आयुर्वेदाचार्यो ने शारीरिक दोषों की संख्या तीन बताई है वात पित्त और कफ |
ये तीन दोष जब तक साम्यावस्था में रहते है तब तक तब तक हम स्वस्थ है किन्तु इनके प्रकुपित होने की स्तिथि में संभवतः रोगोत्पत्ति की सम्भावना बनी रहती है |
वात पित्त कफ दोषों से अनेको रोगों की उत्पत्ति होती है |
इस लेख के माध्यम से हम आपको आपकी प्रकृति के अनुसार पथ्य-अपथ्य के माध्यम से स्वस्थ बने रहने से संबंधित संक्षिप्त जानकारी शेयर कर रहे है
वात दोष में आहार व्यवस्था
क्या खाये,क्या पिये :-
गाय का दूध ,गाय का घी ,मिश्री,अदरक,परवल,लोकी,बथुआ,चौलाई,अंगूर,पुराना चावल,पपीता ,गेहू की चपाती,इलायची,मैथीदाना,गर्म वस्तुओ का सेवन,हरीतकी,खट्टे-मिट्ठे पदार्थ नमकयुक्त पदार्थो का सेवन अधिक मात्र में करना चाहिए |
क्या नही खाये :-
डिब्बाबंद फास्टफूड ,बासा भोजन,कोल्डड्रिंक,चने की दाल,कडवे पदार्थ,तीखे पदार्थ ,तला-भुना भोजन ,चने की भाजी,मसूर की दाल ,मटर ,फूलगोभी,मांसाहार,चाय,काफी,शराब,नशीले पदार्थ आदि का सेवन नही करना चाहिए |
पित्तज दोष में आहार व्यवस्था
क्या खाये:-
ठंडे पदार्थ ,ठंडा पानी,मसूर की दाल,सत्तू, गाय का दूध , गाय का घी , मीठी लस्सी,परवल,टिंडा,ककड़ी,हरा धनिया ,पोदीना, निम्बू की शिकंजी, तरबूज, सेब,अनार, आवला ,बहेड़ा ,गुलकंद,पैठा आदि का सेवन करना चाहिए
क्या नही खाये:-
उड़द की दाल से बने व्यन्जन खट्टे पदार्थो का सेवन, मीठा, गर्म तासीर वाले पदार्थ ,मांसाहार ,चाय,कॉफ़ी ,शराब का सेवन गर्म वातावरण एवं अधिक मेहनत से बचना चाहिए |
कफ दोष में आहार व्यवस्था
क्या खाये :-
पुराने गेंहू की चपाती ,मूंग,चना,जौ की रोटी ,बकरी का दूध,गाजर,सूखे मेवे,सोंठ,आंवला ,कालीमिर्च,हल्दी,लोंग,तुलसी,मसूर,गुनगुना पानी का सेवन अत्यंत हितकारी होता है |
क्या नही खाये:-
गरिष्ट भोजन ,खट्टा मीठा ,बासा भोजन नया गेंहू , नया चावल,मक्खन,भेंस का दूध ,घी,गन्ना,आलू,केला ,अमरुद,बेंगन ,मांसाहार,शराब का सेवन आदि से बचना चाहिए |
धन्वाद