गिलोय का परिचय
“सर्वोषधीनां अमृता प्रधाना (बृ.चा.9.4)”
अर्थात सभी औषधियों में गिलोय सर्वश्रेष्ठ है | आयुर्वेद संहिताओ में गिलोय को इसके चमत्कारिक गुण होने से अमृता का नाम दिया गया है | क्योकि जब-जब मानव जाती पर विपदा आई है गिलोय ने अमृत के समान गुण होने से सभी को ऐसी महामारियों से बचाया है | इसीलिए गिलोय के फायदे की लिस्ट लम्बी हो जाती है |
हाल ही में चाहे वो स्वाइन फ्लू हो, डेंगू हो या फिर अभी कोरोना सभी में ढाल बनकर गिलोय ने मानव प्रजाति की रक्षा की है | गिलोय एक बहुवर्षीय लता (बेल) है | जो किसी भी पेड़ पर अपना स्थान बना लेती है किन्तु नीम के पेड़ पर पलने वाली गिलोय को श्रेष्ठ माना जाता है | क्योकि जिस पेड़ पर यह फ़ैलती है उसके सारे गुण अपने में ले लेती है | गिलोय को अलग-अलग नामो से जाना जाता है | आयुर्वेद संहिताओ में इसे कई नामों से जाना जाता है जैसे-गिलोय, गुडूची, अमृता, चक्रांगी, छिन्नरुहा आदि | गिलोय का वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया Tinospora Cordifolia है |
क्या होता है गिलोय
गिलोय एक आयुर्वेदिक जडीबुटी है जिसके पान के समान दिखने वाले पत्ते अत्यधिक चिकनाई लिए हुए होते है इसका डंठल मुख्य रूप से औषधीय गुणों से भरपूर होता है | गिलोय एक बेल होती है जो एंटी-आक्सीडेंट गुणों से भरपूर होती है | इसमे पाए जाने वाले एंटी-ओक्सिडेंट गुण हमारे शरीर में फ्री रेडिकल्स को बनने से रोकते है जिससे इम्युनिटी पॉवर बढ़ जाता है और रोगों से लड़ने की क्षमता बढने से रोगों से बचे रहने में सहायक सिद्ध होती है | आयुर्वेद संहिताओ में आयुर्वेद की प्रमुख एंटी वायरल औषधियों में गिलोय को महत्वपूर्ण माना गया है | इस सम्बन्ध में इन वाइवो, इन वाइट्रो और क्लिनिकल शोध हो चुके है | जो इसकी पुष्टि करते है | सभी प्रकार के वायरल रोगों से बचे रहने के लिए गिलोय प्रभावी है |
गिलोय का रासायनिक संघठन
गिलोय में स्टार्च, गिलोयनिन, बर्बेरिन, गिलोइन, गिलिस्ट्रोल आदि बहुतायत से पाए जाने वाले द्रव्य है | इसके अतिरिक्त एंटी-ओक्सिडेंट, एंटी-इन्फ्लामेंट्री, प्रॉपर्टीज, मेग्निशियम, फास्फोरस आदि तत्व पाए जाते है |
गुडूची के गुण – धर्म
रस – तिक्त, कषाय
गुण – गुरु, स्निग्ध
वीर्य – उष्ण
विपाक – मधुर
प्रभाव – त्रिदोष शामक
गिलोय के फायदे (Benefits of Giloy in hindi)
“गुडूची कटुका तिक्ता स्वादुपाका रसायनी |
संग्राहिणी कषायोष्णा लघ्वी बल्याग्नीदीपिनी||
कामला कुष्ठ्वातास्त्रज्वरक्रीमीवमिन्हरेत |
प्रमेह श्वासकासार्श: कृच्छ्रंहृदोगवाट्नुत ||” (भा.प्र.पू.ख. गुद्दूच्यादीवर्ग 6.8-10)
इम्युनिटी बढ़ाने में गिलोय है फायदेमंद
इम्युनिटी हमे रोगों से लड़ने की क्षमता देता है और ऐसे में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए गिलोय एक बेहतर विकल्प है | गिलोय का डंठल 4 अंगुल, कालीमिर्च 4 नग, सुंठी 1 ग्राम, तुलसीपत्र 4-5, दालचीनी 2 ग्राम, लेकर 200 मिली पानी में डालकर अच्छे से धीमी आंच पर उबाले जब एक चौथाई शेष रहे तब छानकर 40 मिली की मात्रा में प्रात:काल चाय के स्थान पर सेवन करने से इम्युनिटी बढ़ जाती है |
मुंह के कैंसर में गुडूची है फायदेमंद
हाल ही में हुई एक शोध से यह सिद्ध हुआ है की गिलोय व आवले का एक साथ निश्चित मात्रा में सेवन करने से मुह के कैंसर के इलाज में लाभदायक परिणाम मिलते है
शराब के दुष्प्रभावो से राहत दिलाये गिलोय
जिन लोगो को शराब सेवन करने से मेटाबोलिज्म बिगड़ गया हो उनके मेटाबोलिज्म को सुधारने में गिलोय सहायक है | इसका सेवन लीवर सम्बन्धी रोगों में भी प्रभावी है | गिलोय का सेवन शराब का सेवन करने से सेक्स हार्मोन्स के असंतुलन को सुधारने में लाभदायक है |
कंकालीय-मांसपेशियों से सम्बंधी विकारो में गुडूची के फायदे
वर्तमान समय में मांसपेशियों से सम्बंधित विकार होना आम होता जा रहा है | जिसका जिम्मेदार कारण कैचेक्सिया, इम्मोबिलाईजेशन व सारकोपिनिया आदि होते है | मांसपेशियों से सम्बंधित इस प्रकार की समस्याओ से छुटकारा दिलाने में गिलोय फायदेमंद है |
