सिद्ध मकरध्वज: आयुर्वेद का सिद्ध मकरध्वज एक ऐसी सर्वश्रेष्ठ महा औषधि है। जिसके सम्मान सभी रोगों का नाश करने वाली महाऔषधि संसार की किसी भी चिकित्सा में उपलब्ध नहीं है। बड़े-बड़े डॉक्टरों ने यह बात मान ली है कि मकरध्वज के जोड़ की दूसरी दवा नहीं है। सिद्ध मकरध्वज के उपयोग से अनगणित प्राणी काल के मुंह से बच जाते हैं। बहुत से डॉक्टर इसका इंजेक्शन देते हैं तथा स्वतंत्र रूप से प्रयोग करते हैं। यह दवा ताकत बढ़ाने के साथ-साथ सभी रोगों का नाश करने के लिए भी तथा शरीर में इम्यूनिटी पावर को बढ़ाने के लिए उपयोग में ली जाती है।
यदि आप भी आयुर्वेद के सिद्ध मकरध्वज के बारे में जानना चाहते हैं कि इसका सेवन कैसे किया जाए तथा इसके और क्या-क्या गुण व उपयोग है तो आज इस आर्टिकल को आप अंतिम तक अवश्य पढ़े। हम आपको आयुर्वेद के इस महा औषधि के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे।
आयुर्वेद के सिद्ध मकरध्वज की निर्माण विधि
सिद्ध मकरध्वज: आयुर्वेद की महा औषधि सिद्ध मकरध्वज का निर्माण आप घर पर न करके किसी भी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर से ले सकते हैं। घर पर इसका निर्माण सही तरह से नहीं हो पाएगा और यदि करते समय किसी भी प्रकार की गड़बड़ी हो जाए तो यह एक प्रकार से विष बन जाता है। इसलिए आप इसका उपयोग किसी भी मेडिकल स्टोर से खरीद कर कर सकते हैं कृपया इसे घर पर बनाने की कोशिश न करें।
आयुर्वेद के ग्रंथों में लिखा है कि सिद्ध मकरध्वज का उपयोग सर्वप्रथम भगवान शिव ने बनाकर अपने सिद्धों को कराया था अतः इसलिए इसे सिद्ध मकरध्वज कहते हैं।
सिद्ध मकरध्वज के घटक
इस आयुर्वेदिक औषधि में ये दवाएं मिली होती है –
- स्वर्ण मोती
- कस्तूरी युक्त
- पारद
- मकरध्वज
- स्वर्ण भस्म
- कस्तूरी
- मोती भस्म
- स्वर्ण वंग भस्म
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सिद्ध मकरध्वज के गुण व उपयोग
सिद्ध मकरध्वज मरणासन्न रोगी को जब और किसी दवा से लाभ नहीं होता, तब देने से उचित फायदा मिलता है। यह उसके प्राणों की रक्षा करता है। यदि शरीर में किसी भी प्रकार से रक्त की कमी हो जाए तो मकरध्वज का सेवन करवाने से अमृत के समान गुण करता है। यह हमारे शरीर को ताकत तो देता ही है इसके साथ इम्युनिटी पावर को भी बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त अन्य गुण और उपयोग इस प्रकार है-
- सिद्ध मकरध्वज के उपयोग से निश्चित ही शरीर का वजन बढ़ता है। यह दवा बल, वीर्य, कांति आदि के लिए सर्वश्रेष्ठ दवा है।
- किसी भी रोग के कारण यदि शरीर में कमजोरी आ जाए तो सिद्ध मकरध्वज का उपयोग कर आने से जल्द ही शरीर में ताकत का संचार होता है।
- सिद्ध मकरध्वज के सेवन से शरीर की झुर्रियां, बालों का सफेद होना आदि रोगों का नाश होता है तथा उम्र भी बढ़ती है।
- जो लोग बराबर सिद्ध मकरध्वज का सेवन करते हैं उन पर किसी भी प्रकार के विष का असर नहीं होता है।
- सिद्ध मकरध्वज का उपयोग विशेषकर टीबी और कफ से जनित बीमारियों में बहुत शीघ्र लाभ लेने के लिए किया जाता है।
- सिद्ध मकरध्वज के उपयोग से हृदय की दुर्बलता को दूर किया जाता है तथा शरीर ताकतवर बनता है और शरीर में वीर्य की वृद्धि होती है।
