आइए आज हम अनुलोम विलोम के बारे में बात करें। अनुलोम विलोम, योग का एक प्रमुख प्राणायाम है, जिसे लोग व्यायाम के रूप में अपनाते हैं। यह एक सांस रोकने और छोड़ने की तकनीक है जिसमें हम दोनों नाक छिद्रों से साँस लेते हैं, प्राकृतिक रूप से रखते हैं, और फिर उसी द्वारा साँस छोड़ते हैं। इसके बहुत फायदे होते हैं। जिनकी चर्चा हम बाद में करेंगे।
अनुलोम विलोम की शुरुआत आपको भारतीय योग संस्कृति से जुड़े मुनि योगी श्री रामानंदजी ने की थी। इसलिए हम इस प्राणायाम को “रामानंद प्राणायाम” भी कहते हैं। आपको अपनी साँस को नियंत्रित करने की तकनीक अच्छे से सिखाई जाएगी, ताकि आप इस योग व्यायाम का उचित लाभ उठा सकें।
अनुलोम विलोम के फायदे
अब हम अनुलोम विलोम के फायदे पर बात करते हैं। इस प्राणायाम के अनेक लाभ होते हैं, जो आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत को सुधारते हैं:
1. स्वास्थ्यप्रद व्यायाम है: अनुलोम विलोम करने से फेफड़ों की क्षमता में सुधार होता है और साँस लेने की क्षमता भी बढ़ती है। इससे आपको संक्रमण से लड़ने की क्षमता मिलती है और आपके श्वसन तंत्र को अधिक शक्ति मिलती है।
2. तनाव कम करने में मदद करता है: यह प्राणायाम आपके मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है और मन को शांत करता है। नियमित अभ्यास से आप अधिक ध्यानस्थ होते हैं और चिंता मुक्त होते हैं।
3. पंचकोष शुद्धि: अनुलोम विलोम के अभ्यास से शरीर के प्रत्येक पैंचकोश (पंचमय शरीर) को शुद्ध किया जा सकता है, जिससे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से हम एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। यह। मानसिक तनाव में बहुत उपयोगी है।
4. रक्तचाप का नियंत्रण: अनुलोम विलोम के अभ्यास से रक्तचाप में सुधार होता है और रक्त वाहिकाएं मजबूत होती हैं। ब्लड सर्कुलेशन को सही करने और बीपी बढ़ने की समस्या में यह बहुत उपयोगी है।
5. शरीर को शुद्ध करता है: यह प्राणायाम आपके शरीर के अंगों को निरंतर आकर्षित करता है और उन्हें शुद्ध करता है।
शास्त्रों अनुसार अनुलोम विलोम
अब हम अनुलोम विलोम के शास्त्रीय परिचय पर चर्चा करते हैं। यह प्राचीन भारतीय योग शास्त्र में वर्णित एक महत्वपूर्ण प्राणायाम है। इसे “नाड़ी शोधन प्राणायाम” भी कहा जाता है, क्योंकि इससे शरीर के नाड़ी सिस्टम को शुद्ध किया जाता है, जिससे प्राण शक्ति का संतुलन होता है।
अनुलोम विलोम करने का सही तरीका इस प्रकार है:
1. पहले आसन के लिए एक चौकी सजाएं और सम्बन्धित आसन जैसे पद्मासन, सुखासन, वज्रासन या वीरासन में बैठें। आप भी किसी स्थिर कुर्सी पर बैठ सकते हैं।
2. अब आपके हाथ को मुद्रा बनाने के लिए विषम संख्या के आंगुलियों को अपनी छाती के सामने लगाएं, जैसे उँगली संख्या 1, 3 और 5 को मिलाकर आप दाईं हाथ के अंगुलियों से छू सकते हैं और उँगली संख्या 2, 4 और 6 को मिलाकर आप बाईं हाथ के अंगुलियों से छू सकते हैं।
3. अपनी आंखें बंद करें और ध्यान केंद्रित करें।
4. अब दाहिनी नाक के छिद्र से समय गिनते हुए धीरे से साँस लें। उन्हें एक निश्वास के लिए रोकें।
5. फिर से अपने मुद्रा को बनाएं और बाएं नाक के छिद्र से धीरे से साँस छोड़ें।
6. यह पूरी प्रक्रिया कुछ समय तक जारी रखें, जैसे कि आपको ठीक लगे।
7. ध्यान रखें कि साँस लेते वक्त आपके पेट को बाहर की ओर नहीं फूलना चाहिए, बल्कि आपको साँस लेते समय अपनी छाती को फूलने की कोशिश करनी चाहिए।
8. अब समय के साथ आप अपनी साँस को धीरे धीरे बढ़ा सकते हैं और साँस छोड़ने की रफ्तार को धीरे से बढ़ा सकते हैं।
अनुलोम विलोम कितनी देर करना चाहिए?
