Garbhpaal Ras in Hindi गर्भपाल रस: यदि कोई भी स्त्री गर्भधारण करना चाहती है, परंतु उसे गर्भधारण नहीं होता।कई बार गर्भ ठहर भी जाता है,परंतु कुछ समय बाद गर्भपात हो जाता है।कई बार तो ऐसी स्थिति देखने को मिलती है कि स्त्री को संतान की उत्पत्ति हो जाती है और कुछ समय बाद उसकी संतान की मृत्यु हो जाती है और यह आदत बन जाती है अर्थात यह क्रिया बार-बार होने लग जाती है। जिससे स्त्री बहुत कमजोर हो जाती है और बच्चा खोने का आघात पहुंचता है।
यदि आप भी ऐसी समस्या से गुजर रहे हैं या आपने अपने आस-पड़ोस में इस प्रकार की कोई स्त्री देखी है,तो उसे आप आयुर्वेद के गर्भपाल रस Garbhpaal Ras in Hindi के बारे में अवश्य बताएं। गर्भपाल रस गर्भधारण करवाने के साथ-साथ गर्भपात को रोकने में भी सहायक है।
ऐसी स्त्रियां जिन्हें संतान चाहिए वह लगातार यदि गर्भपाल रस (Garbhpaal Ras in Hindi) का कुछ महीनों उपयोग करें तो एक स्वस्थ संतान को जन्म देती है। आयुर्वेद का गर्भपाल रस स्त्रियों के लिए और किस प्रकार से फायदेमंद है तथा इसका सेवन किस प्रकार से किया जाए। यह जानने के लिए आप इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़ें।
गर्भपाल रस की सामग्री | Garbhpaal Ras Ingredients
गर्भपाल रस को बनाने के लिए निम्न आयुर्वेदिक मेडिसन (द्रव्यों) का उपयोग किया जाता है। जो इस प्रकार है –
- शुद्ध सिगंरफ
- नागभस्म
- बंगभस्म
- दालचीनी
- तेजपत्ता
- छोटी इलायची
- सोंठ
- पीपल
- कालीमिर्च
- धनियां
- स्याहजीरा
- चव्य
- मुनक्का
- देवदारु
- लौह भस्म
- कोयल(सफेद अपराजिता)
गर्भपाल रस बनाने की विधि | How to Make Garbhpaal Ras
हम आपको गर्भपाल रस घर पर कैसे बनाया जाए उसके बारे में बताएंगे, परंतु आजकल गर्भपाल रस सभी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध है। आप चाहे तो इसे सीधा वहां से खरीद कर सकते हैं।
- गर्भपाल रस बनाने के लिए सबसे पहले शुद्ध सिगंरफ, नागभस्म,बंगभस्म, दालचीनी, तेजपत्ता, छोटी इलायची, काली मिर्च, सोंठ,पीपल,धनिया,स्याहजीरा, चव्य,मुनक्का, देवदारु, लौह भस्म इन सभी को निश्चित मात्रा में लें।
- निश्चित मात्रा में लेकर कोयल(सफेद अपराजिता) के रस में अच्छी तरह से घोटकर चटनी की तरह तैयार कर लें।
- अब इस चटनी से 125mg-125mg की गोलियां बनाकर तैयार कर ले।
- अब इन गोलियों को छाया में सुखा कर रख लें।
- एक प्रकार गर्भपाल रस बनकर तैयार हो जाता है।
सेवन विधि | Dosage
- एक से दो गोली सुबह- शाम गुडूची सत्व के साथ सेवन करें।
- सुबह या शाम एक से दो गोली शहद के साथ भी सेवन कर सकते हैं।
- सुबह-शाम एक-एक गोली खाली पेट धारोष्ण दूध के साथ सेवन करें।
- आप डॉक्टर के बताया अनुसार गर्भपाल रस का सेवन कर सकते है।
गर्भपाल रस के गुण व उपयोग
गर्भपाल रस का उपयोग समस्त प्रकार के गर्भिणी रोगों को रोकने में किया जाता है। तो चलिए जानते हैं कि गर्भपाल रस स्त्रियों के कौन-कौन से रोगों में काम में आता है-
- नागभस्म और बंगभस्म के उत्पादन से बना हुआ यह गर्भपाल रस स्त्री के समस्त विकारों को दूर करता है।
- प्रसूता के किसी भी प्रकार के दुग्ध दोष होने के कारण गर्भपात होने की संभावना में मंजिष्ठा क्वाथ के साथ गर्भपाल रस उपयोग से श्रेष्ठ रहता है।
