हिंग्वाष्टक चूर्ण बनाने की विधि: यह एक आयुर्वेदिक चूर्ण है जो शास्त्रीय तरीके से बनाया जाता है । यह पाचन को सुधारने, गैस, कब्ज और पेट दर्द में बहुत प्राचीन समय से इस्तेमाल होती आई है । अगर देखा जाये तो यह एक आयुर्वेदिक उपचार है जो अपने स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
इसमें हींग (asafoetida), अजवायन (carom seeds), त्रिकटु जैसी जड़ी बूटियों का मिश्रण होता है और इसके सेवन से विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। इस पोस्ट में, हम हिंग्वाष्टक चूर्ण के महत्वपूर्ण लाभों के बारे में चर्चा करेंगे और हिंग्वाष्टक चूर्ण बनाने की विधि के बारे में बताएँगे ।
हिंग्वाष्टक चूर्ण क्या है ? (What is Hingwashtak Churna in Hindi)
यह एक शास्त्रीय यानि की क्लासिकल मेडिसिन है । जिसका इस्तेमाल गैस, कब्ज, आफरा, अपच, indigestion, और पाचन से जुडी हुई बिमारियों में किया जाता है । हिंग्वाष्टक चूर्ण में हिंग और दूसरी 7 जड़ी बूटियां कुल मिलाकर इसमें आठ जड़ी बूटियां होती हैं इसीलिए इसे हिंग्वाष्टक चूर्ण कहा जाता है । आयुर्वेद अनुसार यह खाना खाते समय ली जाने वाली औषधि है । बाजार में यह बना बनाया मिलता है जो बहुत सी कंपनियां जैसे पतंजलि, डाबर, बैद्यनाथ बनाती हैं । बाजार में यह पाउडर किया हुआ मिलता है ।
हिंग्वाष्टक चूर्ण की सामग्री (Ingredients of Hingwashtak Churna)
इंग्रेडिएंट | उपयोग |
---|---|
जीरा (Jeera) – Cumin | पाचन को सुधारने में मदद करता है, गैस और एसिडिटी को कम कर सकता है। |
हींग (Heeng) – Asafoetida | पेट की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है, और इन्फ्लेमेशन को कम कर सकता है। |
अदरक (Adrak) – Ginger | सर्दियों, जुकाम, और इंफेक्शन से लड़ने में मदद कर सकता है, पाचन को सुधार सकता है। |
काली मिर्च (Kali Mirch) – Black Pepper | दर्द और इन्फ्लेमेशन को कम करने में मदद करती है, पाचन को सुधारती है। |
सौंफ (Saunf) – Fennel Seeds | पाचन को सुधारने में मदद करती है, गैस को कम कर सकती है, और स्वाद में फायदेमंद है। |
अजवाइन (Ajwain) – Carom Seeds | पेट की समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है, बच्चों के पेट दर्द का इलाज कर सकता है। |
सेंधा नमक (Sendha Namak) – Rock Salt (Himalayan Pink Salt) | उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करता है, और इलाज के रूप में उपयोगी हो सकता है। |
पिप्पली (Pippli) – Long Pepper | पाचन को सुधारने में मदद कर सकती है, दर्द को कम करने में मदद करती है। |
हिंग्वाष्टक चूर्ण बनाने की विधि (Hingwashtak Churna Banane ki Vidhi)
उपरोक्त सामग्री को लेकर निम्न विधि से हिंग्वाष्टक चूर्ण तैयार कर सकते हैं –
- सबसे पहले, हींग को सुखाने के लिए एक पैन में मध्यम आंच पर रखें। हींग को धीरे-धीरे सुखाएं, जिससे यह कुरकुरा हो जाए।
- जब हींग कुरकुरा हो जाए, उसे अच्छी तरह से ठंडा होने दें। फिर उसे एक मिक्सर ग्राइंडर में पीस लें, जिससे हींग का पाउडर बन जाए।
- अब, सुखी अदरक को छोटे टुकड़ों में काट लें और मिक्सर में पीस लें, ताकि यह भी पाउडर बन जाए।
- काली मिर्च, पिप्पली, और जीरा को भी अलग-अलग मिक्सर में पीस लें, ताकि ये भी पाउडर बन जाएं।
- सभी पाउडर अच्छी तरह से मिलाने के लिए एक बड़े बाउल में सभी सामग्री को मिला लें।
- सेंधा नमक को भी पाउडर बना लें और इसे अन्य पाउडर्स के साथ मिला लें।
- इस प्रकार से सभी जड़ी बूटियों के चूर्ण को एक जगह मिलाने से जो चूर्ण तैयार होगा वह हिंग्वाष्टक चूर्ण कहलायेगा । यह हिंग्वाष्टक चूर्ण तैयार है ।
