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अश्वकंचुकी रस के फायदे

अश्वकंचुकी रस के फायदे, नुकसान, सेवन विधि || Ashkanchuki Ras ke fayde

अश्वकंचुकी रस के फायदे : अश्व्कंचुकी रस एक शास्त्रोक्त आयुर्वेद वटी है जिसका सेवन स्वसन तंत्र से सम्बंधित रोग जैसे प्रतिशाय, जीर्ण प्रतिशाय, अस्थमा आदि की चिकित्सा के लिए आयुर्वेद चिकित्सको द्वारा उपयोग में ली जाती है | अश्वकंचुकी अर्थात अश्वचोली, घोड़ाचोली आदि नामो से भी पहचाना जाता है |

अश्वकंचुकी रस के फायदे

अश्वकंचुकी रस के फायदे की बात करे तो इसका उपयोग वात और कफ दोष को सुधरने के लिए किया जाता है | ऐसे में आज इस आर्टिकल में में विस्तार से जानेंगे अश्वकंचुकी रस के फायदे , Ashwakanchuki Ras Iingeridient के बारे में –

अश्वकंचुकी रस के घटक द्रव Ashwakanchuki Ras ingredients

आगे जानोगे अश्वकंचुकी रस के घटक द्रव के बारे में –

शुद्ध पारद10 ग्राम
शुद्ध गंधक10 ग्राम
टंकण भस्म10 ग्राम
सूखी अदरक सौंठ10 ग्राम
काली मिर्च10 ग्राम
वत्सनाभ10 ग्राम
पिप्पली10 ग्राम
हरीतकी10 ग्राम
आमलकी10 ग्राम
विभित्की10 ग्राम
शुद्ध हरताल10 ग्राम
भृंगराज स्वरस10 ग्राम
शुद्ध जायफलआवश्यकतानुसार

अश्वकंचुकी रस बनाने की विधि

शास्त्रोक्त आयुर्वेद औषधि अश्वकंचुकी रस बनाने के लिए सभी घटक द्रवों को निश्चित अनुपात में पाउडर बनाकर भृंगराज स्वरस में डालकर सूखने तक खरल में घोंटे जब अश्वकंचुकी रस की वटी बनने लायक हो जाये उसके बाद वटी बनाकर स्टोर करले आपका अश्वकंचुकी रस बनाकर तैयार है |

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अश्वकंचुकी रस के फायदे Ashwakanchuki Ras benefits in hindi

बढे हुए कफ को संतुलित करे : अत्यधिक बढे हुए कफ को संतुलित करने के लिए अश्वकंचुकी रस फायदेमंद दवा है | शरीर में कफ दोष के अधिक बढने की स्थिति में काफ को कम करती है साथ ही पित्त को बढ़ाने से पाचक का काम भी करती है |

कब्ज मिटाए : कब्ज में अश्वकंचुकी रस के फायदे : त्रिफला और जायफल होने से मृदु विरेचक का काम करता है जिससे कब्ज में राहत मिलती है | इसके सेवन से आंतो की सफाई अच्छे से हो जाती है | जिससे मलाशय में संचित हुआ मल आसानी से बहार निकल जाता है और आंते स्सफ हो जाती है | जिससे चरम रोग होने की संभावना भी काफी हद तक कम हो जाती है |

श्वसनतंत्र सम्बन्धी रोगों में फायदे : त्रिकटु चूर्ण के घटक होने से श्वसन सम्बन्धी रोगों में लाभदायक परिणाम देता है | अस्थमा, जुकाम आदि में बेहतर परिणाम मिलते है |

दर्द में राहत दिलाये : वात दोष के बढ़ने से होने वाले दर्दो में राहत प्रदान करता है | बढ़े हुए वात दोष के कारण होने वाले दर्द में अश्व्कचुकी रस का सेवन अदरक के रस के साथ करना उचित लाभ प्रदान करता है |

बालों की समस्या : बालों का झड़ना, ग्रे होना, बालों का पकना आदि में बेहतर परिणाम अन्य औषधीय योगो के साथ करने से मिलता है | बाल सफ़ेद होने पर इसका सेवन शहद के साथ करना चाहिए |

लीवर रोगों में फायदे : लीवर सम्बन्धी रोगों के लिए अत्यंत लाभदायक परिणाम देता है | लीवर सम्बन्धी रोगों में अश्वकंचुकी रस का सेवन पुनर्नवा स्वरस के साथ करने से अधिक लाभ मिलता है |

पाचन में सुधार करे : पाचक द्रव्यों को उपस्थिति होने के कारण भूख बढ़ाने में सहायक सिद्ध होता है | साथ ही यदि डायरिया अपच, indigestion बाँझपन आदि में लाभ देता है | बाँझपन में पुत्रजीवक के सेवन करना चाहिए |

अश्वकंचुकी रस के नुकसान

मात्रा का सही निर्धारण नहीं होने की स्थिति में अतिसार होने किस सम्भावना हो सकती है ऐसे में आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में सेवन करने से नुकसान होने की संभावना नही बनती है |

अश्वकंचुकी रस के सेवन की विधि और मात्रा

125-250 मिग्रा सुबह शाम उपर बताये रोगानुसार अनुपान के साथ या चिकित्सक द्वारा सुझाये गए तरीके से सेवन करे |

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

Written by

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

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