परिचय :- त्रिफला चूर्ण क्या है ?
त्रिफला अर्थात तीन फल ! त्रिफला जैसे की नाम से ही प्रतीत होता है की इसका निर्माण किन्ही तीन फलो से हुआ होगा जी हा बिलकुल नाम के अनुरूप ही त्रिफला का निर्माण तीन अलग अलग ओषधिय फलो के सम्मिश्रण से किया जाता है | आज आप इस लेख के माध्यम से जानोगे त्रिफला के फायदे निर्माण विधि व् नुकसान के बारे में |
जिनमे हरड, बहेड़ा , आवला को एक निश्चित अनुपात में मिलाकर किया जाता है | त्रिफला का उपयोग वात पित्त व् कफ तीनो दोषों में से किसी भी दोष के प्रकुपित होने की अवश्था में किया जाता है |
त्रिफला चूर्ण की निर्माण विधि
शास्त्रों के अनुसार अलग अलग शास्त्रों में त्रिफला निर्माण की अलग अलग परिभाषा व् विधियाँ बताई गयी है किन्तु जो विधि सबसे श्रेष्ट परिणाम देने वाली है उसमे 1:2:4 का ओषधिय ओसत में लेकर निर्माण किया जाता है –
सामग्री –
हरड ( हरीतकी ) – 5 ग्राम
बहेड़ा ( बिभितकी ) – 10 ग्राम
आवला ( आमलकी ) – 20 ग्राम
त्रिफला में उपयोग में लिए जाने वाले तीनो फलो की स्वास्थ्य के परिपेक्ष में महत्ता
हरड :-
हरड मुख्यतः पर्वतीय प्रदेशो में पैदा होने वाला ओषधिय वृक्ष है यह आसानी से उगाई जा सकने वाला वृक्ष है | इसकी मुखत सात प्रकार की किस्म पायी जाती है | जिनमे से वर्तमान में मात्र तीन किस्म ही मिलती है |
हरीतकी मधुर , तिक्त , कषाय होने से पित्त का , कटु , तिक्त , कषाय होने से कफ का तथा अम्ल , मधुर होने से वात का शमन आसानी से करती है | इस प्रकार से हरड त्रिदोषहर गुणों से परिपूर्ण होती है |
हरड के फल मज्जा में फास्फेरिक , टैनिन , चैबुलेजिक , कोरिलेगिन , 18 से अधिक एमिनो अम्ल , शिकिमिक , सक्सिनिक, एन्थ्राक्विनोंन , गैलिक अम्ल व निर्यास पाया जाता है |
इसका सार रेडियोप्रोटेक्टिव क्रियाशीलता प्रदर्शित करने में अहम भुमिका निभाता है |
बहेड़ा :-
बहेड़ा (बिभीतक) भारत में लगभग सभी जगह आसानी से पाए जा सकने वाला पोधा है |
चरक संहिता के ज्वरहर , शिरोविरेचन तथा सुश्रुत संहिता के त्रिफला व् मुस्तादी गणों में इसका उल्लेख मिलता है | बहेड़ा के उपयोगी फल में ग्लूकोज , गैलेट , टैनिन , बीटा – सीटोस्टेरोल , मैनिटोल , फ्रक्टोज , ऐलेजिक अम्ल , ऑक्सेलिक अम्ल , प्रोटीन , एथिल , रैम्नोज आदि पाये जाते है |
बहेड़ा त्रिदोषहर होता है |
आवला :-
आवला से तो लगभग आप सभी भलीभांति परिचित होंगे ही किन्तु इसमे पाए जाने वाले ओषधिय गुणों पर आज चर्चा करते है | आयुर्वेद में आवले को अमृतफल और धात्रीफल कहा गया है | आवले को रसायन द्रव्यों में श्रेष्ट माना गया है |आयुर्वेद में प्राचीन व् वैदिक काल में भी इसके ओषधिय प्रयोग की जानकारी प्राचीन ग्रंथो में मिल जाती है | आयुर्वेद शास्त्र में आवले का अपना एक अलग पहचान है |
चरक सहिंता में बुढ़ापा रोधी ,ज्वरहर , कासहर , पाचन संस्थान के अनेको रोगों व् वाजीकरण गुणों की प्राप्ति करने के लिए इसके विशेष प्रयोगों का वर्णन आयुर्वेद ग्रंथो में मिलता है |आमलकी ( आवले ) में टैनिन , एस्कार्बिक अम्ल , नियासिन , प्रोटीन , एलानिन , इलेजिक , गैलिक अम्ल , ग्लुटेमिक अम्ल , एस्पार्टिक अम्ल , विटामिन – सी , कैल्शियम , फास्फोरस ,लाइसिन , वसा आदि प्रचूरता से पाया जाता है |
इसका सार immunomodulatory प्रभाव दिखाता है | अर्थात रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
आवला त्रिदोषहर है | इसका त्रिदोषहर प्रभाव होने से यह रुक्ष , कषाय होने से कफ का , अम्ल से वात का , तथा मधुर , शीत होने से पित्त का शमन करता है |
बनाने की विधि :– सबसे पहले सभी के फलो हरड , बहेड़ा व् आवला को पकने के बाद छाया में सुखा ले | ठीक प्रकार से सुख जाने के बाद उपरोक्त अनुपात में लेकर बारीक़ चूर्ण / पाउडर बना ले और किसी पात्र में भर कर रख दे |