- कई बार गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों को उल्टी दस्त, बुखार, खाने की इच्छा नहीं होना, सिर में दर्द, कुछ भी खाने के प्रति अरुचि होना तथा खून की कमी आदि समस्या उत्पन्न होती रहती है। ऐसी स्थिति में गर्भपाल रस का उपयोग उत्तम रहता है।
- आयुर्वेद का गर्भपाल रस गर्भावस्था के सभी प्रकार के रोगों की प्रसिद्ध दवा है।
- गर्भपाल रस गर्भाशय की कमजोरी तथा बार-बार होने वाले गर्भपात को दूर करता है।
- ऐसी स्त्रियां जो गर्भधारण करना चाहती है परंतु बिना किसी कारण उन्हें गर्भ नहीं ठहरता है। ऐसी स्थिति में गर्भपाल रस का सेवन अति लाभकारी होता है।
- बार बार गर्भपात होने की स्थिति में गर्भाशय कमजोर हो जाता है। ऐसी स्थिति में गर्भपाल रस का उपयोग करने से गर्भाशय की कमजोरी दूर होती है।
- कई बार मानसिक चिंता या हिस्टीरिया आदि बीमारियों के कारण भी गर्भपात हो जाता है। ऐसी स्थिति में किसमिस के कवाथ के साथ गर्भपाल रस का उपयोग करना चाहिए।
- कई बार स्त्रियों की बीज वाहिनी शक्ति कमजोर हो जाने से या जननेंद्रिय की विकृति से भी गर्भ नहीं ठहरता है ऐसे दशा में त्रिवंग भस्म के साथ गर्भपाल रस का सेवन करने से जल्द ही गर्भ ठहर जाता है।
- कभी-कभी गर्भवती स्त्री को गर्भधारण से लेकर बच्चा होने तक अनेक प्रकार के रोगों का सामना करना पड़ता है जैसे- भोजन करते ही उल्टी हो जाना, पेट में अन्न का एक दाना भी नहीं रहना, चक्कर आना, कमर में दर्द होना आदि लक्षण होने पर गर्भपाल रस के साथ कामदुधा रस का उपयोग करने पर बहुत ही फायदा मिलता है।
- कई बार सुनने में या देखने में मिलता है कि स्त्री को गर्भधारण हो भी जाता है और अच्छी तरह से डिलीवरी भी हो जाती है।डिलीवरी के कुछ समय बाद उसके बच्चे की मत्यु हो जाती है। यह रूटीन बन जाता है अर्थात बार-बार यही क्रिया होने लग जाती है। ऐसी स्थिति में गर्भपाल रस का सेवन कराने पर मां और बच्चें दोनों को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।
- कई बार स्त्री को गर्भधारण होने के बाद डिलीवरी के समय मरा हुआ बच्चा पैदा होता है ऐसी स्थिति बार-बार उत्पन्न होती रहती है जिससे स्त्री को शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार से कष्ट सहन करना पड़ता है। ऐसी दशा में यदि लगातार स्त्री को गर्भपाल रस का सेवन करवाया जाए तो स्त्री के सभी दोष दूर हो जाते हैं।
- गर्भपाल रस में लौह भस्म का उपयोग किया जाता है। लौह भस्म गर्भाशय की विकृतियों को नष्ट करके उसे बलवान बनाने का कार्य करती है।
- गर्भपाल रस में मौजूद सफेद अपराजिता वात वाहिनी नाडिय़ों को सुधारती है तथा गर्भाशय में गर्भ की स्थापना करती है।
- सफेद अपराजिता शीत वीर्य होती है।
निष्कर्ष
हमने आपको आयुर्वेदिक मेडिसन गर्भपाल रस के बारे में सभी प्रकार की जानकारी विस्तार पूर्वक दी है। उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आएगी तथा आपके काम आएगी। आजकल गर्भपात होना एक आम समस्या हो गई है। ऐसी स्थिति में आज के समय में गर्भपाल रस का उपयोग करना हर स्त्री जो गर्भधारण करना चाहती है के लिए लाभदायक सिद्ध होगा।