डेंगू क्या है ?
डेगू एक वायरस जनित रोग है सामान्यत इसे ब्रेक बोन बुखार भी कहा जाता है यह Aedes aegypti नामक मच्छर के काटने से होता है इस मच्छर को tiger mosquito या yellow fever mosquito भी कहा जाता है |
मच्छर की पहचान
इस मच्छर को उसके पैरो पर सफेद निशान और उसके वक्ष की उपरी सतह पर वीणा जैसे दिखने वाले एक अंकन और प्रष्ठ पर सफेद धारी द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है |
डेंगू का कारणं
डेंगू के 4 वायरस है- DENV-1, DENV-2, DENV-3, DENV-4
ये वायरस Aedes aegypti नामक मच्छर के द्वारा पहले से संक्रमित रोगी को काटने के बाद स्वस्थ मनुष्य को काटने से रक्त के माध्यम से स्वस्थ मनुष्य में फैल जाता है | इसलिए इसे DENGUE HEAMORRHAGIC FEVER भी कहते है |
डेंगू बुखार के लक्षण
- डेंगू का सबसे प्रमुख लक्षण तेज बुखार अर्थात 104⁰ F तक बुखार रहता है
- बदन टूटना
- सिर दर्द
- मास पेशियों ,हड्डी या जोड़ो में दर्द
- त्वचा पर लाल चकते
- थकान
- उल्टी होना
- पेट दर्द
- साथ ही गंभीर लक्षणों में मूत्र एवं मल के साथ खून आना
- Thrombocytopenia अर्थात रक्त बिम्बाणु (platlete) की कमी देखने को मिलती है
प्रयोगशाला परीक्षण
2 प्रकार का होता है
A Virological – RT-PCR Methods
B Serological –ELISA
सहायक परीक्षण
CBC, LFT, KFT
बचाव
मच्छरों की प्रजनन क्षमता को रोकना चाहिए, जहा भी लम्बे समय से पानी का भराव हो, उस पानी में करोसिन तेल डाल देवे | घर में रखे हुए कूलर, पुराने मटके आस पास जमे हुए पानी को निकाल देवे |
पीने के पानी को ढक कर रखे |
घरो में बने पानी के टांको को हर सात दिन में साफ करना चाहिए |
घरो में नीम, गुग्गुलु, गंधक, कपूर, गाय कर घी से हवन, लोहबान इत्यादि का धूपन करना चाहिए |
घर के खिड़की दरवाजे बंद करके रखना चाहिए |
सम्पूर्ण त्वचा को ढकने वाले कपडे पहनना चाहिए |
डेंगू में हितकर आहार
खाने में हल्का सुपाच्य भोजन करे, साथ ही शरीर में पानी की कमी नही होने दे | समय समय पर थोड़ी थोड़ी मात्रा में पानी का सेवन करे
भोजन में हरि सब्जिया एवं हरी सलाद का प्रयोग करे
फलो में किवी संतरा मोसमी इत्यादि का प्रयोग करे
यदि रोगी के प्लेटलेट्स घट रहे है तो पपीते के पत्तो का रस, गुडूची स्वरस, आवला, व्हीट ग्रास जूस का भी प्रयोग कर सकते है
नारियल पानी का प्रयोग करे साथ ही प्लेटलेट्स बढाने के लिए अजा दुग्ध अर्थात बकरी का दूध सर्वोतम है
ज्यादा तेल वाली भोज्य सामग्री का प्रयोग कदापि ना करे | मिर्च मसाले एवं फ़ास्ट फ़ूड नही खाए |
शीघ्र प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए बील पत्र, गिलोय, पपीता पत्र व तुलसी पत्र का काढ़ा बनाकर 20 मिली की मात्रा में दो घंटे के अंतराल में सेवन करे |
डेंगू की आयुर्वेद में चिकित्सा
डेंगू को आयुर्वेद में दंडक ज्वर के नाम से जाना जाता है |
एकल ओषधियों में चिरायता, गुडूची, आमलकी, वासा, नीम, तुलसी, रसोंन, पपीते के पत्र |
शास्त्रीय योग
- त्रिभुवन कीर्ति रस
- लघु सुतशेखर रस
- संजीवनी वटी
- संशमनी वटी
- सुदर्शन चूर्ण
- वसंत कुसुमाकर
- अमृतोतरकषायं
- कालमेघ आसव
- विषम ज्वरांतक लोह
डेंगू की प्राकृतिक चिकित्सा
- गर्म पाद स्नान
- ठंडी लपेट
- मेरुदण्ड स्नान
- सिर की ठंडी पट्टी
- पेट का गर्म ठंडा सेक
- हरे रंग की बोतल में तप्त किया हुआ जल 50 मिली की मात्रा में सेवन करने से बुखार का वेग कम होने लगता है |
- स्वर परिवर्तन