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भुजंगासन के फायदे

भुजंगासन (Cobra Pose) हिंदी में: भुजंगासन के फायदे, करने की विधि और सावधानियां

भुजंगासन के फायदे : भुजंगासन एक प्राचीन योग आसन है जिसका योग आसनों में महत्वपूर्ण स्थान है । यह आसन मुख्यत: भूमि पर पेट के बल लेटकर किया जाता है और इसे कोब्रा pose के नाम से भी जाना जाता है । जब इस आसान को किया जाता है तो योगी द्वारा जमीन पर लेट कर मुंह को सांप के फन की तरह आगे से उठाना पड़ता है । इसी आधार पर अंग्रेजी भाषा में इसे कोबरा पोज नाम से जाना जाने लगा । इस लेख में, हम आपको भुजंगासन के फायदे, करने की विधि, और सावधानियों के बारे में जानकारी देंगे ।

भुजंगासन के फायदे

भुजंगासन क्या है ? (What is Bhujangasana in Hindi)

भुजंगासन, योग का एक महत्वपूर्ण आसन है जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। इस आसन का नाम संस्कृत के शब्द “भुजङ्ग” से आता है, जिसका अर्थ होता है “साँप”। इसका आसन में योगी द्वारा साँप के तरह शरीर को उठाने के कारण यह फन उठाये सांप के समान दिखाई देता है, इसलिए इसका नाम भुजंगासन है।

इस आसन को करने के लिए आपको अपने पेट पर लेटना होता है, और फिर आपको अपने हाथों को अपने सीने के ऊपर रखना होता है, जैसे कि आप एक साँप के सिर को ऊपर उठाते हैं। इसके बाद, आपको अपने सीने को उठाते हुए अपने सिर को पीछे की ओर धकेलना होता है और इसके साथ ही आपको अपने पेट को फ्लोर से ऊपर उठाना होता है। इस स्थिति को कुछ समय तक बनाए रखने के बाद, आपको धीरे-धीरे आराम से वापस अपने पेट पर लेट जाना होता है।

भुजंगासन का नियमित अभ्यास करने से हमारे शरीर में कई फायदे होते हैं। इससे हमारी कमर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, पेट की चर्बी कम होती है, और हमारी पोस्चर और कमर की स्थिरता बढ़ती है। साथ ही, यह आसन हमारे साँस लेने की क्षमता को भी सुधारता है और तनाव को कम करने में मदद करता है।

इसके अलावा, भुजंगासन हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारता है। इसका अभ्यास करने से हमारा मन शांत और सकारात्मक रूप से काम करने लगता है, और हम तनाव और चिंता से मुक्ति प्राप्त करते हैं।

भुजंगासन करने की विधि (How to do Cobra Pose in Hindi)

भुजंगासन (Cobra Pose) एक प्राणायाम और योगासन है जो आपके पीठ को मजबूत बनाता है और आपके शरीर को फ्लेक्स करने में मदद करता है। यह योगासन बढ़ती उम्र के साथ आने वाली पीठ और कमर के दर्द को कम करने में भी मदद कर सकता है। निम्नलिखित है भुजंगासन को करने की विधि:

  1. पहले तो, एक योग मेट के ऊपर लेट जाएँ और अपने पेट के साथ अपने चेहरे को नीचे करें। अपने पैरों को एक साथ रखें, और अपने मन को एकाग्र करें
  2. पैरों को एकदम सीधा रखें और पाँव और एडियाँ भी एक सिद्ध में रखें । दोनों हाथ दोनों कन्धों के निचे रखें और दोनों कोहनियों को शरीर के पास रखें ।
  3. अब, अपने पेट को धरें और अपने सांस बाहर करें, धीरे-धीरे अपने शरीर को ऊपर उठाएं। इसके परिणामस्वरूप, आपके ऊपर केवल आपके हाथों की सहायता से आपके शरीर का भार होगा। यह आपके पीठ की कठोरता को खोलेगा और सीधे पेट को समतल कर देगा।
  4. धीरे-धीरे अपने सिर को पीछे की ओर झुकाएं और आपके आँखें ऊपर की ओर देखें। इस स्थिति में, आपके पीठ और कमर को सही दिशा में खींचने का प्रयास करें, लेकिन आपके हाथों का भार अपने शरीर पर बना रहे।
  5. अपनी सांस को धीरे-धीरे बाहर छोड़ते समय, ध्यान से इस स्थिति में बने रहें। यहाँ आपको थोड़ी देर तक रुकना है ।
  6. अब, सांस अंदर लेते हुए धीरे-धीरे अपने शरीर को नीचे ले आएं, अपने हाथों को अपने सिर के पास ले आएं और आराम से सिर को नीचे करें।
  7. अपने हाथों को अपने सिर से हटाकर, सीधे लेट जाएं। अर्थात शुरूआती अवस्था में वापस आ जाएँ ।

