सुवर्ण मालिनी वसंत रस: इस रस को बनाने के लिए स्वर्ण, मोती, केसर, कस्तूरी आदि बहुमूल्य घटक द्रव्यों का उपयोग किया जाता है। जिसके कारण यह है टीबी, मंदाग्नि, प्लीहा वृद्धि, यकृत विकार, स्त्रियों के प्रदर रोग, खांसी, अस्थमा, धातुओं की कमजोरी, हृदय रोग, सिर में दर्द आदि में बहुत ही उत्कृष्ट लाभ देने वाला हैं। यदि किसी रोग के कारण रोगी को कमजोरी महसूस होती हो या वृद्धावस्था के कारण शरीर में निर्मलता आ गई हो तो इस रसायन के सेवन से वह जल्द ही नष्ट हो जाती है। इसके साथ ही टीबी जैसे भयंकर रोग तथा हृदय की दुर्बलता के लिए स्वर्ण मालिनी वसंत रस का उपयोग बहुत ही श्रेष्ठ परिणाम देता है।
इसके अतिरिक्त आप यदि सुवर्ण मालिनी वसंत रस के अन्य गुण व उपयोग को जानना चाहते हैं तथा यह किन-किन घटक द्रव्यों से निर्माण किया जाता है तथा इसकी निर्माण विधि को जानने के लिए आप हमारे इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़ें।
सुवर्ण मालिनी वसंत रस के घटक द्रव्य
सुवर्ण मालिनी वसंत रस को बनाने के लिए कुछ विशेष घटक द्रव्यों का उपयोग किया जाता है। जो इस प्रकार है-
- स्वर्ण भस्म – 3 तोला
- प्रवाल पिष्टी – 3 तोला
- शुद्ध हिंगुल – 6 तोला
- सफेद मिर्च चूर्ण-10 तोला
- कस्तूरी – 1 तोला
- गोरोचन – 1 तोला
- नाग भस्म-2 तोला
- बंग भस्म-3 तोला
- अभ्रक भस्म – 3 तोला
- केसर – 1 तोला
- मोती पिष्टी- 5 तोला
- छोटी पीपली चूर्ण – 1 तोला
- खर्पर भस्म – 13 तोला
- मक्खन – 3 तोला
- नींबू का रस- 5 तोला
सुवर्ण मालिनी वसंत रस की निर्माण विधि
- सबसे पहले सुवर्ण मालिनी वसंत रस बनाने के लिए सभी घटक द्रव्यों को इकट्ठा कर लें।
- अब घटक द्रव्यों की बताई गई मात्रा के अनुसार उन्हें ले।
- अब स्वर्ण भस्म, प्रवाल पिष्टी, शुद्ध हिंगुल, सफेद मिर्च चूर्ण, नाग भस्म, बंग भस्म, अभ्रक भस्म, मोती पिष्टी, छोटी पीपली चूर्ण, खर्पर भस्म को लेकर एक साथ एकत्रित करके मिला ले।
- कस्तूरी, केसर और गोरोचन को अभी इन द्रव्यों के साथ नहीं मिलना है।
- अब एकत्रित करके मिले हुए सभी औषधियों को मक्खन में डालकर मर्दन करें।
- जब मक्खन की चिकनाई नष्ट हो जाए, तब नींबू का रस मिलाकर घुटाई करें।
- जब सभी द्रव्यों की अच्छी तरह से नींबू के रस में घुटाई हो जाए तो कस्तूरी, केसर और गोरोचन पीसकर मिला लें।
- अब इन सभी औषधियों को मिलाने के बाद बिल्कुल महीन पीसकर सुरक्षित रख ले।
- इस प्रकार हमारा सुवर्ण मालिनी वसंत रस बनाकर तैयार हो जाता है।
सुवर्ण मालिनी वसंत रस के गुण व उपयोग
- सुवर्ण मालिनी बसंत रस मोती, केसर, कस्तूरी, स्वर्ण और गोरोचन आदि बहुमूल्य जड़ी – बूटियां से निर्मित होता है अतः यह रसायन टीबी और पुराने बुखार में बहुत ही सर्वश्रेष्ठ लाभ देता है।
- सुवर्ण मालिनी रस में स्वर्ण भस्म का उपयोग किया जाता है। स्वर्ण भस्म मस्तिक की सभी प्रकार की निर्बलता को दूर करके व्यक्ति को तंदुरुस्त करता है और मानसिक रोगों से दूर करता है।
