तक्रारिष्ट: यह आयुर्वेद की एक क्लासिकल आयुर्वेदिक सिरप औषधि है । इस औषधि का उपयोग पाचन, दीपन, पेट की समस्याओं और कब्ज आदि की समस्या के लिए किया जाता है । तक्र का अर्थ होता है छाछ (मट्ठा) अर्थात यह आयुर्वेदिक दवा छाछ के द्वारा निर्मित होने वाली एक प्रसिद्द दवा है ।
आज हम तक्रारिष्ट के बारे में जानकारी देंगे । यहाँ आपको तक्रारिष्ट क्या है? इसे कैसे बनाया जाता है, इसके फायदे, गुण, उपयोग एवं नुकसान सभी की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं । इस दवा के सेवन से बहुत से रोग ठीक होते हैं । उन सभी का जानकारी आपको निम्न में मिलेगा ।
सबसे पहले जानते हैं की तक्रारिष्ट क्या होता है ।
तक्रारिष्ट क्या होता है ? (What is Takrarishta in Hindi)
तक्र और अरिष्ट इन दोनों शब्दों से मिलकर बनता है तक्रारिष्ट । जहाँ तक्र का अर्थ होता है – छाछ और अरिष्ट आयुर्वेद की औषधियों का प्रकार होता है जिसे फेर्मेंटेसन के द्वारा निर्माण किया जाता है । अत: छाछ में अन्य औषधियाँ मिलाकर अरिष्ट का निर्माण करना ही तक्रारिष्ट कहलाता है ।
इस दवा का सेवन दस्त, पाचन कमजोरी, भूख की कमी, एवं दीपन पाचन के लिए विशेषत: होता है । इसे भी आसव अरिष्ट की तरह ही सेवन किया जाता है ।
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तक्रारिष्ट के घटक | Ingredients of Takrarishta
- अजवायन
- आमला
- हर्रे
- कालीमिर्च
- सैन्धव लवण
- काला नमक
- समुद्र लवण
- विदा नमक
- रोमक नमक
तक्रारिष्ट बनाने की विधि: इसे बनाने के लिए अजवायन 120 ग्राम, आंवला 120, हरीतकी 120, कालीमिर्च 120 और पांचो नमक सभी 120 – 120 ग्राम, और छाछ 6 सेर लेने होते हैं । इन सभी का चूर्ण बनाकर एक हांड़ी में छाछ डालकर इसमें सभी घटक द्रव्य डालकर एक महीने के लिए मुंह बंद करके रख देना चाहिए ।
इस प्रकार महीने भर बंद करके रखने से तक्रारिष्ट का निर्माण हो जाता है । इसे छान कर सीसी में भर लिया जाता है । यही तक्रारिष्ट आयुर्वेदिक दवा कहलाती है ।
तक्रारिष्ट के फायदे | Health Benefits of Takrarishta in Hindi
- दीपन पाचन: दीपन और पाचन के लिए तक्रारिष्ट उत्तम आयुर्वेदिक दवा है । इसका सेवन करने से दीपन होता है एवं खाया हुआ अन्न पचता है ।
- शोथ: सुजन अंतरीक या बाह्य सभी के लिए तक्रारिष्ट का सेवन फायदेमंद है । इसकी मदद से शोथ को कम किया जा सकता है ।
- गुल्म: गुल्म की समस्या में भी तक्रारिष्ट मददगार साबित होता है । गुल्म रोग में पेट में बनने वाले गुल्म को ठीक करने के लिए तक्रारिष्ट सेवन करने से लाभ मिलता है ।
- अर्श: यह पाचन को सुचारू करके अर्श एवं बवासीर रोग में लाभ करती है । इसके सेवन से आसानी से मल त्याग होता है एवं बवासीर के मस्सों में आराम मिलता है ।
- कृमि: पेट के कीड़ों की समस्या तक्रारिष्ट के सेवन से लाभ मिलता है । इसमें हरीतकी एवं अजवायन कीड़ों की समस्या को खत्म करने का कार्य करती है ।
- प्रमेह: यह इसका सेवन करने से प्रमेह ठीक होता है ।
- ग्रहणी: बार बार होने वाली ग्रहणी की समस्या में भी तक्रारिष्ट का सेवन करने से लाभ मिलता है ।
- उदर रोग: पेट के सभी रोगों के उपचार के लिए तक्रारिष्ट का उपयोग करना लाभदायक है । कब्ज, दस्त, ग्रहणी, एवं अजीर्ण और अपच की समस्या में तक्रारिष्ट के सेवन से लाभ मिलता है ।
- अतिसार: अतिसार की अवस्था में भी तक्रारिष्ट का उपयोग करने से लाभ मिलता है । यह दवा अतिसार को ठीक कर देती है ।
खुराक | Dosage
आमतौर पर तक्रारिष्ट का सेवन 10 से 15 मिली की मात्रा में सुबह – शाम बराबर मात्रा में गुनगुना जल मिलाकर सेवन किया जाता है । इसकी रोग के आधार पर खुराक जानने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए ।
नुकसान | Side Effects
सामान्यत: इस आयुर्वेदिक औषधि के कोई भी ज्ञात साइड इफेक्ट्स नहीं हैं । अगर इसे निर्धारित खुराक में लिया जाये तो यह पूर्णत: सुरक्षित औषधि है । पेट के सभी रोगों का खत्म करती है एवं शरीरी स्वास्थ्य को सुधारती है । छोटे बच्चों एवं गर्भिणी स्त्री को बिना चिकित्सकीय सलाह के इस औषधि का सेवन नहीं करवाना चाहिए । मात्रा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए ।