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कालमेघ के फायदे

कालमेघ का परिचय फायदे व नुकसान

परिचय

कालमेघ का पौधा सभी जगहों पर बड़ी आसानी से उग जाता है | किन्तु इसकी बहुमूल्य उपयोगिता से अनजान होने के कारण अधिकतर लोग इसे पहचान नही पाते है | केवल पादप रोग विशेषज्ञ व् आयुर्वेदाचार्य ही इसे पहचान कर इसके फायदों से लोगो को रोग मुक्त करने में इसका उपयोग करते है | जबकि यह गिलोय के बाद दूसरा अमृत समान गुणों वाला पौधा होता है | कालमेघ के फायदे गिलोय का समान ही है |

कालमेघ के फायदे
कालमेघ के फायदे

कालमेघ को भाषा व स्थान विशेष के आधार पर अलग अलग नामो से जाना जाता है – जैसे भुनिम्ब, ग्रीन चिरायता, कालनाथ, लिलू, करियातु, नेलवमु, महातिक्त, तिक्ता, नेलवैप्पू, आदि |

कालमेघ क्या होता है ? (what is kalmegh in hindi )

आयुर्वेद की एक बहुमूल्य औषधि है कालमेघ जिसके पत्ते मिर्च के पत्तो के जैसे चिकने हरे पीले रंग लिए हुए होते है | कालमेघ के अंग्रेजी में निलावेम्बू (Nilavembu) कहा जाता है | कालमेघ का वानस्पतिक नाम एन्ड्रोग्रैफिस पैनिकुलेटा ( Andrographis Paniculata ) है |

कालमेघ पर हुए वैज्ञानिक शोध क्या कहते है ?

की बहुउपयोगिता को देखते हुए कालमेघ पर भारत से अधिक शोध विदेशो में हो रहे है | 2020 तक कालमेघ पर 2000 से अधिक शोध प्रकाशित हो चुके है | जिनमे पाया गया है की कालमेघ एकल औषधि के रूप में तो काम करता ही है किन्तु जब ये अन्य औषधियों के साथ मिलाकर उपयोग किया जाता है तो बहुत जल्द अपना प्रभाव दिखाता है | कालमेघ पर हुए शोधो से यह परिणाम सामने आये है की कालमेघ एंटीवायरल, एंटीबेक्टिरियल, एंटीमैलेरियल, एंटीडायबिटीज, एंटीपैरासाइटिक, एंटीडायरियल, कोर्डियोप्रोटेक्टिव, एंटीइन्फलामेंट्री, एंटीप्रोटोजोअन, एंटी-एचआईवी, निमेटोसाइडल, एंटीकैन्सर, एंटीस्पाजमोडिक, एंटीहाइपरग्लायसीमिक, इम्मुनोस्टीम्यूलेटरी, एंटीकार्सिनोजेनिक, हिपेटोप्रोटेक्टिव, आदि की उपस्थिति रोगों का शमन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है |

कालमेघ का रासायनिक संघठन

इसकी जड़ में सिटोस्टेरोल, एन्ड्रोग्रैफिन, पैनिकोलिन, नेचुरलफ्लेवोन, मोनोहाइड्राक्सीट्राइमिथाईल फ्लेवोन, आदि पाए जाते है |

कालमेघ के पञ्चांग में डीआक्सीएन्ड्रोग्रैफ़ोलाइड, एपिजेनिक, कालमेघिन, होमोएन्ड्रोग्रैफ़ोन, ग्लुकोसाइड, पोलीफिनोल्स, कैफीन आदि तत्व बहुतायत से मिलते है |

गुण-धर्म

रस– तिक्त

गुण – लघु, रुक्ष

वीर्य – उष्ण

विपाक – कटु

प्रभाव – कफ पित्तशामक

कालमेघ के फायदे (Benefits of kalmegh in hindi )

आयुर्वेद में कालमेघ का प्रयोग सर्दी-जुकाम, हृदय रोग, मधुमेह, दमा, बुखार, हैजा, अतिसार, पीलिया, लीवर का बढ़ना, गले के छाले, भगन्दर, उच्च-रक्तचाप आदि में बहुतायत से किया जाता रहा है | जिनमे से कुछ रोगों के बारे में विस्तार से इस आर्टिकल में जानने का प्रयास करेंगे |

सभी प्रकार के बुखार में कालमेघ के फायदे

कालमेघ में उपस्थित एंटीवायरल, एंटीबेक्टिरियल, एंटीमैलेरियल जैसे गुण सभी प्रकार के बुखारों का शमन करने में लाभकारी साबित हुआ है | बुखार में कालमेघ के चूर्ण या काढ़े का सेवन चिकित्सक की देखरेख में करे तो अल्प समय में ही परिणाम मिल जाता है |