यह चूर्ण आपके पाचन को सुधारने, गैस और एसिडिटी को कम करने, और अन्य स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने में मदद कर सकता है। निचे हमने इसके स्वास्थ्य फायदे बताएं ।
हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे और नुकसान
देखिये जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हिंग्वाष्टक चूर्ण बहुत ही फायदेमंद हैं । यह पेट में वायु भरने, भूख न लगने, पाचन की गड़बड़ी, अपच, अजीर्ण और पेट दर्द में इस चूर्ण का इस्तेमाल करने से लाभ मिलता हिया । तो इसके निम्न स्वास्थ्य लाभ हैं –
- पाचन को सुधारे: हिंगवाष्टक चूर्ण पाचन को सुधारने में मदद करता है। इसमें मौजूद जीरा, अजवाइन, और सेंधा नमक पाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद करते हैं, जिससे भोजन का प्रभावी रूप से पाचन होता है।
- गैस और एसिडिटी का इलाज: हिंगवाष्टक चूर्ण गैस और एसिडिटी की समस्याओं के इलाज में मदद कर सकता है। हींग के गुण गैस को कम करने में मदद कर सकते हैं और एसिडिटी को दूर करते हैं।
- पेट की समस्याओं का इलाज: हिंगवाष्टक चूर्ण पेट से संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। हींग और पिप्पली के गुण पेट के दर्द और आंतों की समस्याओं को कम करने में फायदेमंद हैं।
- रक्तचाप को नियंत्रित करें: हिंगवाष्टक चूर्ण में सेंधा नमक शामिल होता है, जो उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में बहुत लाभदायक है ।
- महिलाओं के मासिक धर्म: महिलाओं के मासिक धर्म के समय पेडू में दर्द होने लगता है । इसमें हिंग्वाष्टक चूर्ण का सेवन करने से वात दोष शांत होता है और मासिक धर्म के समय में होने वाले रोगों में फायदा मिलता है ।
- मानसिक स्वास्थ्य को सुधारें: इस चूर्ण का सेवन मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधार सकता है। यह तनाव को कम करने में मदद करता है और मनोबल को बढ़ाता है।
- पेट दर्द उपचार के रूप में उपयोग: हिंगवाष्टक चूर्ण को उपचार के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है, खासकर पेट की समस्याओं, जैसे कि बच्चों के पेट दर्द के इलाज के लिए।
- मुख की दुर्गन्ध: हिंगवाष्टक चूर्ण का सेवन करने मुंह में आने वाली दुर्गन्ध में भी आराम मिलता है । यह एक बेहतरीन कृमि नाशक है ।
- सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, हिंगवाष्टक चूर्ण का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है, खासकर यदि आप किसी गंभीर रोग से गुजर रहें हैं ।
नुकसान | Side Effects
हिंगवाष्टक चूर्ण का सेवन अधिकतर सुरक्षित होता हैं । परन्तु अधिक मात्रा में सेवन करने से कुछ नुकसान संभावित हो सकते हैं :
- अलर्जी: कुछ लोग हिंगवाष्टक चूर्ण के किसी घटक के प्रति अलर्जिक हो सकते हैं। यदि आपको इसके सेवन के बाद एलर्जी जैसा महसूस हो तो इसका सेवन न करें ।
- उच्च रक्तचाप: हिंगवाष्टक चूर्ण में सेंधा नमक शामिल होता है, जिन लोगों का रक्तचाप नियमित बढ़ रहा है उनको इसका सेवन चिकित्सक सलाह से करना चाहिए ।
- सामान्य सावधानियां: बच्चों, गर्भवती महिलाओं, और ब्रैस्टफीडिंग मांओं को हिंगवाष्टक चूर्ण का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
- अधिक मात्रा में सेवन: हिंगवाष्टक चूर्ण का अधिक मात्रा में सेवन करने पर दर्द, बदहजमी, की समस्याएं हो सकती हैं।
यदि आप किसी अनियमित लक्षण का सामना करते हैं या किसी संभावित नुकसान का अनुभव करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। हिंगवाष्टक चूर्ण का सही तरीके से और सुरक्षित तरीके से उपयोग करने के लिए डॉक्टर की सलाह महत्वपूर्ण है।