अश्वगंधा का परिचय व अद्भुत फायदे

परिचय :- भारतीय मूल का यह पोधा अश्वगंधा को जड़ी-बूटियों में अपने गुणों के आधार पर अलग ही पहचान मिली हुई है | अश्वगंधा का प्रभाव कोशिका स्तर पर होने की वजह से अश्वगंधा के फायदे अत्यंत महत्वपूर्ण है | अश्वगंधा की जड़ो में घोड़े के पेशाब की गंध आने की वजह से इसके सेवन करने वाले इन्सान की शक्ति भी अश्व के समान हो जाती है |
यह अत्यंत वाजीकरण होने के कारण इसका नाम वाजिगंधा भी है | अश्वगंधा की पत्तियों को मसल कर सूंघने पर भी अश्वबल के समान गंध आने की वजह से भी इसका नाम अश्वगंधा पडा है | ओषधीय पोधो में अश्वगंधा अपनी अलग ही पहचान रखता है
अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, एंटी-कैन्सर, एंटी इनफर्टिलिटी, एंटी-डिप्रेशन, पोष्टिक आदि गुणों की भरपूरता की उपस्थिति के कारण इसकी तुलना चीनी जिनसंग से भी की जाती है | वर्तमान समय में अश्वगंधा के अतुलनीय गुणों के कारण इसका उपयोग विश्वभर में तेजी से बढ़ा है |
अश्वगंधा के अद्भुत गुणों से आज अधिकतर लोग वाकिब है फिर भी लोग इसकी वास्तविकता से कम ही वाकिब है इसी लिए बहुत से लोगो को यह कहते भी आसानी से सुना जा सकता है की इसके नुकसान भी है जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है आयुर्वेद में किसी भी दवाई का व्यक्ति विशेष की पृकृति को ध्यान में रखते हुए सेवन की मात्रा का निर्धारण किया जाता है |
सर्वाधिक उपयोगी अश्वगंधा नागोर में उत्पादित अश्वगंधा माना जाता है क्योकि जलवायु के आधार सभी गुण विधमान होते है |
अश्वगंधा को लेकर अनेको शोध हुए है और अनेको शोध चल रहे है जीन शोधो का निष्कर्ष आ चुका है उनके परिणाम काफी बेहतर रहे है जो साबित करते है की अश्वगंधा का पोधा बहुउद्देशीय पोधा है |
जिसका पञ्चांग अर्थात सभी अंग उपयोग हेतु स्वीकार्य है | किन्तु अश्वगंधा की जड़ का सर्वाधिक उपयोग आयुर्वेदाचार्यो द्वारा किया जाता रहा है |
अश्वगंधा की जड़ में अधिकांश उपयोगी योगिक एल्केलाइड पाए जाते है | जिनमे से विथनिन व सोमनीथेरेन मुख्य है | अश्वगंधा के पत्तो में पांच प्रकार के एल्केलाइड भी पाए जाने की पुष्टि हुई है |
एल्केलाइड के अतिरिक्त निदानोलाइड्स, ग्लायकोसाइड्स, ग्लूकोज, क्लोनोजेनिक एसिड, स्ट्रायोयडल, विटानिसील, स्टार्च आदि महत्वपूर्ण घटक पाए जाते है | जो अनेको रोगों में लाभकारी साबित होता है |
अश्वगंधा के फायदे / Health Benefits of Ashwagandha
1 . रोग प्रतिरोधक-क्षमतावर्धक
अश्वगंधा कोशिका स्तर पर कार्य करता है | इसमे मोजूद एंटीऑक्सीडेंट रोग प्रतिरोधकता को बढ़ाने में असरकारी है | इसके सेवन से लाल रक्त कणिकाएँ एवम श्वेत रक्त कणिकाओ को पोष्टिकता मिलती है जिसके कारण नई कोशिकाओ की उत्पत्ति आसानी से हो जाती है |
2. तंत्रिका-तंत्र पर प्रभावी
नई कोशिकाओ की उत्पत्ति से रक्त-संचार बेहतर होने से तंत्रिका तंत्र पर भी अश्वगंधा के फायदे के रूप में अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है |
3. परुषत्व व वाजीकारक
अश्वगंधा के फायदे लेने के लिए नियमित सेवन करना जरुरी है |इसके नियमित सेवन करने से शुक्र की वृद्धि होती है | इसकी उष्ण पृकृति के कारण यह अत्यंत वाजीकारक भी है |
4. बुढ़ापा रोधी
इसके सेवन से शरीर में ओज की वृद्धि होने से लम्बे समय तक बुढ़ापे के लक्षण दिखाई नही देते है व शरीर हष्ट-पुष्ट बना रहता है |