- सिद्ध मकरध्वज रसायन, वाजीकरण और योग वाही रसायन है।
- धनी लोग सिद्ध मकरध्वज का सेवन बराबर करते रहते हैं जिस कारण वे जल्दी रोगग्रस्त नहीं होते हैं।
- बालक, वृद्ध, युवा, स्त्री, पुरुष सभी आयु वर्ग के लोग सिद्ध मकरध्वज का उपयोग करके लाभ उठा सकते हैं।
- सिद्ध मकरध्वज से नपुसंकता, नामर्दी, शीघ्रपतन आदि रोगों को बहुत जल्द दूर किया जा सकता है।
रोगों के अनुसार सिद्ध मकरध्वज की सेवन विधि और मात्रा
- वात ज्वर में- बच का चूर्ण 1माशा, बड़ी इलायची के बीज 1माशा, मिश्री आवश्यकतानुसार, सिद्ध मकरध्वज 1 रत्ती सब को एक साथ मिलाकर शहद के साथ सेवन कराएं।
- पित्त ज्वर में- सिद्ध मकरध्वज आधा रती, गिलोयसत्व 2 रत्ती, पित्त पापड़ा कवाथ में मिश्री मिलाकर सबको साथ मिलाकर सेवन कराएं।
- कफ ज्वर में- सिद्ध मकरध्वज 2 रत्ती, तुलसी, अदरक, पान इन तीनों का रस एक- एक चम्मच शहद में मिलाकर सेवन कराएं।
- साधारण बुखार में- सिद्ध मकरध्वज 1 रत्ती, अदरक का रस, शहद के साथ सेवन करें।
- सन्निपात ज्वर में- सिद्ध मकरध्वज 2 रत्ती, ब्राह्मी का रस 1 माशा और शहद 1 माशा मिलाकर सेवन करें।
- मोतीझरा में- सिद्ध मकरध्वज1 रत्ती को मोती पिष्टी आधी रती के साथ मिलाकर शहद में मिला ले और चटा दें। ऊपर से लौंग का क्वाथ पिला देना चाहिए।
- मलेरिया बुखार में- सिद्ध मकरध्वज एक रत्ती, करंज बीज का चूर्ण एक माशा शहद में मिलाकर सेवन करवाना चाहिए।
- पुराने बुखार में- सिद्ध मकरध्वज एक रत्ती, दो नग छोटी पीपली का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर सेवन करें।
- बुखार के कारण होने वाले दस्त में- मकरध्वज एक रत्ती,शहद एक माशा, सोंठ पानी में घिसकर एक मासा सबको एकत्रित मिला कर दे।
- खून के दस्त में- सिद्ध मकरध्वज एक रत्ती को अतीस चूर्ण दो रत्ती के साथ कुडा की छाल का रस अथवा अडूसा की जड़ की छाल का रस शहद और अनार का रस एक तोला में मिलाकर शहद के साथ सेवन कराएं।
- बवासीर में- मकरध्वज एक रत्ती, जमीकंद का चूर्ण एक मासा, मिश्री 6 माशा मिलाकर एक साथ देवें।
- हैजा होने पर- प्याज का रस एक तोला, शहद 2 माशा मिलाकर सिद्ध मकरध्वज 1रत्ती की मात्रा में देने से विशेष लाभ मिलता है।
- अम्लपित्त रोग में- आंवले का रस 1 तोला, या क्वाथ 2 तोला और शहद अथवा परवल के पत्तों का रस, गिलोय का रस, अनार के कोमल पत्तों का रस एक-एक तोला, मिश्री, सौंफ या धनिया को 12 घंटे भिगोकर उसके जल के साथ देने से अमल पित्त रोग में बहुत फायदा मिलता है।
- खून की कमी में- कुटकी का काढा 2 तोला या कुटी का चूर्ण भी ले सकते हैं तीन माशा, सिद्ध मकरध्वज 1 रत्ती, शहद या पुराने गुड़ के साथ सेवन करने से जल्द ही खून की कमी दूर हो जाती है।
- वीर्य वृद्धि एवं स्तंभन के लिए- लौंग, अकरकरा, दालचीनी, केसर, कपूर और जायफल के चूर्ण एक – एक माशा के साथ सिद्ध मकरध्वज एक रत्ती को घोटकर गर्म दूध के साथ सेवन करने से वीर्य में वृद्धि होती है और शीघ्रपतन जैसे रोगों का नाश होता है।
- शीघ्रपतन में- सिद्ध मकरध्वज एक रत्ती को कौंच के बीज का चूर्ण या अश्वगंधा के चूर्ण1 माशा लेकर शहद के साथ या सेमल की जड़ का रस अथवा शतावरी का रस एक तोला शहद में मिलाकर सेवन करने से शीघ्रपतन रोग का नाश होता है।
धन्यवाद |