आयुर्वेदिक औषधि योगराज गुग्गुल के फायदे और नुकसान

योगराज गुग्गुल के फायदे

आयुर्वेदिक  दर्द निवारक /पेन किलर योगराज गुग्गुल

सामान्यतः मानव शरीर में वात पित्त कफ तीनों दोषों की समानता होने पर शरीर स्वस्थ रहता है एवं इनकी विषमता होने पर  मानव शरीर रोगी हो जाता है।  तीनों दोषों में वात दोष के बढ़ जाने पर शरीर में अत्यधिक पीड़ा होती है शरीर में बड़े  हुए   वात  दोष को कम करने के लिए  योगराज  गुग्गुल महत्वपूर्ण  औषधि है।

योगराज गुग्गुल के फायदे
योगराज गुग्गुल के फायदे

 योगराज  गुग्गुल  ओस्टियोआर्थराइटिस, Rheumatoid Arthritis, पीठ के दर्द, कमर दर्द, सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस, बड़े हुए यूरिक एसिड रक्तशोधक  त्वचागत रोगों में लाभकारी हैं।

योगराज गुग्गुल के घटक द्रव्य

सोंठ -1 तोला

 पिप्पल. – 1 तोला

 चव्य – 1 तोला

पिप्पलीमूल – 1 तोला

चित्रक – 1 तोला

भूनी हिंग – 1 तोला

अजमोदा – 1 तोला

सर्षप – 1 तोला

श्वेत जीरा – 1 तोला

कृष्ण जीरा  – 1 तोला

रास्ना – 1 तोला

इंद्र जौ – 1 तोला

पाठा – 1 तोला

विड्ग्ग – 1 तोला

गज पिप्पल – 1 तोला

कुटकी  – 1 तोला

अतीस  – 1 तोला

भारंगी  – 1 तोला

अश्वगंधा  – 1 तोला

वचा – 1 तोला

योगराज गुग्गुल बनाने की विधि

इन सभी 20  औषधियों को एक तोला की मात्रा मे तथा इनकी दुगनी मात्रा में अर्थात 40 तोला त्रिफला एवं इन सब की मात्रा के  बराबर  अर्थात 60   तोला गुग्गुल   ले।

 इन सभी द्रव्यों को कूटकर कपड़े छान चूर्ण बना लें फिर त्रिफला चूर्ण एवं गूगल   मिला दे । सबका पाक करके गूगल शुद्ध कर  लेवे , इसके पश्चात घी डालकर 3 दिन तक कुटे। भली-भांति एक जीव हो जाने पर  250- 250 एमजी की वटी बना ले।

परीक्षा

  योगराज की गोली देखने मे काली चिकनी , और चमकदार होती हैं । इनमे तिक्त और कटु रस  होता है ।।

 गुण — धर्म

 रस :– कटु , तिक्त , कषाय

 विपाक :– कटु

 वीर्य–  उष्ण

शुण्ठी, पिप्पली,चव्य, चित्रक , गजपिप्पली, अजमोद, जीरकद्वय, पिप्पलीमूल, वचा, हिंगू आदि पित्त को बढ़ाने वाले होते हैं

अतः त्रिदोषघ्न होते हुये भी यह विशेषकर कफ तथा पित्तकर हो जाते है .

त्रिफला यकृत की क्रिया को सुधार कर पाण्डु और कामला को दूर कर देता है , और शरीर मे लोह तत्व का बढाता है ..।।

योगराज गुग्गुल का शरीर मे प्रभाव

  •  तंत्रिका तंत्र Nervous system 
  • इस संस्थान मे यह Sedative  की  तरह काम करता हैं ।
  • Analgesic  रुप में यह विशेष कार्य  करता हैं ।
  • Urinary system or reproductive system
  •  इस पर संशोधन का कार्य करके मूत्र की मात्रा में वृद्धि ,
  • वीर्य की शुद्धि और पुष्टि करता हैं,
  • ” स्त्रियों के गर्भाशय मे गर्भधारण की शक्ति बढ़ाता हैं ..
  • Temperature regulations तापमान नियंत्रक
  • यह शरीर के तापमान को ठीक करके ज्वर को नष्ट और स्वाभाविक समवर्त की वृद्धि करता हैं ..।।
  •  उदर रोगों में प्रभावी
  •   विबंध को दूर करता हैं , अन्न का पाचन ,शोथ सुधारता हैं।
  • ह्रदय और वातवाहिनी
  • वाहिनियों की पेशियों मे संकोच होकर रक्त पीडन कुछ स्वाभाविक हो जाता हैं
  • संधिया
  •  संधियों के श्लेष्मा के विकार दूर कर  , शूल को निर्मल करता हैं

