अनुलोम विलोम कैसे करें: अनुलोम का अर्थ होता है सीधा और विलोम का अर्थ होता उल्टा या विपरीत, अनुलोम विलोम एक प्राणायाम है जो सुप्रशिद्ध है । यह एक ऐसा प्राणायाम है जिससे शरीर की सभी नाड़ियों का शोधन होता है । यह करने से गठिया, वात रोग, अस्थमा, एलर्जी एवं फेफड़ों के रोगों से लाभ मिलता है ।
आज के इस लेख में आपको अनुलोम विलोम कैसे करें, अनुलोम विलोम क्या है, इसे करते समय रखी जाने वाली सावधानियां और फायदों के बारे में बताएँगे ।
तो चलिए सबसे पहले जानते है कि अनुलोम विलोम क्या होता है ।
अनुलोम विलोम क्या होता है ?
अनुलोम विलोम प्राणायाम एक प्रकार का योगिक प्राणायाम है जिसे विशेष तरीके से सांस लेने और छोड़ने के लिए किया जाता है। यह एक प्रक्रिया है जिसमें आपको बारीकी से विशेष तरीके से प्राणों को नियंत्रित करने की अभ्यास करना होता है, जिससे शरीर और मन को शांति और स्वास्थ्य की दिशा में लाभ होता है।
इस प्राणायाम में, आपको दाहिने नासिका से सांस लेना और बाएं नासिका से सांस छोड़ना होता है, और फिर उलटे दिशा में बाएं नासिका से सांस लेना और दाहिने नासिका से सांस छोड़ना होता है। इसे आप धीरे-धीरे करते हैं और ध्यान रखते हैं कि सांस लेते और छोड़ते समय को बराबर बनाए रखें। यह प्रक्रिया आपके श्वास को शांत, गहरी, और नियमित बनाने में फायदेमंद है और मानसिक स्थिति को भी ठीक करती है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से तनाव कम होता है, मानसिक शांति बढ़ती है, और शरीर के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। यह सांसों को स्वस्थ रूप से प्रबंधित करने में मदद करता है और प्राण शक्ति को बढ़ावा देता है।
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अनुलोम विलोम कैसे करें सही विधि जानें
1. सबसे पहले तैयारी:
- सबसे पहले एक शांत और स्वस्थ वातावरण का चुनाव करें, जहाँ पर आपको किसी प्रकार की परेशानी या बाधा का सामना नहीं करना पड़े।
- आसन के लिए सुखासन, पद्मासन दोनों में किसी एक को चुने।
- बैठने के लिए योग मेट का इस्तेमाल करें या कोई चद्दर आदि का प्रयोग करें ।
- आपको अपनी पीठ को सीधी और गर्दन को सीधा रखने का प्रयास करें।
2. मुद्रा और ध्यान:
- अब अपने दाएं हाथ के अंगूठे को अपने दाएं नथुने पर रखें और उसकी मध्यभाग को अपने नाक के बीच में दबाएं।
- अपनी आँखें बंद करें और गहरी और लम्बी सांस लें। इसके दौरान, ध्यान दें कि श्वास शांत और गहरी होनी चाहिए।
3. प्राणायाम:
- अपने दाएं नथुने को अपने दाएं नाक के बीच से हटाएं और दाएं नथुने से सांस धीरे से बाहर करें।
- इस सांस को धीरे और समय लेते हुए छोड़ें, और ध्यान दें कि आपकी सांस गहरी और धीरे से चल रही है।
- अब अपने दाएं नथुने से सांस लें और बाएं नथुने से सांस बाहर करें, फिर से सांस को धीरे और समय लेते हुए छोड़ें।
- इसे आप एक पूर्ण सांस और एक पूर्ण सांस छोड़ने के रूप में एक पूरी श्वांस – प्रश्वास की प्रक्रिया के रूप में देख सकते है। इसे ध्यान से करते रहें और सांस को धीरे-धीरे और सही गति से लें और छोड़ें।
4. प्राणायाम समापन:
- प्रत्येक पूर्ण चक्र के बाद, आपकी सांसों को नियमित और धीरे धीरे लेकर चक्र को पूरा करें ।
- आपकी सांसों को सामान्य रूप से लेने और छोड़ने में कुछ समय लगा सकते है, इसलिए इसे धीरे-धीरे करें।
- प्राणायाम को समाप्त करने के बाद आँखें खोलें और धीरे-धीरे अपने आप को आसपास के वातावरण में पूरी तरह से ढालने का प्रयास करें ।
आप इस प्राणायाम को आप धीरे – धीरे अपनी सामर्थ्य और प्रैक्टिस के आधार पर और लम्बा बढ़ा सकते है, लेकिन ध्यान दें कि सांस को हमेशा संयमित और सही तरीके से लेने का ही प्रयास करें, क्योंकि यह प्राणायाम श्वांस और प्रश्वास की गति का ही मुख्य प्राणायाम है । यह आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में फायदेमंद साबित होगा । इस प्रकार से आप अनुलोम विलोम कैसे करें को पूर्णत: कर सकते हैं ।
अनुलोम विलोम प्राणायाम को करते समय क्या सावधानियां रखी जानी चाहिए
अनुलोम विलोम प्राणायाम करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि आपकी प्राणायाम प्रैक्टिस आपके लिए सुरक्षित और लाभदायक साबित हो। निम्नलिखित सावधानियां बरतें:
- ध्यान से आसन: अनुलोम विलोम प्राणायाम के दौरान ध्यान से आसन चुनें। सुखासन या पद्मासन जैसे आसनों में बैठें, इनमे से कोई एक आसान चुन सकते हैं जिससे आपको परेशानी न हो ।
- खाने का समय: प्राणायाम करने से पहले भारी भोजन करने से बचें। और यह सुनिश्चित करें की आपका पेट पूर्णत: खाली है । क्योंकि इससे श्वांस लेने में आसानी होगी ।
- मल – मूत्र: अनुलोम विलोम करने से पहले आपको मल मूत्र विसर्जन से निपट लेना चाहिए ताकि प्राणायाम करते समय आपको कोई परेशानी न हो और आप स्वस्थ महसूस करें ।
- श्वास की गति: सांस लेते और छोड़ते समय, सांस की गति को संयमित और सही बनाए रखें। ध्यान दें कि सांस धीरे और समय लेते हुए ली जाती है, और इसमें जल्दबाजी न करें ।
- डिस्कम्फट से सावधान रहें: यदि आपको किसी भी प्रकार की चक्कर आने, उलटी, या शरीर में किसी तरह की अच्छानक डिस्कम्फट महसूस होता है, तो प्राणायाम तुरंत बंद करें और डॉक्टर से परामर्श लें।
- नियमितता: अनुलोम विलोम प्राणायाम को नियमित रूप से करें। योग सत्रों के साथ प्रैक्टिस करने के लिए सही है,
- ध्यान: अपने प्राणायाम को करते समय, मानसिक ध्यान और संश्रय के साथ करें। यह आपके मानसिक स्थिति को स्थिर रखने में मदद करेगा।
- स्वास्थ्य स्थितियां: किसी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या जैसे कि हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, गर्भावस्था, या डायबिटीज के साथ, प्राणायाम करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें।
- समय: प्राणायाम को सबर से करें और जल्दबाजी में न करें। समय निकालकर इसे करने से उसके अधिक फायदेमंद साबित हो सकती है ।
अनुलोम विलोम प्राणायाम को सावधानीपूर्वक और सही तरीके से करने से आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
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