- कई बार किसी रोग से या वृद्धावस्था के कारण कमजोरी आ जाती है। ऐसी स्थिति में यदि सुवर्ण मालिनी वसंत रस का उपयोग किया जाए तो यह टीबी जैसे भयंकर रोगों को दूर करने के साथ-साथ हृदय की दुर्बलता को दूर करने में भी सहायक है तथा शरीर में तंदुरुस्ती लाता है।
- कई बार यकृत और प्लीहा में दोष उत्पन्न हो जाते हैं जिसके कारण पाचन क्रिया अनियमित हो जाती है। ऐसी स्थिति में यदि सुवर्ण मालिनी वसंत रस का उपयोग किया जाए तो यकृत और प्लीहा के दोष दूर होकर पाचन क्रिया को नियमित हो जाती है।
- तरुण स्त्रियों के मासिक धर्म में रक्त अधिका आना, रक्त प्रदर होना या श्वेत प्रदर के पश्चात होने वाली खून की कमी और दुर्बलता में यदि सुवर्ण मालिनी वसंत रस का उपयोग किया जाए तो यह अमृततुल्य लाभ देता है।
- सुवर्ण मालिनी वसंत रस का उपयोग बालक, वृद्ध, युवा, गर्भवती स्त्रियां सभी समान रूप से कर सकते हैं और इसका लाभ सभी को समान रूप से मिलता है।
- किसी भी देश में सभी प्रकार की प्रकृति वाले और सभी धातुओं वाले लोग सुवर्ण मालिनी वसंत रस का उपयोग बिना किसी डर के आसानी से कर सकते हैं।
- विशेषत: कीटाणु जनित रोगों की प्रारंभिक अवस्था में शरीर का बल बढ़ाने के लिए और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए सुवर्ण मालिनी वसंत रस का उपयोग आसानी से किया जा सकता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ टीबी के कारण उत्पन्न कीटाणुओं का नाश करने के लिए भी सुवर्ण मालिनी वसंत रस सर्वश्रेष्ठ है।
- कई बार लगातार बुखार रहने के कारण शरीर में प्लीहा की वृद्धि और अग्निमंद हो जाती है। ऐसी स्थिति में सुवर्ण मालिनी वसंत रस का उपयोग कुछ दिन लगातार करने से लाभ मिलता है।
- शरीर में कफ बढ़ना टीबी रोग की प्रथम अवस्था है। सूखी खांसी, हल्का बुखार, शाम को तापमान बढ़ना, दिन – प्रतिदिन कमजोरी महसूस होना और सुबह के समय पसीना आदि का ना आदि लक्षण उत्पन्न होने पर प्रवाल पिष्टी और सितोपलादि चूर्ण मिलाकर सुवर्ण मालिनी वसंत रस का उपयोग करने से विशेष और शीघ्र लाभ मिलता है।
- स्त्रियों के श्वेत प्रदर रोग में यह रसायन बहुत ही लाभदायक होता है। स्त्रियों में श्वेत प्रदर भी अनेक प्रकार के होते हैं। इसमें गर्भाशय से या योनि मार्ग से प्रदर हुआ हो और रोग नवीन हो तो गिलोय सत्व और शहद के साथ सुवर्ण मालिनी वसंत रस का सेवन करने से शीघ्र लाभ देखने को मिलता है।
- यदि बीजाशय की विकृति के कारण या योनि मार्ग में कोई घाव होने के कारण प्रदर हुआ हो तो सुवर्ण मालिनी वसंत रस के साथ प्रदरान्तक लौह और प्रदरान्तक रस आदि औषधीय का सेवन करने से लाभ मिलता है।
सुवर्ण मालिनी वसंत रस की सेवन विधि और मात्रा
- सुवर्ण मालिनी वसंत रस की एक से दो गोली दिन में दो बार सुबह – शाम सेवन कर सकते हैं।
- पुराने बुखार, खांसी और अस्थमा जैसे रोगों में सुवर्ण मालिनी वसंत रस का उपयोग शहद के साथ करना चाहिए।
- टीबी जैसे रोग में सुवर्ण मालिनी वसंत रस का उपयोग मक्खन और मिश्री के साथ मिलाकर करें।
- अत्यधिक दुर्बल और साधारण रोगों में सुवर्ण मालिनी वसंत रस का उपयोग शहद के साथ मिलाकर चटाएं तथा ऊपर से गाय का दूध पिलावे।