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नेति क्रिया

नेति क्रिया क्या है ? नेति के भेद व फायदे

परिचय

नेति संस्कृत शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ यह नही या अंत नही होता है | नेति वाक्य उपनिषदों में अनंतता को दर्शाने के लिए उपयोग में आता हुआ दृष्टिगोचर होता है |

तत्वमस्या दिवाक्येंन स्वात्मा ही प्रतिपादित |

नेति नेति त्रुतिर्ब्रुयाद अनृतं पंचभौतिकम || 1.25||

अर्थात् तत्वमसि वाक्य से अपन आत्मा का बोध किया गया है | असत्य जो की पांच महाभूतो से बना है , उसके लिए श्रुति कहती है यह नही, यह नही |

नेति क्रिया
नेति क्रिया

नेति क्रिया को वेदांत में विचार-पद्धति का ज्ञान मार्ग कहा गया है | जिसमे ईश्वर का अस्तित्व अन्धविश्वास पर आधारित नही है |इस मार्ग में अद्वैत वाद में युक्ति तर्क की सहायता लेकर वास्तविकता तक पहुंचना होता है |यह मार्ग अत्यंत बुद्धि चातुर्यपूर्ण तरीके से प्राप्त किया जा सकता है |

ईश्वर मशीन रुपी मानव शरीर की समय-समय पर सफाई करना उतना ही आवश्यक है जितना की आप आपकी कार या मोटर साइकिल की सर्विस करवाते है ठीक वैसे ही हमे हमारे शरीर का सफाई भी उतनी हो आवश्यक है | शरीर रूप मशीन का बहारी सफाई तो स्नान द्वारा हो जाती है किन्तु बहुत कम लोग ही है जो अपने आन्तरिक शरीर की सफाई करते है | अंग विशेष के लिए अलग अलग क्रिया हमारे आचार्यो ने बताई है | नासिका द्वारा श्वास-प्रस्वास की क्रिया की जाती है जो की प्राण के लिए जरूरी है | जिसकी सफाई के लिए नेति क्रिया का वर्णन किया गया है | नेति क्रिया से शोधन करने से मन पर नियंत्रण हो जाने से प्राणायाम, ध्यान, व समाधी के अभ्यास में आसानी हो जाती है |

नेति के अलग-अलग पांच भेद बताये गये है

  • रबर नेति (सूत्र नेति)
  • दुग्ध नेति
  • घृत नेति
  • जल नेति
  • तेल नेति

सूत्र नेति (रबर नेति)

किसी भी प्राकृतिक चिकित्सालय से सूत्र नेति प्राप्त करले या आजकल तो बाजार में भी 4-5 नंबर रबर कैथैटर ट्यूब मिलती है का उपयोग कर सकते है | किसी बर्तन में पानी गर्म करे और उसमे सूत्र या रबर नेति को अच्छे से धो ले | प्राकृतिक चिकित्सक के बताये अनुसार कागासन में बैठ कर मुह को ऊपर उठा कर  जो स्वर चल रहा हो उस नासाछिद्र में आराम आराम से सावधानी पूर्वक अन्दर डाले | जब सूत्र या रबर आपको गले में महसूस हो तब तर्जनी और मध्यमा अंगुली को मुह में डालते हुए नेति को पकड़ते हुए मुह से बहार निकाल ले | उसके बाद नेति के दोनों सिरों को पकडकर 15-20 बार सावधानी पूर्वक धीरे धीरे ऊपर नीचे घर्षण करे | ये क्रिया पूरी होने के बाद मुखमार्ग से बहार निकाले | इसके बाद इसी क्रिया को दुसरे नासाछिद्र से दोहराए | इस क्रिया के अभ्यास के बाद तेल नीति का अभ्यास करने से अधिक लाभ की प्राप्ति कर सकते हो |    