विशेष :- यदि आप त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन करना चाहते है तो तीनो फलो को यवकूट करके गाय के घी में भुनले | भुनने के बाद चूर्ण बना कर काम में लेने से किसी भी प्रकार के होने वाले नुकसान से बचे रहने की सम्भावना रहती है |
त्रिफला चूर्ण बनाते समय रखी जाने वाली सावधानिया :-
इस चूर्ण का निर्माण करने से पहले यह सुनिश्चित करले की जो फल आप काम में ले रहे हो वो बिलकुल साफ़ और पूरी तरह से स्वस्थ तो है ना क्योकि यदि काम में लिए जाने वाले फल यदि कीड़े लगे हुए या खराब किस्म के हुए तो आपको आशानुकूल लाभ नही मिल पायेगा |
त्रिफला के फायदे ( Triphla benefits in hindi )
उच्चरक्तचाप में त्रिफला के फायदे ( Triphla benefits in hypertantion in hindi ) :-
त्रिफला में मोजूद स्पेस्मोडिक रक्तचाप के स्तर को नियमित बनाये रखने में अहम भूमिका अदा करता है | आयुर्वेद मतानुसार कब्ज को उच्चरक्तचाप का प्रमुख कारण माना जाता है | कब्ज होने के परिणाम स्वरूप धमनियों में रक्त का संचार नियमित नही हो पता है और धमनिया भी अपने मूल स्वरूप को खो देती है |
धमनिया अपने मूल स्वरूप को खोने से या यु कहें की धमनिया कमजोर होकर चिपक जाती है जिसका सीधा सीधा प्रभाव मनुष्य के हृदय पर पड़ता है | मानव हृदय पर अतिरिक्त प्रभाव पड़ने के बाद हमारा रक्त चाप स्वत: ही बढ़ जाता है | त्रिफला के नियमित सेवन कुछ महीनो तक करने के पश्चात धमनिया मजबूत हो जाती है और रक्तचाप सामान्यावस्था में रहने लगता है |
कब्ज ( Triphla benefits in constipation in hindi ) :-
त्रिफला चूर्ण को सेवन रोज रात को सोने से पहले गुनगुने दूध या पानी के साथ करने से कब्ज गैस , बदह्जमी जैसी समस्याओ से छुटकारा मिल सकता है |
थाईरोइड में त्रिफला के फायदे (Triphla benefits in thyroid in hindi ) :-
त्रिफला में मोजुद एंटीइन्फ्लामेंट्री , एंटीओक्सिडेंट , जैसे गुण हार्मोन्स को बखूबी सामान्यवस्था में लाने में अहम भूमिका निभाते है |
कोलेस्ट्रोल ( triphla benefits in colestrol in hindi )
चुलाभोर्न के इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ़ मेडिसिन थम्मासत यूनिवर्सिटी थाईलैंड में 2017 में हुए एक शोध में सामने आया की त्रिफला का सेवन नियमित 35 दिनों तक करवाने पर कोलेस्ट्रोल ( HDL-C ) के स्तर में काफी सुधार हुआ | त्रिफला में एंटीओक्सिडेंट , एंटीहाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया मोजूद रहता है जो कोलेस्ट्रोल के उपचार में अपनी प्रभावी भूमिका निभाता है |
डाइबिटीज में त्रिफला के फायदे ( triphla benefits in diabetes in hindi ) :-
चुलाभोर्न के इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ़ मेडिसिन थम्मासत यूनिवर्सिटी थाईलैंड में 2017 में हुए एक शोध में यह भी सामने आया की त्रिफला का सेवन नियमित 35 दिनों तक करवाने पर डायबिटीज रोगीयो में काफी अच्छे परिणाम देखने को मिले | त्रिफला में मोजूद एंटीइन्फ्लामेंट्री , एंटीकैंसर , एंटीओक्सिडेंट आदि डायबिटीज रोगियों के लिए लाभकारी साबित होते है | यदि चिकित्सकीय परामर्श के उपरांत त्रिफला का नियमित सेवन करे तो उसके पैंक्रियाज की कार्यक्षमता में सुधार आकर उसका शुगर लेवल सामान्य आने की सम्भावना काफी हद तक बढ़ जाती है |
आँखों के रोगों में त्रिफला के फायदे (Triphla benefits in eye disorder in hindi ) :-
रोज रात को आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी के साथ सेवन करे साथ ही दो चम्मच त्रिफला चूर्ण को एक गिलास पानी में भिगोकर छोड़ दे | त्रिफला के पानी से सुबह आँखों को अच्छी तरह से धोये ऐसा करने लम्बे समय तक करने से आँखों की रोशनी बढने लग जाती है | क्योकि त्रिफला में पाया जाने वाला एंटीफंगल आँखों की रक्षा करता है |
