icon

Getting all of the Ayurveda Knowledge from our Ayurvedic blog.

We are 5 year old website in Ayurveda sector. Providing you regular new article on Ayurveda. You can get Herbs, Medicine, Yoga, Panchkarma details here.

+91 9887282692

A 25 Flat 4, Shantinagar, Durgapura, Jaipur Pin code - 342018

निरोग रहने के दोहे

निरोग रहने के दोहे अर्थ सहित | Nirog Rahne Ke Dohe

निरोग रहने के दोहे: स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है, यह कहावत हम सभी ने सुना है। हमारी रोजमर्रा की जीवनशैली और आदतें हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। यह लेख “निरोग रहने के दोहे” के माध्यम से हम आयुर्वेद के माध्यम से किस प्रकार स्वस्थ रह सकते हैं की जानकारी आप सभी के सामने रखेंगे

निरोग रहने के दोहे

इन्हें आप स्वास्थ्य पर दोहे भी कह सकते हैं । क्योंकि ये दोहे प्राचीन समय से ही चले आ रहें हैं । इन्हें पढ़ कर आप इन नुस्खों को अपनाकर एक बेहतरीन स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं । तो चलिए जानते हैं वे कौनसे दोहे हैं जो निरोग रहने के दोहे कहलाते हैं –

निरोग रहने के दोहे अर्थ सहित (Nirog Rahne Ke Dohe)

निम्न हमने विभिन्न निरोग रहने के दोहे अर्थात स्वास्थ्य पर दोहे बताएं हैं जिन्हें आप अर्थ सहित समझ सकते हैं ।

1. पहला दोहा

वाणि अजीरण औषधि, जीरण में बलवान।

भोजन के संग अमृत है, भोजनांत विषपान।।

पानी के संबंध में

अर्थ: जब तक भोजन पच न जाये तब तक पानी नहीं पीना चाहिए । पानी को भोजन करते समय या भोजन से पूर्व पीया जाये तो यह अमृत के समान कार्य करता है परन्तु वहीँ अगर भोजन के पश्चात इसे पीया जाये तो यह जहर बन जाता है । अत: पानी को भोजन पचने के बाद ही पीना चाहिए ।

2. दूसरा दोहा

तुलसी का पत्ता करे, यदि हरदम उपयोग
मिट जाते है हर उम्र में, शरीर के सारे रोग

तुलसी के दोहे

अर्थ: इसमें कहने का अर्थ है कि तुलसी को एक उत्तम औषधि माना जाता है । जो व्यक्ति नित्य तुलसी का पता सुबह के समय खाली पेट सेवन करता हैं । उसके सभी रोग कट जाते हैं ।

3. तीसरा दोहा

जो नहावें गर्म जल से, तन मन हो कमजोर
आँख ज्योति कमजोर हो, शक्ति घटे चहुंओर।

गरम जल के बारे में

अर्थ: इस दोहे का अर्थ है की गरम जल से नहीं नहाना चाहिए । क्योंकि गरम जल से नहाने से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है । इससे आँखे कमजोर होती हैं व्यक्ति को रोग जल्दी घेर लेते हैं ।

4. चौथा दोहा

चैत्र माह में नीम की पत्ती हर दिन खावे,
ज्वर, डेंगू या मलेरिया, बारह मील भगावे।

नीम की पत्ती

अर्थ: इस दोहे का अर्थ यह है कि चैत के महीने में हमेंशा नियमित सुबह नीम की कच्ची हरी पत्ती खानी चाहिए । इससे खाने से बुखार, मलेरिया और डेंगू का खतरा नहीं होता ।

5. पांचवा दोहा

गुरच औषधि सुखन में, भोजन कहो प्रमान

चछु इंद्रिय सब अंग में, शिर प्रधान भी जान।।

भोजन के सन्दर्भ में

अर्थ: इसका अर्थ है कि जिस प्रकार सभी औषधियों में गिलोय सबसे प्रथम और उपयोगी है उसी प्रकार सभी शारीरिक सुखों में भोजन सबसे जरुरी हैं । क्योंकि भोजन को करने से शरीर में अन्य सुख प्रकट होते हैं । अत: भोजन को कभी न नहीं कहना चाहिए ।

6. छठवा दोहा

चूर्ण दश गुणों अन्न ते,ता दश गुण पय जान।

पय से अठगुण मांस ते तेहि दशगुण घृत मान।।

घी के फायदे

अर्थ: इस दोहे का अर्थ है जैसे चूर्ण अन्न से 10 गुना अधिक बलवान होता हैं और अन्न से 10 गुणा दूध और दूध से 10 गुणा मांस और मांस से भी अधिक बलवान गाय का घी होता है । अत: अगर शरीर को बलवान बनाना है तो घी का सेवन अवश्य करना चाहिए ।

7. सातवाँ दोहा

फल या मीठा खाइके, तुरंत न पीजै नीर,
ये सब छोटी आंत में, बनते विषधर तीर

पानी के फायदे

अर्थ: इस दोहे का अर्थ है की फल या मीठा खाने के तुरंत बाद पानी कभी नहीं पीना चाहिए । क्योंकि इनके बाद पानी पीने के बाद ये सब छोटी आंत में, विष बनते हैं ।

8. आठवां दोहा

अलसी, तिल, नारियल, घी, सरसों का तेल
इसका सेवन आप करें, नहीं होगा हार्ट फेल.

हार्ट के लिए

अर्थ: अलसी, तिल, नारियल, घी, सरसों का तेल इन सब का सेवन करने से हृदय विकार नहीं होते है ।

9. नौवां दोहा

देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल,
अपच, आँख के रोग संग, तन भी रहे निढाल।

शयन

अर्थ: अगर आपको स्वस्थ रहना है तो रात में देर तक नहीं जागना चाहिए । क्योंकि देर तक जागना अपच, आँख के रोग और शारीरिक विकार उत्पन्न हो जाते हैं अत: जल्दी सोना चाहिए ।

10. दसवां दोहा

घूँट-घूँट पानी पियो, रह तनाव से दूर
एसिडिटी या मोटापा, होवें चकनाचूर।

पानी पीना

अर्थ: पानी को हमेंशा घूंट – घूंट पीना चाहिए । क्योंकि इस प्रकार से पीने से अम्लता, मोटापा जैसे रोग नहीं होते । पानी को एक साथ कभी भी न पियें यह आपके घुटनों के लिए नुकसान दायक हो सकता है ।

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

Written by

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
नमस्कार आप अपनी स्वास्थ्य संबंधिय समस्याएँ परामर्श कर सकते हैं । हमें जानकारी उपलब्ध करवाएं