5. वाजीकारक-रसायन
अश्वगंधा अत्यन्त महत्वपूर्ण वाजीकारक द्रव होने के साथ ही साथ उत्तम रसायन भी है | इसके सेवन से शुक्राणुओं की संख्या में हिजाफा होता है | जिसके नियमित सेवन से शरीर में कांति के साथ ही शरीर बलशाली बना रहता है | इसका सेवन सभी प्रकार के वीर्य विकारो को मिटाकर धातुओ को पुष्ट कर शरीर को कान्तिमान बनाता है |
6. लम्बाई व वजन बढ़ाने में मददगार
अश्वगंधा में विभिन्न प्रकार के एल्केलाइडस की उपस्थिति के होते हुए यह शीघ्र लम्बाई व वजन बढ़ाने के लिए उत्तम ओषध है | इसके सेवन से मांस धातु पुष्ट होकर शीघ्र वजन बढ़ता है |
7. तनावरोधी
अश्वगंधा में उपस्थित स्ट्रायोयडल स्ट्रेस को शीघ्र कम करने असरकारी साबित हुआ है |
8. गठिया में लाभदायक
अश्वगंधा का सेवन गठिया में अत्यंत लाभदायक है | इसके सेवन से तंत्रिकाओ को नया जीवन मिलने से यह गठिया में लाभकारी है |
9. अनिंद्रा
अश्वगंधा स्ट्रायोयडल तनाव को कम कर देता है जिससे सेवन करने वाले व्यक्ति को अच्छी नींद आती है |
10. कब्जनाशक
अश्वगंधा कब्ज को खत्म करता है जिससे अनेको रोगों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है |
11. कैंसर रोधी
अश्वगंधा के सेवन से कैंसर कोशिकाओ की उत्पत्ति नही हो पाती ही साथ ही कैंसर रोगी को सेवन करवाने से नई कैंसर कोशिकाओ की उत्पत्ति नही हो पाती है | जिससे रोगी की बीमारी को बढने से रोकने में अत्यंत लाभकारी साबित हुआ है |
12. लुकोरिया
वर्तमान समय में महिलाओ की बड़ी समस्या योनी मार्ग से चिपचिपा पदार्थ का निकलते रहना जिसे श्वेत प्रदर के नाम से पहचाना जाता है के उपचार में भी अश्वगंधा फायदेमंद सिद्ध हुआ है |
13. दर्दनाशक
जिन लोगो को जॉइंट्स पैन की समस्या रहती है उनके लिए कुछ दिन नियमित अश्वगंधा का सेवन करने से सभी प्रकार के जोड़ो के दर्द में राहत मिलती है |
अश्वगंधा के नुकसान / Side Effect fo Ashwagandha
अश्वगंधा का सेवन यदि चिकित्सक की सलाह से किया जाये तो कोई नुकसान होने की सम्भावना नही रहती है किन्तु आप स्वम् के स्वविवेक से उपयोग कर रहे हो तो शिरदर्द,थकान,ज्वर,दस्त,जी मिचलाना ,गैस बनना आदि जैसी समस्या होने की सम्भावना बन जाती है |
अश्वगंधा सेवन की सही विधि तरीके
मात्रा के निर्धारण अपने चिकित्सक के निर्देशानुसार करे या सामान्य तौर पर अश्वगंधा का सेवन 2-5 ग्राम की मात्रा में किया जाने का आचार्यो का मत है |
अश्वगंधा, शतावरी, कालिमुसली के चूर्ण में मिश्री मिलाकर सेवन करने से वजन बढ़ता है |
अश्वगंधा चूर्ण को समान भाग मिश्री मिलाकर दूध से सेवन करने से सभी प्रकार की सेक्स समस्यों व मूत्र रोगों के लिए लाभकारी |
अश्वगंधा, शतावरी, चोबचिनी, ब्राह्मी ,मिश्री आदि का सेवन महिलाओ को होने वाले प्रदर रोगों में लाभकारी है |
अश्वगंधा पाक का सेवन दूध के साथ 1-1 चम्मच सुबह शाम करने से शारिरिक कमजोरी ठीक हो जाती है |
अश्वगंधारिष्ट का सेवन शारीरिक ,व मानसिक कमजोरी को ठीक करने में प्रधान ओषध है |
शरीर में होने वाले सभी प्रकार के शूलों दर्दो में अशवगन्धा से बने किसी भी योग का सेवन अत्यंत लाभकारी है |
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अच्छी जानकारी
GOOD INFORMATION
बहुत अच्छी जानकारी हार्दिक धन्यवाद वैध जी