अनुलोम विलोम को दो या तीन मिनट तक करना अच्छा होता है। आप अपने समय और शक्ति के अनुसार इसे बढ़ा सकते हैं। ध्यान रखें कि इसे खाली पेट करने से अधिक फायदे होते हैं, इसलिए यह सुबह के समय करना उत्तम होता है।
अनुलोम विलोम कब नहीं करना चाहिए?
अब अनुलोम विलोम कब नहीं करना चाहिए, इस पर चर्चा करते हैं। यदि आपको किसी भी शारीरिक या मानसिक रोग से पीड़ा है, तो आपको पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। जिन लोगों को अनुलोम विलोम के लिए विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए, वे हैं:
1. गर्भावस्था में महिलाएं।
2. पीठ की समस्याएं रखने वाले व्यक्ति।
3. मूलाधार चक्र और स्वाधिष्ठान चक्र के विकृति वाले व्यक्ति।
4. उच्च रक्तचाप या लो रक्तचाप रखने वाले व्यक्ति।
5. हृदय रोग विकार रखने वाले व्यक्ति।
6. श्वसन रोग जैसे ब्रोंकाइटिस या अस्थमा के पीड़ित।
अनुलोम विलोम से लाभ होने वाले रोगों में निम्नलिखित शामिल होते हैं:
1. तनाव और चिंता कम करने में मदद करता है।
2. मस्तिष्क को ताजगी प्रदान करता है और ध्यान को बढ़ाता है।
3. रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
4. दिल से संबंधित समस्याओं को कम करने में मदद करता है।
5. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और संक्रमण से लड़ने की क्षमता मिलती है।
6. श्वसन तंत्र को सुधारता है और फेफड़ों की क्षमता में सुधार होता है।
अनुलोम विलोम के साथ और कौनसे प्राणायाम करने चाहिएं?
अनुलोम विलोम के साथ अन्य प्राणायाम जैसे कीप्रनायाम और भ्रामरी प्राणायाम जरूरी हैं। कीप्रनायाम आपके दिल और श्वसन तंत्र को सुधारता है और भ्रामरी प्राणायाम मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है और निद्रा की समस्या से राहत दिलाता है।
समय के साथ, यदि आप नियमित रूप से अनुलोम विलोम को अपनाते हैं और सही तरीके से अभ्यास करते हैं, तो आप अपने शरीर और मन को स्वस्थ बनाने में सक्षम होंगे। ध्यान रखें कि प्राणायाम को करने से पहले आपको अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए, खासकर अगर आप किसी विशेष रोग से पीड़ित हैं।
इस प्रकार, अनुलोम विलोम एक शक्तिशाली प्राणायाम है जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। इसे नियमित अभ्यास करके, हम एक स्वस्थ, शांत, और समृद्ध जीवन जी सकते हैं। इसलिए, आइए हम सभी मिलकर इस शानदार प्राणायाम को अपने दिनचर्या में शामिल करके अपने जीवन को सुंदर बनाएं। धन्यवाद!