कालमेघ के फायदे

नोसोकोमियल संक्रमण में फायदेमंद

हॉस्पिटल में जाने से होने वाले संक्रमण नोसोकोमियल दुनियाभर में बड़ी समस्या है कालमेघ इसकी रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | इस संक्रमण के समाधान के लिए कालमेघ का सेवन काढ़े के रूप में चूर्ण के रूप करने से लाभ मिलता है |

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में फायदेमंद

कालमेघ में उपस्थित इम्मुनोस्टीम्यूलेटरी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | इसके सेवन करने के साथ साथ योगाभ्यास करने से कुछ समय में ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढने लगती है |

हृदय रोगों में फायदेमंद

कोर्डियोप्रोटेक्टिव गुणों की मोजुदगी हृदय सम्बन्धी रोगों के प्रति प्रभावी साबित हुआ है | कालमेघ के पंचांग का काढ़ा बनाकर पिने से हृदय सम्बन्धी रोगों में लाभ मिलता है |

डेंगू में कालमेघ के फायदे

डेंगू मानव जाती में होने वाली आर्थोपोड-संक्रमित सबसे बड़ी वायरल बीमारी है | डेंगू से लड़ने के लिए अभी तक कोई स्वीकृत एंटी-वायरल दवाई नही है | हर साल करोड़ो लोग डेंगू से संक्रमित होते है | थाईलेंड में हाल ही में हुई एक शोध से यह निष्कर्ष सामने आये है की कालमेघ डेंगू सेल-लाइन्स में प्रभावी पाया गया है | कालमेघ में उपस्थित एन्ड्रोग्रेफ़ोलाँइड को अनेको प्रकार के वायरस के विरुद्ध प्रभावी माना गया है |

कालमेघ है कैंसर में फायदेमंद

कालमेघ में अमृतमयी एन्ड्रोग्रेफ़ोलाँइड गुणों की उपस्थिति कैंसर चाहे वो ब्रेस्ट कैंसर हो या प्रोस्टेट कैंसर हो की रोकथाम में प्रभावी माना गया है | कालमेघ में अनेको एंटी कैंसर गुण पाए जाने से यह कैंसर रोग की रोकथाम में प्रभावी भूमिका निभाता है |

श्वसन सम्बन्धी रोगों में कालमेघ है लाभदायक

श्वसन सम्बन्धी रोगों में कालमेघ हल्दी और लौंग का काढ़ा अत्यंत लाभदायक रहता है | कालमेघ में पाया जाने वाले नॉन टाक्सिक गुणों के कारण व् एंटी वायरल गुणों से यह श्वसन रोगों में लाभदायक है |

कालमेघ है उत्तम रक्तशोधक

कालमेघ उत्तम श्रेणी का रक्त शोधक है जिन लोगो के रक्त में जहरीले तत्व बढ़ चुके हो उनको कालमेघ का सेवन करना लाभदायक साबित  होता है |

धुम्रपान से हुए नुकसान को सुधारता है कालमेघ

जो लोग बीडी सिगरेट या अन्य किसी प्रकार का धुम्रपान करते है उनके दुष्प्रभाव को कम करते हुए उनके स्वस्थ को बेहतर बनाने में कालमेघ का का बहुत अहम भूमिका है | बीडी पीने से उत्पन्न हुए क्रोनिक पल्मोनरी ऑब्सट्रेक्टिवडिजीज की रोकथाम के लिए कालमेघ का उपयोग करना श्रेष्ठ पाया गया है |

चर्मरोगो में कालमेघ के फायदे

सभी प्रकार के चर्म रोगों में कालमेघ का काढ़ा कुटकी व जीरे के साथ बनाकर पीने से सोराइसिस, एक्जिमा जैसे रोगों में लाभदायक परिणाम देखने को मिले है |

डायबिटीज में फायदेमंद है कालमेघ

जिन लोगो का ब्लड शुगर बढ़ा रहता है | उन्हें कालमेघ का सेवन करने से इन्सुलिन का निर्माण होने की सम्भावना रहती है | अक्सर कहा जाता है की मधुमेह के रोगियों को कडवी दवाओ का सेवन लाभदायक रहता है |

कालमेघ है बेहतर एंटीओक्सिडेंट

कालमेघ एंटी ओक्सिडेंट गुणों का खजाना है जिससे इसका सेवन करने से यह शरीर से सभी टोक्सिंस को निकालकर स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है | एंटी ओक्सिडेंट के लिए इसका सेवन अश्वगंधा चूर्ण 2 ग्राम, कुटकी चूर्ण 2 ग्राम, कालमेघ चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करे |