सभी प्रकार के बुखार में गिलोय के फायदे
गिलोय में एंटी वायरल गुणों की उपस्थिति सभी प्रकार के बुखारों से मुक्ति दिलाने में सहायक है |
डेंगू में उपयोगी है गिलोय
डेंगू बुखार होने पर प्लेटलेट्स कम होने की समस्या हो जाने पर गिलोय का ज्यूस प्लेटलेट्स को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होता रहा है |
गिलोय डायबिटीज को करे कंट्रोल
गिलोय का सेवन करने से शुगर का बढ़ा हुआ लेवल कम होता है | इसके सेवन करने से पहले ये जान ले की आपका पाचन ठीक है या नही | डायबिटीज के उपचार में गिलोय पैंक्रियाटी बीटा सेल्स का संरक्षण कर ग्लूकोज चयापचय को नियंत्रित करने में सहायक सिद्ध हुई है |
ऑस्टियोपोरोसिस में गिलोय है लाभदायक
ऑस्टियोपोरोसिस के शुरुआत में यदि गिलोय का सेवन चिकित्सक की देखरेख में किया जाये तो इस समस्या के बड़ी आसानी से खत्म किया जा सकता है | यूरोपियन पत्रिका मतुरिट्स में प्रकाशित एक शोध से इसकी पुष्टि होती है |
पाचन सम्बन्धी समस्याओ में गिलोय के फायदे
गिलोय के ज्युस का सेवन कुछ दिनों तक करने से पाचन सम्बन्धी विकारो से छुटकारा मिलता है | गिलोय के डंठल व आवले के ज्यूस का सेवन करने से पाचन सम्बन्धी विकार दूर होते है |
सर्दी- जुकाम में गिलोय के फायदे
गिलोय की तासीर गर्म होती है | गिलोय पर हुए क्लिनिकल ट्रायल से यह सिद्ध हुआ है की यह एलर्जिक रायानाइटिस, जुकाम, बुखार आदि को ठीक करते हुए व्याधिक्षमत्व को बढ़ाने में अत्यंत उपयोगी है | साथ ही गिलोय की गर्म तासीर सर्दी जुकाम से राहत दिलाने के लिए श्रेष्ठ आयुर्वेदिक हर्ब है |
गिलोय के नुकसान ( Side Effect of giloy in hindi)
अधिकतर मामलो में गिलोय के किसी प्रकार के कोई दुष्प्रभाव नही होते है लेकिन जिन लोगो का ब्लड शुगर कम रहता है उनके लिए इसका सेवन हानिकारक हो सकता है | प्रेग्नेंट महिलाओ को गिलोय का सेवन नही करना चाहिए इससे गर्भपात होने की सम्भावना रहती है | यदि गिलोय का सेवन नियमित करना चाहते हो तो चिकित्सक से परामर्श कर बाद ही सेवन करे | जिनका डाइजेसन सिस्टम भलीभांती काम नही करता है उन्हें गिलोय के सेवन से बचना चाहिए |
गिलोय का उपयोग कैसे करे / गिलोय सेवन विधि
गिलोय ज्यूस
यदि आपके आसपास गिलोय उपलब्ध है तो आप गिलोय के पत्तो को मिक्सी में पानी डालकर जूस बना कर सेवन कर सकते हो | गिलोय के साथ आवला मिलाकर लेने से मोटापे में राहत मिलती है |
गिलोय का काढ़ा
अमृता या गुडूची का काढ़ा बनाने के लिए इसके डंठल को चार अंगुल लेकर छोटे छोटे टुकड़े बनाकर कूट ले | उसके बाद 150 मिली पानी में डालकर धीमी आंच पर उबाले जब 40 मिली पानी शेष रह जाये तब छानकर पियें | इसे अधिक गुणकारी बनाने के लिए इसमे कालीमिर्च, लोंग, अदरक, तुलसीपत्र, आदि मिलाकर बनाये |
गिलोय टेबलेट
अनेको आयुर्वेद दवा निर्माता कंपनियों द्वारा गिलोय की टेबलेट भी बनाई जा रही | यदि आप टेबलेट का उपयोग करना चाहते हो तो 2-2 टेबलेट सुबह-शाम गुनुगुने पानी के साथ सेवन कर सकते हो | जैसे – गिलोय घन वटी और संशमनी वटी |
गिलोय पाउडर/ चूर्ण
गिलोय का चूर्ण उपयोंग में लेने के लिए 3-5 ग्राम की मात्रा सुबह शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करे |
गुडूची (गिलोय) के मिश्रण से बनने वाले आयुर्वेदिक योग विभिन्न रोगों में प्रभावी है
- टाइफाइड
- नर्वस सिस्टम के रोग
- गठिया
- मोटापा
- फाइलेरिया
- मलेरिया
- अल्सर
- याददास्तबढ़ाने में
- आँखों के रोग
- ट्यूमर
- प्लीहा रोग
- मनोभ्रम
- जोड़ो का दर्द
- सिरदर्द
- डिसपेप्सिया
- सभी वायरल बुखारों में
- एनीमिया
- पीलिया
- बालो का पकना
- उम्र को छुपाने में अर्थात वय:स्थापन
- श्रेष्ठ रसायन
- चर्म रोगों आदि में गुडूची से बने आयुर्वेदिक योगो के फायदे देखे गये है |
किसी भी आयुर्वेद औषधि का प्रयोग चिकित्सक की देखरेख में ही करे |
यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया हो तो कृपया शेयर करे |
डॉ.रामहरि मीना
निदेशक श्री दयाल नैचुरल स्पाइन केयर
धन्यवाद !