योगराज गुग्गुल के फायदे

वर्तमान समय में जोड़ो का दर्द आम हो गया है | ऐसे में योगराज गुग्गुल सबसे उपयुक्त आयुर्वेद औषधि है | किसी भी आयुर्वेद औषधि का प्रयोग यदि रोगानुसार अनुपान के साथ किया जाये तो शीघ्र बेहतर परिणाम मिलते है |

आमवात में योगराज गुग्गुल के फायदे

जिन लोगो को आमवात की समस्या रहती है उनको गुग्गुल का सेवन महारास्नादि क्वाथ तथा एरण्ड तेल के साथ करने से अल्प समय में ही लाभ मिलने लगता है |

वातव्याधि मे गुग्गुल के फायदे

शरीर के किसी भी हिस्से या सम्पूर्ण शरीर में वात प्रकुपित हो जाने पर योगराज गुग्गुल का सेवन रास्नासप्तककषाय के साथ करने से राहत मिलती है |

पैतिक व्याधि मे गुग्गुल के फायदे

जिन रोगियों का पित्त प्रकुपित होने पर गुग्गुल का सेवन काकोल्यादिगण के क्वाथ के साथ करने से पित्त शांत हो कर सम्बंधित व्याधि से राहत मिल जाती है |

श्लैष्मिक व्याधि मे गुग्गल का लाभ

कफ सम्बन्धी रोगों में गुग्गुल का सेवन ज्वरादि गण के क्वाथ करने से श्लेष्मिक सम्बन्धी रोगों में लाभ मिलता है |

प्रमेह में योगराज गुग्गुल के लाभ

आयुर्वेद शास्त्रों में 20 प्रकार के प्रमेह बताये गये है | गुग्गुल का सेवन दारुहल्दी के क्वाथ के साथ करने से प्रमेह में फायदेमंद होता है |

मेदोवृद्धि में लाभदायक है गुग्गुल

मेद धातु की वृद्धि हो जाने पर योगराज गुग्गुल का सेवन मधु के साथ करने से मेद धातु सामान्य होने लगती है |

कामलl –  

कामला रोग से पीड़ित रोगी को योगराज गुग्गुल का सेवन गोमूत्र के साथ करने से कामला में लाभ मिलता है |

कुष्ठ में फायदेमंद है योगराज गुग्गुल

चर्म रोग अर्थात रक्तविकारो में गुग्गुल का सेवन नीम क्वाथ के साथ करने पर अधिक फायदेमंद साबित होता है |

शोथ में फायदे

शरीर के किसी भी हिस्से में उत्पन्न हुई शोथ का शमन करने के लिए गुग्गुल का सेवन पिप्पली क्वाथ के साथ करना चाहिए|

  • वातरक्त – गुडूची क्वाथ से
  • नेत्रदाह मे – त्रिफला क्वाथ से )
  • उदर रोग मे – पुनर्नवा कषाय के साथ करना चाहिए |
  • अर्श मे – पाइल्स में गुग्गुल का सेवन दुग्ध के साथ करना अधिक फायदेमंद रहता है |
  • ग्रहणी – यवागू आम्रादि  से
  • उदरशूल में लाभदायक
  • पेट दर्द में गुग्गुल का सेवन उष्णोदक अर्थात गर्म जल के साथ करना चाहिए |
  • भगंदर – एरण्ड तेल से
  • उदावर्त – नागरमोथा क्वाथ से
  • क्षय रोग – वासा स्वरस और मधु से
  • कास मे – विभितकी क्वाथ से
  • अनार्तव या कृच्छार्तव – महामंजिष्ठादि क्वाथ से

रोगाधिकार योगराज गुग्गुल बैधनाथ

उदर रोग, आमवात, अग्निमांद्य, संधिगत वात, मज्जागत, आढ्यवात, प्लीहा वृद्धि संपूर्ण शरीर में कही भी  शूल हो वहाँ दर्द निवारक एस्प्रिन या डायक्लोफेनिक, कैफीन की जगह योगराज का प्रयोग करने पर वही लाभ मिलता है, जो इन दवाओं का मिलता है। अन्तर केवल यह है कि वो हृदय को  निर्बल बनाती है | जबकि  योगराज गुग्गुल हृदय को बल प्रदान करता है।

योगराज गूगल के सेवन की मात्रा

 सामान्यतः  इसे 500 से 1000 एमजी की मात्रा में लिया  जाता है।  अपने विवेक से देश, काल,परिस्थिति  रोगी बलाबल के आधार  पर मात्रा व अनुपान का उपयोग कर सकता है ।

 Reference– रस तंत्र सार व सिद्धि योग संग्रह

डॉ.आर.के.सैनी

(रिसर्च एसोसिएट सीसीआरएएस)


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