श्वासकुठार रस के फायदे : श्वास सम्बन्धी रोग कोविड के बाद बहुत तेजी से बढ़ रहे है ऐसे में आधुनिक चिकित्सा लेने के बाद अधिकतर लोग आयुर्वेद की शरण में आने लगते है | आखिर आयेंगे भी क्यों नही आयुर्वेद में सभी गंभीर बीमारियों का सफल इलाज जो होता है | ऐसे में आज श्वासकुठार रस के फायदे घटक द्रव, बनाने की निर्माण विधि, और नुकसान आदि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे –

श्वासकुठार रस क्या होता है ?
श्वासकुठार रस आयुर्वेद में श्वसनतंत्र सम्बन्धी रोगों जैसे अस्थमा, नजला, दमा, खांसी, ब्रोंकाइटिस, मन्दाग्नि आदि में लाभदायक परिणाम देता है | श्वासकुठार रस आयुर्वेद शास्त्रों में वर्णित एक क्लासिकल आयुर्वेदिक दवा है | जिसका उपयोग आयुर्वेद चिकित्सको द्वारा बहुतायत से किया जाता है | इसमें बहुत से अलग-अलग आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के मिश्रण से तैयार किया जाता है जिसका वर्णन आगे किया जायेगा |
घटक द्रव
श्वासकुठार रस को बनाने में आगे दिए गए घटक द्रवों का उपयोग किया जाता है –
पारद | 6 ग्राम |
गंधक | 6 ग्राम |
मैनसिल | 6 ग्राम |
सुहागा शुद्ध | 6 ग्राम |
वत्सनाभ | 6 ग्राम |
कालीमिर्च | 72 ग्राम |
श्वासकुठार रस बनाने की निर्माण विधि
श्वासकुठार रस बनाने की निर्माण विधि की यदि बात करे तो बहुत ही सावधानी के साथ करते है | सबसे पहले पारद और गंधक की कज्जली तैयार की जाती है | कज्जली तैयार हो जाने के बाद वत्सनाभ, कालीमिर्च और सुहागा को मिक्स करे ध्यान रहे कालीमिर्च को थोड़ी थोड़ी मात्रा में खरल करते समय डालते रहे एक साथ करने से कालीमिर्च बारीक़ नहीं पिसती है और ऐसा हुआ तो आपकी कालीमिर्च पूरी तरह से मिक्स नही हो पायेगी | उसके बाद बाकि बचे घटक द्रव्यों को डालकर पान के रस की भावना देकर गोलियां बनाकर रखले |
श्वासकुठार रस के फायदे shwas kuthar ras benefits in hindi
अस्थमा में श्वासकुठार रस के फायदे
जो लोग अस्थमा से पीड़ित है उनके लिए श्वासकुठार रस के फायदे के रूप में सबसे अधिक सफलता हासिल होगी यदि आपने आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श के बाद बताये अनुसार सही से सेवन किया तो इसके सेवन से पुराने से पुराना अस्थमा ठीक होने लगता है | अस्थमा में अधिक लाभ लेने के लिए श्वासकुठार रस का सेवन शहद या अदरक स्वरस से करना चाहिए |
नजला में श्वासकुठार रस के फायदे
यदि आपकी नाक से पानी बहता है या नाक में खुजली चलती रहती है तो यह आयुर्वेदिक दवा आपको अल्प समय में ही इन समस्याओ से राहत दिला सकता है | इसके लिए श्वासकुठार रस को अन्य आयुर्वेद औषधियों जैसे सितोफलादी चूर्ण, टंकण भस्म, गिलोय सत्व आदि के साथ लेने से बहुत ही कम समय में लाभ मिलता है |
कफ जनित खांसी में फायदे
जिन लोगो को कफ के साथ खांसी की शिकायत अधिक बनी रहती है ऐसे लोगो को कंटकारी पञ्चांग से श्वासकुठार रस का सेवन करने से लाभ मिलता है | साथ ही ध्यान रहे वासकासव का सेवन अधिक लाभ दिलाएगा |
मन्दाग्नि में श्वासकुठार रस के फायदे
यदि आप मन्दाग्नि की समस्या से परेशान हो और आप बहुत सी दवाई खा चुके हो तो आपको अपनी प्रकृति परीक्षण नजदीकी आयुर्वेद चिकित्सक से करवाने के बाद 250-500 मिग्रा की मात्रा में खाने से पहले अदरक स्वरस के अनुपन के साथ सेवन करना चाहिए जिससे आपकी जठराग्नि दीप्त हो जाएगी और अच्छी भूख लगने लगेगी |
चिकित्सकीय उपयोग