लीवर सम्बन्धी रोगों में कालमेघ है अत्यंत फायदेमंद

कालमेघ की पत्तियों में हेपटोप्रोटेक्टिव गुण होने से यह लिवर सम्बन्धी रोगों जैसे लीवर का बढना, पीलिया आदि में लाभदायक रहता है | कालमेघ का सेवन चिकित्सक की देखरेख में करने से बहुत जल्द ही आराम मिल जाता है |

पुराने घावो को भरने में फायदेमंद

यदि आपके कोई पुराना घाव है और ठीक नही हो रहा है ऐसे में आपको कालमेघ की पत्तियों की चटनी बनाकर घाव पर लगाने से कुछ ही समय में निश्चित लाभ मिलेगा |

अनिंद्रा में फायदेमंद है कालमेघ

यदि आप अनिंद्रा की समस्या से परेशान हो तो आपको कालमेघ का सेवन राहत दिलाने में मददगार साबित होगा | क्योकि यह एंटी स्ट्रेस एजेंट की भांति काम करता है |

मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट में प्रभावी है कालमेघ

कालमेघ से अच्छा एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल एकल औषधि योग शयद ही होगा |यह मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट के कारण होने वाले घातक संक्रमणों को रोकने के लिए कालमेघ एक बेहतर विकल्प है |

वायरस के विरुद्ध प्रभावी है कालमेघ

कालमेघ में पाए जाने वाला एन्ड्रोग्रेफ़ोलाँईड सभी प्रकार के वायरस चाहे वो डेंगू हो या चिकुनगुनिया, एचआईवी, हेपेटाइटिस बी वायरस, हेपेटाइटिस सी वायरस, हर्पिस वायरस, इन्फ्लुजा वायरस, आदि सभी की रोकथाम में प्रभावी है |

डिस्क डिजनरेशनको रोकता है कालमेघ

कालमेघ इंटरवर्टिब्रल डिस्क डिजनरेशन को रोकने में प्रभावी साबित हुआ है |

गठिया में लाभदायक

कालमेघ का सेवन अश्वगंधा व अन्य आयुर्वेद योगो के साथ करने से गठिया में लाभ प्राप्त होता है | कालमेघ में एंटीइन्फलामेंट्री होने से दर्द व् सूजन में फायदेमंद साबित होता है | कालमेघ चूर्ण को अश्वगंधा चूर्ण व् चोबचिनी के साथ सेवन करने से अत्यंत शीघ्र लाभ मिलता है |

बेहतर दर्द निवारक है कालमेघ

कालमेघ का सेवन शरीर में होने वाले दर्दो से छुटकारा दिलाने में अत्यंत लाभदायक परिणाम देने वाला साबित हुआ है | दर्द के लिए इसके काढ़े में हरिद्रा अश्वगंधा व मोरिंगा मिलाकर सेवन करे |

लिपिड पैरोक्सिडेशन को रोकने में फायदेमंद

इसका मानकीकृत सत्व लिपिड्स हिमोग्लोबिन, लाल रक्त कणिकाओ, लिपिड  पैरोक्सिडेशन को रोकने में प्रभावी सिद्ध हुआ है | इसके साथ ही यह कोशिकीय स्तर पर होने वाले ऑक्सीडेटिव डेमेज को रोकते हुए जहरीले चयापचयी द्रव्यों द्वारा डी.एन.ए की होने वाली क्षति से बचाव करता है |

कालमेघ के नुकसान

वैसे आमतौर पर कालमेघ  के किसी प्रकार के  दुष्प्रभाव नही है किन्तु स्वम् द्वारा बिना चिकित्सक की देखरेख में सेवन करने से अधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी आने की समस्या हो सकती है | अधिक मात्रा में किया गया सेवन से एलर्जी होने की सम्भावना रहती है | गर्भावस्था में इसके सेवन से बचना चाहिए | इसके अधिक सेवन करने से थकान महसूस होने लगती है | साथ ही पाचन संस्थान की गडबडी होने से भूख में कमी होंने जैसी समस्या हो सकती है |

किसी भी आयुर्वेद जडीबुटी का प्रयोग चिकित्सक की देखरेख में करे | स्वम् से प्रयोग करने से दुष्प्रभाव हो सकते है | यदि पको हमारे आर्टिकल पसंद आया हो तो कृपया शेयर करना ना भूले |

धन्यवाद !

डॉ.रामहरि मीना

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

Written by

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

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