परिचय
वर्तमान समय में आधुनिक खानपान के चलते खून की कमी अर्थात एनीमिया एक आम समस्या बन गयी है | लोहासव आयुर्वेद क आसव विधि से बनाई गयी बहुउद्देशीय ओषधि है जिसका उपयोग अनेको बिमारियों के उपचार में सहायक ओषधि का काम करती है |
![लोहासव के फायदे](https://shridayalspinecare.in/wp-content/uploads/2020/03/लोहासव.jpg)
आज इस लेख के माध्यम से हम लोहासव के फायदे व नुकसान के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे |
लोहासव के घटक द्रव्य
“लौहचूर्णं त्रिकटु त्रिफला च यवानिकाम | विडंग मुस्तक चित्रं चतु:संख्यपलम् पृथक् ||
धातकीकुसुमानां तु प्रिक्षिपेत्पलविंशतिम | चूर्णीकृत्य तत:क्षोद्र चतु:षष्टिपलम् क्षिपेत||”
- लौह भस्म
- सोंठ
- कालीमिर्च
- पिप्पली
- हरड
- बहेड़ा
- आंवला
- अजवाइन वायविडंग
- मोथा
- चित्रक
- धाय के फूल
- पुराना गुड़
- शहद
लोहासव के फायदे
एनीमिया में लोहासव के फायदे
जिस व्यक्ति को खून की कमी हो उसे लोहासव के कुछ समय के उपयोग के बाद ही रक्ताल्पता से राहत मिल जाती है | क्योंकि लौहभस्म से आयरन की पूर्ति हो जाता है और शरीर में खून का उत्पादन होने से एनीमिया दूर हो जाता है |
- पेट के रोग
- कास
- शोथ
- भगन्दर
- अर्श
- कुष्ठ
- पांडू रोग
- प्लीहा का बढ़ जाना
- ह्रदय रोग आदि में लोहासव काफी फायदेमंद है |
लोहासव के नुकसान
जिन लोगो की अग्नि मंद होती है उन लोगो को लोहासव सुपाच्य नही होने से कुछ लोगो को इसके सेवन से गैस बनने की समस्या हो सकती है |
गर्भवती महिलाओ को लोहासव का सेवन चिकित्सक के परामर्श से उसकी देखरेख में ही करना चाहिए अन्यथा इससे गर्भपात होने की सम्भावना रहती है |
लोहासव का उपयोग 5-6 साल से कम उम्र के बच्चो को नही करवाना चाहिए | क्योंकि इसके घटक द्रव्य आसानी से सुपाच्य योग्य नही होने से यह छोटे बच्चो में विष कारक लक्षण भी पैदा कर देता है | इसलिए छोटे बच्चो को सेवन करवाने से बचना चाहिए |
विशेष :- आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लेने के बाद लोहासव का उपयोग करे | किसी भी आयुर्वेद औषधि का सेवन करने से पहले आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले |
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