आयुर्वेद चिकित्सक श्वास कुठार रस का उपयोग आयुर्वेदानुसार बहुत सी बीमारियों में अलग-अलग औषधियों के साथ मिक्स करवाकर रोगियों को स्वास्थ्य लाभ हेतु करवाते है | जिनमे से कुछ बीमारियों का विवरण आगे दिया जा रहा है |
लंग्स की सुजन : लंग्स में होने वाली सुजन अर्थात फुफ्फुस आवरण शोथ में इसका उपयोग करवाया जाता है | किन्तु ध्यान रहे जब तक फुफ्फुस में पानी भरना प्रारम्भ नही हुआ हो तभी तक ये औषधि काम करती है |
माइग्रेन : माइग्रेन जिसे आधाशीशी या अर्धावभेदक के नाम से जाना जाता है | ये सामन्यत: कफ वृद्धि होने से उत्पन्न हुए उपद्रव होते है | माइग्रेन में श्वासकुठार रस के फायदे आमतौर पर आयुर्वेद चिकित्सक लेते है | अपने रोगियों को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने में |
जुकाम : जुकाम होने की स्थिति में श्वास कुठार रस की 2-2 गोली शहद के साथ मिक्स करके सेवन करने से अधिक लाभ होता है | शीघ्र परिणाम के लिए संजीवनी वटी, त्रिभुवनकीर्ति रस और स्वास कुठार रस तीनो को एक साथ मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से लाभ मिल सकता है |
तिमिर : जिन लोगो को जुकाम होने के बाद आँखों के सामने अंधेरा आजाता है ऐसी अवस्था में श्वास कुठार रस का सेवन अत्यंत फायदेमंद साबित होता है | बुढ़ापे में होने वाले तिमर रोग में भी इसका सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है |
नजला : जिन लोगो को नजला अर्थात नाक से पानी बहना, छींके आना, आँखों से पानी आना आदि समस्या रहती है उनके लिए श्वासकुठार रस के फायदे बड़े कमाल के है | ऐसे लोगो को मोषम प्रवर्तन के साथ साथ अपने आप में भी प्रवर्तन अवश्य करते रहना चाहिए | जिससे अधिक परेशानी नही हो साथ ही श्वास कुठार रस के साथ आयुर्वेद चिकित्सक से सलाह लेकर श्वासकास चिंतामणि रस, टंकण भस्म, सितोफलादी चूर्ण, त्रिभुवन कीर्ति रस आदि का सेवन करने से अधिक लाभ मिलने की संभावना रहती है |
श्वसनतंत्र सम्बन्धी रोगों के अतिरिक्त बेहोशी होना, भ्रम, मूर्छा होने पर नस्य के रूप में श्वास कुठार रस का उपयोग किया जाता है |
सेवन की विधि
श्वास कुठार रस का सेवन वैसे तो चिकित्सक द्वारा निर्धारित की जाती है किन्तु इसका सामान्य डोज (खुराक) – 250 से 500 मिग्रा तक दिया जाता है |
श्वास कुठार रस के नुकसान
आमतौर पर आयुर्वेद औषधियों का नुकसान नही होता है किन्तु स्वम् द्वारा खुराक का निर्धारण करके सेवन करने से दुष्प्रभाव होने की संभावना रहती है | ऐसे में अपने नजदीकी आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लेने के पश्चात ही आयुर्वेद दवाओ का सेवन करना अधिक सुरक्षित रहता है |
- पित्तज श्वास कास की स्थिति में इसका सेवन नही किया जाता है |
- कुछ रोगियों द्वारा खुद से सेवन करने पर शरीर में उष्णता बढ़ जाती है | जिससे परेशानी हो जाती है |
- श्वास कुठार रस की सही खुराक के लिए आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श के बाद सेवन करना चाहिए खुद से सेवन करने पर दुष्प्रभाव हो सकते है जिनमे प्रमुख पित्त की वृद्धि होना है |
- शरीर में गर्मी के बढ़ जानी की स्थिति में इसका सेवन गिलोय सत्व , दाडिमावलेह या प्रवालपिष्टी के साथ करने से दुष्प्रभाव कम हो जाते है |
सावधानिया
ध्यान रखे श्वास कुठार रस का सेवन करने के दौरान कफ बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थो का सेवन नहीं करे | खटाई का सेवन ना करे | चिकनाई बिलकुल भी ना खाए अन्यथा लाभ नहीं मिलेगा |