बालो से सम्बंधित रोगों में त्रिफला के फायदे ( triphla benefits in hair fall and dandruff in hindi ) :-
वर्तमान समय में बालो की समस्या बहुत बड़ी समस्या का रूप धारण कर चुकी है | आज प्रत्येक व्यक्ति अपने बालो को लेकर चिन्तित है | क्योकि बाल सुन्दरता को प्रदर्शित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते है |
वर्तमान समय में बाज़ार में मिलने वाले कंडीसनर व् शैम्पू आदि में अत्यधिक केमिकल का उपयोग होता है जो लम्बे समय तक उपयोग करने से बालो को कमजोर बना देता है | ऐसी स्थिति से बचने के लिए त्रिफला चूर्ण 10 ग्राम को 1 लीटर पानी में डालकर उबाले और उबले हुए पानी से बालो को धोने से बालो का झड़ना बंद होकर बाल खुबसुरत होने लगते है |
इस प्रयोग को आजमाने से बालो का झड़ना तो रुकेगा ही साथ ही साथ रुसी से भी निज़ात मिलेगा | और जैसे ही रुसी से निज़ात मिलेगा स्वभाविक रूप से बालो की लम्बाई बढने लग जाएगी |
मोटापे में त्रिफला के फायदे ( triphla benefits in obesity in hindi ) :-
मोटापे से निज़ात पाने में त्रिफला का महत्वपूर्ण रोल होता है | रोज एक चम्मच त्रिफला को रात को पानी में भिगो दे और सुबह हल्का गुनगुना करके शहद मिलाकर सेवन करे | ठीक इसी प्रकार सुबह एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को भिगोकर शाम को पिए त्रिफला के इस प्रकार किये गये सेवन से कुछ दिनों में ही वजन कम होने लगता है |
त्रिफला चूर्ण में मोजूद कोलेसिस्टोकिनिन के रिसाव को उत्तेजित कर देता है जिससे सेवन करने वाले व्यक्ति को कमजोरी का अहसास भी नही होता है |
डिटोक्सीफिकेशन में त्रिफला के फायदे ( triphla benefits in detoxification in hindi )
त्रिफला चूर्ण में बहुतायत से एंटीओक्सिडेंट मोजूद रहते है | जो अपशिष्ट पदार्थो के जमाव को रोकने व् जमे हुए अपशिष्ट पदार्थो को बड़ी आसानी से शरीर से बहार निकाल देते है |
चर्मरोगो में ( triphla benefits in skin disorder in hindi ) :–
त्रिफला का सेवन लाल रक्त कोशिकाओ को बढ़ाने व् उनकी कार्य क्षमता को बढ़ा देता है जिससे शरीर में होने वाले किसी भी प्रकार के संक्रमण से रक्षा करने में विशेष भूमिका निभाता है | त्रिफला में मोजूद एंटीओक्सिडेंट हमारी कोशिकाओ की रक्षा के अलावा हमारी स्किन को भी प्रोटेक्ट करते है | जिसके कारण लम्बे समय तक हमारी स्किन पर स्वभाविक चमक बनी रहती है |
कैंसर रोग से बचाव करने में त्रिफला के फायदे ( triphla benefits in cancer preventive in hindi ) :-
वर्तमान समय में आधुनिक जीवन शैली के कारण कैंसर जैसी भयंकर बीमारी बहुतायत से पनप रही है आज से लगभग 10 वर्ष पहले बेमुश्किल कैंसर के रोगी देखने या सुनने को मिलते थे किन्तु वर्तमान की बिगड़ी हुई जीवनशैली व् खाद्य पदार्थो के केमिकैल्स का बढ़ता प्रयोग कैंसर को बढ़ाने या पनपाने में अहम रोल अदा कर रहे है |
इस भयंकर बीमारी से बचे रहने के लिए त्रिफला एक बहुत ही सस्ता व बेहतरीन विकल्प है | क्योकि त्रिफला में एंटीकैंसर , एंटीएन्फ्लामेंट्री , एंटीओक्सिडेंट जैसे गुणों की भरमार मोजूद है | जो की कैंसर जैसी घातक बीमारी से हमारी बखूबी रक्षा करने में सक्षम है |
त्रिफला चूर्ण के नुकसान
- चिकित्सकीय देखरेख में यदि त्रिफला चूर्ण का सेवन किया जाये तो नुकसान होने की सम्भावना बहुत कम रहती है |
- गर्भवती महिलाओ और बच्चो को कभी भी बिना चिकित्सकीय परामर्श के त्रिफला चूर्ण का सेवन नही करना चाहिए |
- यदि आप त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन कर रहे हो तो चिकित्सक से उसके बारे में अवश्य परामर्श कर ले अन्यथा पेट दर्द जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है |
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धन्यवाद !