कनकसुंदर रस: कनक सुंदर रसायन का उपयोग बुखार के कारण आने वाले अतिसार(दस्त) में विशेष रूप से किया जाता है। जब छोटे-छोटे बच्चों के दांत निकलने शुरू होते हैं उस समय उन्हें बहुत दर्द होता है तथा उन्हें दस्त भी लग जाते हैं। उस समय के लिए कनक सुंदर बहुत ही सर्वश्रेष्ठ दवा है। यह शरीर में किसी भी प्रकार की वेदना को दूर करने के लिए उपयोग में ली जाती है। यह रसायन उष्ण वीर्य होने के कारण पित्त प्रधान रोगों में सौम्य औषधियों के साथ ही उपयोग करना चाहिए। इसके साथ ही जिन लोगों की अग्नि मंद होती है अर्थात खाया हुआ पचता नहीं है या भूख नहीं लगती उनके लिए कनक सुंदर रस का लगातार कुछ समय तक उपयोग करना बहुत ही बेहतर रहता है। यह भूख को बढ़ाने के साथ-साथ भोजन के पाचन में भी सहायक है।
इसके अतिरिक्त कनक सुंदर का निर्माण किस प्रकार किया जाता है, कौन – कौन से घटक द्रव्यों का उपयोग किया जाता है और इसके अन्य गुण और उपयोग क्या है? यह जानने के लिए आप इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़ें।
कनकसुंदर रस के घटक द्रव्य
कनक सुंदर रस को बनाने के लिए कुछ घटक द्रव्यों का उपयोग किया जाता है। जिन्हें कूटकर उनका चूर्ण बनाकर कनक सुंदर रस तैयार किया जाता है। वह घटक इस प्रकार हैं-
- शुद्ध गंधक
- शुद्ध सिंगरफ
- शुद्ध सुहागा
- शुद्ध विष(बच्छनाग)
- काली मिर्च
- पीपली चूर्ण
- धतूरे के बीज
- भांग का रस
कनक सुंदर रस की निर्माण विधि
- कनक सुंदर रस बनाने के लिए शुद्ध गन्धक, शुद्ध सिगंरफ, शुद्ध सुहागा, शुद्ध बच्छनाग, काली मिर्च, पीपली चूर्ण, धतूरे के बीज को समान भाग अर्थात समान मात्रा में लें।
- अब इन औषधियों को कूटकर चूर्ण बना लें।
- अब इस चूर्ण को भांग के रस में एक पहर तक मर्दन करते रहें।
- जब अच्छी तरह से मर्दन हो जाए, तब 250-250mg की गोलियां बनाकर तैयार कर लें ।
- अब इन गोलियों को छाया में सुखाकर रख लें।
- इस प्रकार हमारा कनक सुंदर रस बनकर तैयार हो जाता है।
कनक सुंदर रस के गुण व उपयोग
कनक सुंदर रस का उपयोग पूरे शरीर के दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही यह छोटे बच्चों में दांत निकलने के समय होने वाली परेशानियों को दूर करता है। कनकसुंदर रस ऊष्ण वीर्य होता है इस कारण पित्त जनित रोगों में इसका उपयोग सौम्य औषधियों के साथ करने से बहुत ही बेहतर परिणाम मिलता है। इसके अतिरिक्त कनक सुंदर रस के अन्य गुण और उपयोग इस प्रकार हैं-
- अग्निमांध में – पाचक पित्त की कमी के कारण अग्नि मंद हो जाती है और खाई हुई चीजें या भोजन बिना पचे ही पेट में पड़ा रहता है। जिससे आमाशय निर्बल और कमजोर हो जाता है और अपना कार्य करने में असमर्थ हो जाता है। पाचक पित्त की निर्बलता के कारण आमाशय, पित्ताशय और अग्नाशय कमजोर हो जाते हैं। परिणाम यह रहता है कि बिना पचे हुए ही भोजन निकलना शुरू हो जाता है अर्थात दस्त लग जाते हैं और यह दस्त पतले- पतले तथा बार-बार थोड़े-थोड़े होते रहते हैं। दस्त में बहुत बदबू आती है। ऐसी स्थिति में कनक सुंदर रस का उपयोग बहुत ही अच्छा रहता है।
