे तनाव व दुश्चिन्ता से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हुए उस विषम स्तिथि से लड़ने की ताकत देते है | किन्तु लगातार तनाव के बने रहने से न्यूरोट्रांसमीटर रसायनों के अधिक स्तर ही मृत्यु का कारण भी बन जाती है |
वैज्ञानिक शोधो से पता चला है की मस्तिष्क से निकलने वाले दर्जनों न्यूरोट्रांसमीटर में सेरोटोनिन एक ऐसा शक्तिशाली न्यूरोट्रांसमीटर है , जो घातक मानसिक संवेगों से हृदय की तंत्रिकाओ व पेशियों की निरंतरता को नष्ट करने वाले घातक रसायनों के दुष्प्रभावो को रोकने में अपनी भूमिका निभाता है | स्नायु संदेश वाहक सेरोटोनिन पीनियल ग्रंथि से निकलने वाले जादुई हार्मोन मेलोटोनिन के साथ तालमेल कर नींद को नियंत्रित,नियमित व गहरा करता है | दुश्चिंता, अवसाद,तथा कुछ मानसिक उद्वग्निता , की स्तिथि में आत्महत्या की प्रवृति बढ़ जाती है | न्यूरोट्रांसमीटर की कमी व अधिकता के परिणामस्वरूप सन्देश वाहक बार-बार यह सन्देश देते है की जब दिल टूट ही गया है तो जी कर क्या करेंगे , जब यह सन्देश बार –बार दिमाग में घूमता है तो व्यक्ति आत्महत्या करने के विचार व तरीके ढूंढता है | तंत्रिका वैज्ञानिको के अनुसार सेरोटोनिन हार्मोन की कमी से आत्महत्या के विचारो की तीव्रता बढ़ जाती है | एक अन्य न्यूरोट्रांसमीटर डोपोनिन की कमी से व्यक्ति शक्की स्वभाव का हो जाता है | शिजोफ्रेनिया व नशीले द्रव्यों के सेवन से डोपोनिन की कमी हो जाती है | सेरोटोनिन अनिंद्रा को दूर करने के साथ ही जीवन में उत्साह एवम् आनंद भी घोलता है |
ऐसी स्थिति में खूब मीठी वस्तुओ का सेवन करना चाहिए जैसे केला , खजूर, शहद , किसमिस, मुनक्का, दूध दही आदि के सेवन से दिमाग में सेरोटोनिन का रिसाव बढ़ जाता है | जिसके परिणामस्वरूप हालातो से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है |
यदि आपको लेख पसंद आया हो तो कृपया कमेन्ट करके बताये और शेयर करना ना भूले |
धन्यवाद!
1 Comment
neelam kumawat
January 8, 2020freedom and respect 🙂🙂