रौप्य भस्म :- चांदी एक सुप्रसिद्ध धातु है। जी हां, हम उसी चांदी के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसका यदि श्रंगार किया जाए तो यह चार चांद लगा देती है और यदि औषध रूप में प्रयोग किया जाए तो यह बड़े से बड़े रोगों को कुछ ही समय में छूमंतर कर देती है।
हिंदुस्तान में बहुत प्राचीन काल से यह औषध प्रयोग के काम में आती है। इसकी गणना खनिज द्रव्यों में की जाती है। चांदी की खान अमेरिका, सीलोन और चीन में है। बहुत सी बड़ी-बड़ी नदियों की रेत में भी चांदी के छोटे-छोटे कण पाए जाते हैं। हिंदुस्तान के अंदर भी कई बड़ी-बड़ी नदियों की रेत में चांदी के कण पाए जाते हैं।
चांदी का प्रयोग श्रृंगार रूप में भी किया जाता है, औषध रूप में भी किया जाता है और चांदी का वर्क के रूप में प्रयोग मिठाइयों के ऊपर भी किया जाता है। इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि चांदी कितनी बहुमूल्य और गुणकारी है।
आज हम आपको इस आर्टिकल में चांदी को किन-किन रोगों में प्रयोग में लिया जाता है उसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने जा रहे हैं। अतः आप इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़े और हमारे द्वारा दी गई जानकारी को काम में ले।
औषध के रूप में चांदी का उपयोग
आयुर्वेद में पुराने समय से ही चांदी की भस्म बनाकर औषध के रूप में प्रयोग करने की प्रथा चली आ रही है। आयुर्वेद में चांदी की भस्म रौप्य भस्म के नाम से प्रचलित है। इसके लिए पहले चांदी के पत्तों को आग में तपा – तपा कर तेल, गोमूत्र, मट्ठा, कांजी और कुलथी के क्वाथ में तीन-तीन बार बुझाने से चांदी शुद्ध हो जाती है।
इस प्रकार शुद्ध की गई चांदी से ही भस्म तैयार की जाती है। कुछ रोगों में चांदी भस्म या रौप्य भस्म को अकेला प्रयोग में लेकर तथा किन्हीं किन्हीं बीमारियों में अलग-अलग औषधीयो के साथ मिलकर चांदी भस्म का प्रयोग करने से अनेक रोगों से छुटकारा पा सकते हैं।
तो चलिए अब जानते हैं की रौप्य भस्म या चांदी की भस्म को किन-किन रोगों में उपयोग में लिया जाता है तथा इसके साथ यह भी जानेंगे कि इसे कितनी मात्रा में और दवा लेने का सही अनुपान क्या है?
रौप्य भस्म (चांदी) क्या है? (What is Chandi Bhasma)
आयुर्वेद में चाँदी भस्म (Silver Bhasma) को रोग निदान और उपचार के लिए उपयोग किया जाता है। यह आयुर्वेदिक रसायन होता है, जिसे शोधन, मरण विद्या और रसायन शास्त्र की विद्या से बनाया जाता है। चाँदी भस्म को सिद्ध करने के लिए चाँदी को पहले शुद्ध किया जाता है और फिर मारण प्रक्रिया के माध्यम से इसे बनाया जाता है।
नीचे हमने चांदी भस्म के उपयोग बताएं हैं:
चांदी भस्म (रौप्य भस्म) के गुण व उपयोग
- शारीरिक दाह में – कई बार लंबे समय तक ज्वर रहने या पित्त का प्रकोप होने से शरीर में शारीरिक दाह अर्थात जलन उत्पन्न हो जाती है। ऐसी स्थिति में सुबह- शाम मक्खन, मिश्री, मलाई, मधु, घृत के साथ रौप्य भस्म का उपयोग किया जाए तो जल्द ही पित्त अपनी वास्तविक स्थिति में आ जाता है और शारीरिक दाह समाप्त हो जाती है क्योंकि रौप्य भस्म शीत प्रकृति की होती है इस कारण यह शरीर में पित्त प्रकोप जनित दाह को शांत करती है।
- गर्भाशय शोधन के लिए – गर्भ शोधन के लिए रौप्य भस्म एक बहुत ही गुणकारी औषधि है । महिलाओं में गर्भाश्य की विभिन्न विकार होने पर चांदी भस्म का इस्तेमाल करने से गर्भाशय का शुद्धिकरण होता है एवं विकार दूर होते हैं ।
- वय: स्थापक तथा बलवर्धक है- इस भस्म के सेवन से त्वचा का वर्णन निखर जाता है। यह भस्म वात हर और कफ प्रकोप का नाश करने वाली है। रौप्य भस्म रस में कसाय रस के अतिरिक्त अम्लरस, सर तथा उत्तम लेखन है। शरीर में ओज शक्ति की पुष्टि करने से कांतिवर्धक है। इसके साथ ही इस भस्म का प्रयोग मक्खन और मिश्री के साथ लगातार किया जाए तो यह बलवर्धक तथा वय: स्थापक है अर्थात बुढ़ापे को दूर करने वाली है।
- मस्तिष्क की दुर्बलता में- चांदी भस्म (रौप्य भस्म) का प्रयोग प्रवाल पिष्टी और समवर्ती सागर रस के साथ मिलकर ब्राह्मी शरबत में पिलाने से ऐसा बताया गया है कि मानसिक दुर्बलता दूर होती है । जिन्हें मस्तिष्क को तेज करना है, मानसिक विकार हैं और याददास्त कमजोर है उन्हें चांदी भस्म का इस्तेमाल करने से विशिष्ट लाभ मिलता है ।
- रसायन चिकित्सा (Rasayana Chikitsa): चाँदी भस्म को रसायन चिकित्सा में उपयोग किया जाता है, जो शरीर को बल, ऊर्जा, और ताक़त प्रदान करने का कार्य करती है ।
- ज्वर निवारण (Antipyretic): चाँदी भस्म को ज्वर निवारण के लिए भी प्रयोग किया जाता है। यह ज्वर में सेवन करने से आराम मिलता है ।
- मानसिक रसायन (Brain Tonic): इसे मानव मस्तिष्क के लिए एक मस्तिष्क रसायन या मस्तिष्क में मजबूती बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है।
- वात चिकित्सा (Vata Disorders): चाँदी भस्म को वातव्याधि (Vata disorders) के इलाज में भी उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि इसमें वातपित्तकफशामक गुण होते हैं। जो इसे सभी त्रिदोषों में उपयोगी साबित करते हैं । यह विशेषकर वात चिकित्सा में प्रयोग की जा सकती है ।
- रक्तशुद्धि (Blood Purification): इसे रक्तशुद्धि के लिए भी प्रयोग किया जाता है, जिससे शरीर के अंदर की अशुद्धियों को दूर किया जाता है और ब्लड का पुरिफ़िकेशन हो जाता है ।
- पाचन शक्ति (Digestive Power): चाँदी भस्म का सेवन पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। चांदी भस्म अर्थात रौप्य भस्म को एक पाचन औषधि के रूप में भी देखा जाता है ।
रौप्य भस्म की सेवन की विधि
आमतौर पर इसे 100mg से 125 mg तक दूध या ब्राह्मी स्वरस के साथ मिलाकर सेवन किया जाता है । स्पेसिफिक खुराक के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेकर ही इस्तेमाल में लें । यह एक प्रकार की खनिज से बनने वाली औषधि है अत: इसे सिमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिये । हालाँकि इस औषधि के कोई भी ज्ञात दुस्प्रभाव नहीं हैं फिर भी इसे देख रेख में ही सेवन किया जाना फायदेमंद है ।