- वात अतिसार में- कई बार भारी और चिकना भोजन कर लेने के कारण पेट फूल जाता है और पेट में गैस भर जाती है तथा जलन के साथ – साथ डकारे आती है। धीरे-धीरे दस्त लगना शुरू हो जाते हैं और कई बार बुखार भी आ जाती है। ऐसी स्थिति में यदि कंनक सुंदर रस का उपयोग किया जाए तो वायु का शमन होता है और पाचक पित्त जागृत होता है जो भोजन को पचाने काम करता है तथा दस्त भी कम हो जाते हैं। क्योंकि कंनकसुंदर रस के अंदर धतूरे के बीज होते हैं जो स्त्राव को कम करने में सहायक होते हैं तथा भांग का रस का उपयोग किया जाता है जो शरीर में भरी हुई वायु का शमन करता है।
- संग्रहणी और ग्रहणी में कंनक सुंदर रस का उपयोग – कई बार अधिक दस्त लगने के कारण तथा साथ ही में थोड़ा – थोड़ा खून भी निकलना शुरू हो जाता है। दस्त के समय पेट में विशेषकर आंतों में मरोड़ जैसी वेदना होती है। यह वेदना जोर से छींकने पर मालूम होती है। ऐसी स्थिति में मांसपेशियां संकुचित होकर दूषित रक्त को रोक देती है जिससे रुका हुआ दूषित रक्त आंव और मल अवसर पाकर बहुत ही उग्र रूप धारण कर लेता है तथा बहुत कष्ट देता है। ऐसी स्थिति में यदि कंनक सुंदर रस का उपयोग किया जाए तो यह दर्द और ग्रहणी दोनों का नाश करता है क्योंकि इसमें धतूरा और भाग दोनों का उपयोग किया जाता है।
- छोटे बच्चों के दांत निकलने के समय कनक सुंदर रस का उपयोग- छोटे-छोटे बच्चों के दांत निकलते समय उन्हें दर्द के कारण कई बार दस्त और बुखार दोनों हो जाते हैं। जिस कारण छोटे बच्चे बहुत परेशान होते हैं। बच्चा दिन -प्रतिदिन दुबला होता जाता है। उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। अधिक समय तक रोता रहता है तथा एक जगह पर न बैठकर सारे दिन इधर-उधर घूमता रहता है। बच्चा बार-बार मसूड़ों को दबाता है। उसे नींद बहुत कम आती है, नींद नहीं आने के कारण आंखों की पलकें भी सूजी हुई रहती है ऐसी स्थिति में कनक सुंदर रस को शहद के साथ मिलाकर बच्चे को चटाने से बहुत ही आश्चर्यजनक लाभ मिलता है।
- कनक सुंदर रस अग्नि- दीपक और वेदनाशामक है- कनक सुंदर रस शरीर में पाचक पित्त को पर्याप्त मात्रा में बनाता है। जिसके कारण रोगी की भूख बढ़ती है और खाया हुआ भी अच्छी तरह से पच जाता है तथा शरीर में किसी भी प्रकार की वायु नहीं भरने देता है। इस प्रकार कनक सुंदर रस अग्नि को बढ़ाता है तथा भोजन का सही रूप से पाचन करके भोजन को पचाता है तथा इसके साथ ही सभी प्रकार की वेदना अर्थात दर्द को शांत करता है।
कनक सुंदर रस की सेवन विधि तथा मात्रा व अनुपान
- कनक सुंदर रस का उपयोग दिन में एक से दो गोली के रूप में गुनगुने जल के साथ कर सकते हैं।
- छोटे बच्चों को कंनक सुंदर रस की गोली का चूर्ण बनाकर शहद के साथ चटाना चाहिए।
- कंनक सुंदर रस की एक से दो गोली सुबह शाम सोंफ के अर्क के साथ भी सेवन कर सकते हैं।
- इसके अतिरिक्त आप कनक सुंदर रस का सेवन अपने चिकित्सक के परामर्श के अनुसार कर सकते हैं।
धन्यवाद!