तेल नेति

सामग्री-

  • सरसों का तेल 100 ग्राम
  • नमक 5 ग्राम

सरसों के तेल में नमक डालकर अच्छे से गर्म करले | जब तेल ठंडा हो जाये तो उसे किसी साफ़ कपड़े से छानकर किसी ड्रापर वाली बोतल में डालकर रखले | तेल नेति करने के लिए रात को सोते समय बिना तकिया लगाये 8-8 तेल की बूंदे दोनों नासिका में डालकर 5-10 मिनट तक लेटे रहे | जैसे जैसे कफ गले में आने लगे साथ की साथ थूकते रहे

ऐसा करने से कुछ समय में ही आपका जमा हुआ कफ बहार निकलने से आप हल्कापन महसूस करोगे |

जल नेति

सामग्री– टोटीदार लोटा

सैंधा नमक

टोटीदार लोटे में आधा लीटर नमक मिला गुनगुना पानी ले | उसके बाद कागासन में बैठकर लोटे को हथेली पर रखे और जो स्वर चल रहा है उसी हाथ में लोटे को रख कर टोटी को नासाछिद्र में लगाये | यदि टोटी दाई नासाछिद्र में लगाई है तो बायीं और सिर को झुका दे | और पानी को नासिका में डालना प्रारम्भ करे | उसके बाद दूसरी नासिका से यही क्रिया दोहराए | यह क्रिया करने के बाद भस्त्रिका का अभ्यास करे जिससे नासिका मार्ग में रुका हुआ जल बहार आजायेगा |

जल नेति के फायदे

  • जल नेति  के अभ्यास से कफ दोष का शमन होता है |
  • नेत्र ज्योति बढती है |
  • आँखों से सम्बन्धी रोगों में लाभदायक है |
  • अस्थमा में लाभदायक
  • बुद्धिवर्धक
  • बालो की समस्या बालो का झड़ना व पकना
  • बार बार छींके आना
  • अनिंद्रा
  • कान बहना
  • एलर्जी
  • जुकाम
  • सयानोसाइटिस
  • नजला
  • कानो से सम्बन्धी रोगों में लाभदायक

दुग्ध नेति

सामग्री – दूध 500 मिली

दुग्ध नेति के लिए गाय के दूध को गर्म करके छान ले और ठंडा होने दे जब दूध हल्का गुनगुना रहे तब टोटीदार लोटे में डालकर जल नेति की भांति ही दुग्ध नेति का अभ्यास किया जाता है | जल नेति की भांति ही इसके अभ्यास के बाद भी भस्त्रिका का अभ्यास करना आवश्यक है |

दुग्ध नेति के फायदे

  • नेत्र ज्योति बढती है |
  • आँखों से सम्बन्धी रोगों में लाभदायक है |
  • बुद्धिवर्धक
  • बालो की समस्या बालो का झड़ना व पकना
  • बार बार छींके आना
  • अनिंद्रा
  • कान बहना  
  • कानो से सम्बन्धी रोगों में लाभदायक

घृत नेति

सामग्री – गाय का घी

विधि – गाय के घी को हल्का गुनगुना करले उसके बाद रात को सोते समय दोनों नासिका छिद्रों में 8-8 बूंद डाले | और अन्दर की और खींचे थोड़ी ही देर में घी आपके गले में पहुंच जायेगा और थोड़ी देर बाद ही कफ आने लगे तो उसे थूकते रहे | यह सम्पूर्ण प्रक्रिया में अधिकतम 10 मिनट का समय लगता है | सामान्यत: घृत नेति हमारे पूर्वजो की दिनचर्या का एक हिस्सा हुआ करता था |जिसके चलते उनमे एलर्जी की समस्या बहुत ही कम पाई जाती थी | आचार्य चरक ने इसे नस्य का नाम दिया है |

नेति के किसी भी भेद का अभ्यास प्राकृतिक चिकित्सक की देखरेख में ही करे |

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डॉ.रामहरि मीना

निदेशक श्री दयाल नैचुरल स्पाइन केयर

धन्यवाद !

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

Written by

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

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