ध्यान दें कि आपको भुजंगासन करने के दौरान अपने पेट को सीधा रखना चाहिए और जब भी आप ऊपर उठते हैं, आपको अपने हाथों का और पीठ का भार उठाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। आपको इस आसन को 15-30 सेकंड के लिए धारण करना चाहिए और फिर सांस बाहर करने के बाद धीरे-धीरे नीचे आना है।

भुजंगासन के फायदे (Health Benefits of Bhujangasana in Hindi)

भुजंगासन (Cobra Pose) के कई स्वास्थ्य और शारीरिक फायदे होते हैं:

  1. पीठ की मजबूती: यह आसन पीठ को मजबूत करता है और पीठ के दर्द को कम करता है।
  2. कमर के दर्द का उपचार: भुजंगासन करने से कमर के दर्द को कम करने में मदद मिलती है, खासतौर पर सीढ़ियों पर चढ़ने और उतरने में होने वाली समस्याओं में इस आसान को अवश्य करना चाहिए ।
  3. श्वासन प्रणायाम: इस आसन को प्राणायाम के रूप में भी किया जा सकता है, जिससे श्वास – प्रश्वास का विकास होता है और फेफड़ों को मजबूती मिलती है। यह फेफड़ों को शक्ति देने वाला योग आसन है ।
  4. पेट और पाचन: यह आसन पेट को साफ़ रखने में मदद करता है और पाचन को सुधार कर कब्ज एवं पाचन की विकृतियों में फायदेमंद साबित होता है ।
  5. हृदय के लिए फायदेमंद: भुजंगासन हृदय के लिए भी फायदेमंद होता है, क्योंकि यह हृदय की प्रवृत्तियों को सुधार सकता है और रक्त प्रवाह को बढ़ावा देता है।
  6. शांति और सांस की संयम: इस आसन को करते समय, आपको शांति और सांस की संयम की अभ्यास करने का मौका मिलता है, जो आपके मानसिक स्थिति को सुधार सकता है।
  7. स्पिनल कॉर्ड के लिए फायदेमंद: यह आसन स्पिनल कॉर्ड को सुधारता है और अकड़ी हुई पीठ को ठीक कर देता है।
  8. शरीर को लचीलापन देने वाला: भुजंगासन शरीर को लचीलापन देता है और शरीर की संवेगशीलता को बढ़ावा देता है।
  9. ध्यान और साधना के लिए मददगार: इस आसन को ध्यान और साधना के लिए भी उपयोग किया जा सकता है, जिससे आपका मानसिक और आध्यात्मिक विकास हो सकता है।

ध्यान दें कि योगासन को सही तरीके से करने के लिए सही गाइडेंस और सावधानी की आवश्यकता होती है, और यदि आपको किसी प्रकार की चिकित्सीय समस्या हो, तो पहले हमारे आयुर्वेदिक योगाचार्य से सम्पर्क कर सकते हैं ।

भुजंगासन में सावधानियां (Precautions during Bhujangasana)

भुजंगासन को करते समय निम्नलिखित सावधानियों का पालन करें:

  1. शुरुआत में सावधानी: यदि आप नए हैं या योग के नियमों को नहीं जानते हैं, तो एक प्रशिक्षक के साथ या सहायक के साथ योग अभ्यास करें। इसके लिए आप हमारे वैद्य से सम्पर्क कर सकते हैं ।
  2. डाक्टर की सलाह: यदि आपको कमर की समस्या, बढ़ती उम्र की समस्या, या किसी अन्य चिकित्सीय समस्या हो, तो पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
  3. धीरे से शुरू करें: भुजंगासन को करते समय धीरे-धीरे आरंभ करें। आपके शरीर को योग्य फ्लेक्सिबिलिटी देने के लिए अपने प्राणायाम और योग अभ्यास को समय समय पर बढ़ाएं।
  4. दर्द या तनाव की स्थिति में ना करें: यदि आपको किसी प्रकार की दर्द, तनाव या अस्वस्थता महसूस होती है, तो तुरंत आसन को छोड़ दें और इसे उस समय करें जब आप अच्छा महसूस कर रहें हो ।
  5. सांस और प्रश्वास का ध्यान: सांस बाहर और अंदर लेते समय सावधानी बरतें, और अपने शरीर को दबाने या ज़ोर से टानने से बचें।
  6. सही खिंचाव: भुजंगासन के दौरान आपको आपके पीठ और कमर को सही दिशा में खींचने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन आपके हाथों का और पीठ का भार उठाने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
  7. सावधानी बरतें: यदि आपके पास श्वसन प्रणायाम के अभ्यास हो, तो आपको सावधानी से इसे करना चाहिए और अगर आपको वर्णित स्थिति में किसी भी समस्या का सामना करना पड़े तो तुरंत बाहर आना चाहिए।

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

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Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

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