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पंचवक्त्र रस

पंचवक्त्र रस के घटक द्रव्य, निर्माण विधि और गुण व उपयोग

पंचवक्त्र रस: पंचवक्त्र रस आयुर्वेद की एक क्लासिकल मेडिसन है। जो शरीर से कफ को बाहर निकालने में उपयोग में ली जाती है। किसी भी प्रकार के बुखार जो कफ के बढ़ने के कारण उत्पन्न हुआ है,उसे यह 7 दिनों के अंदर खत्म कर देता है तथा बढे हुए कफ को भी शरीर से बाहर कर देता है। यदि आप भी सर्दियों में कफ बढ़ने के कारण उत्पन्न होने वाले बुखार, पूरे शरीर में दर्द, आलस, खांसी आदि समस्याओं से परेशान है तो आयुर्वेद के पंचवक्त्र रस का उपयोग एक बार अवश्य करें। यह आपके शरीर में बढ़े हुए कफ को बाहर निकाल कर आप को बुखार और दर्द से राहत देगा, क्योंकि जब शरीर में कफ बढ़ जाता है तो व्यक्ति को पूरे शरीर में दर्द महसूस होता है तथा साथ ही में आलस भी बना रखा है। 

पंचवक्त्र रस

पंचवक्त्र रस का उपयोग विशेषकर शरीर से कफ को बाहर निकालने के लिए तथा कफ से उत्पन्न होने वाली बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य रोगों में भी इसका उपयोग किया जाता है। उनके बारे में जानने के लिए आप इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़ें। हम आपको पंचवक्त्र रस के घटक द्रव्य, निर्माण विधि, गुण व उपयोग आदि के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक उपलब्ध करवाएंगे।

पंचवक्त्र रस के घटक द्रव्य 

किसी भी मेडिसन को बनाने के लिए कुछ आवश्यक घटक द्रव्यों का उपयोग किया जाता है। उसी प्रकार पंचवक्त्र रस को बनाने के लिए भी कुछ महत्वपूर्ण घटक द्रव्यों का उपयोग किया जाता है। जिनकी लिस्ट इस प्रकार है-

  • शुद्ध पारद
  •  शुद्ध गंधक 
  • शुद्ध बच्छनाग 
  • काली मिर्च 
  • सुहागे की खील 
  • पीपल 
  • धतूरे का रस

पंचवक्त्र रस बनाने की विधि 

  • शुद्ध पारद, शुद्ध गन्धक, शुद्ध बच्छनाग, कालीमिर्च, सुहागे की खील और पीपल सभी औषधियों को समान मात्रा में लें। 
  • अब सर्वप्रथम पारद और गन्धक की कज्जली बना लें।
  • फिर बची हुई अन्य औषधियों को कूटकर महीन चूर्ण बना लें। 
  • अब इस चूर्ण को अच्छी तरह से कपङछान कर लें। 
  • अब इस चूर्ण को पारद और गन्धक की बनाई हुई कज्जली में मिला लें। 
  • अब इनको मिलाकर इसका महीन चूर्ण बना लें।
  • अब इस चूर्ण को एक दिन धतूरे के रस में अच्छी तरह से घोट लें।
  • अब घोटकर इसकी 250 – 250mg की गोलियां बनाकर तैयार कर लें।
  • अब इन गोलियों को छाया में सुखा कर रख लें।
  • इस प्रकार पंचवक्त्र रस बनकर तैयार हो जाता है। 

पंचवक्त्र रस के गुण व उपयोग

पंचवक्त्र रस का उपयोग विशेषकर कफज व्याधियों में किया जाता है, परंतु इसके अलावा कई अन्य रोगों में भी पंचवक्त्र रस का उपयोग सर्वश्रेष्ठ रहता है। तो चलिए जानते हैं पंचवक्त्र रस के अन्य रोगों में गुण व उपयोग – 

  1. अग्निवृद्धि के लिए- कई बार लगातार बुखार रहने के कारण रोगी की भूख खत्म हो जाती है या खाया हुआ पचता नहीं है, क्योंकि उसकी पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है। इस स्थिति में अग्नि वृद्धि करने के लिए पंचवक्त्र रस का उपयोग जब जम्बीरी नींबू के साथ करने से जल्द ही अग्निवृद्धि होकर भूख लगना शुरू हो जाती है। 
  2. तेज बुखार में- तेज बुखार की स्थिति में युवा पुरुष को पंचवक्त्र रस की 3 गोली, स्त्री, बालक और वृद्ध को 2 गोली तथा अत्यंत दुर्बल और छोटे बच्चे को आधी से 1 गोली उम्र के अनुसार देने से 7 दिनों के अंदर ही किसी भी प्रकार का बुखार चाहे वात के कारण हो, पित्त के कारण या कफ के कारण ठीक हो जाता है। 
  3. न्यूमोनिया में पंचवक्त्र रस का उपयोग- कफ और वायु के दूषित होकर शरीर में बुखार उत्पन्न करने पर पसलियों में दर्द होता है, श्वास मुश्किल से आता है तथा दर्द होता है। दर्द के मारे चलने फिरने में परेशानी होती है। गर्म सेंक करने या शरीर को दबाने पर पसलियों का दर्द थोड़ा कम महसूस होता है। कई बार शरीर के जोड़ों में दर्द बढ़ जाता है, नींद नहीं आती आदि लक्षण उत्पन्न होने पर पंचवक्त्र रस का उपयोग करने पर कफ और वायु दोनों ही दूषित होना शांत हो जाते हैं तथा धीरे-धीरे दर्द कम हो जाता है और बुखार भी ठीक होने लग जाता है। 
  4. कफ जनित रोगों में- शरीर में कफ के इकट्ठे होने से नाड़ी की गति भारी हो जाती है तथा कई बार नाड़ी तेज चलने लगती है। हृदय की धड़कन कम हो जाती है, हाथ – पैरों में दर्द होता है, सिर और छाती में भी दर्द रहता है, खांसी बहुत तेज आती है आदि स्थिति में यदि पंचवक्त्र रस का उपयोग किया जाए तो बहुत जल्द ही शरीर से कफ पिघल कर बाहर आता है और शरीर हल्का हो जाता है। 
  5. मूत्र कच्छ रोग में उपयोग- किन्ही कारणों से पेशाब रुक जाता है अथवा खुलकर पेशाब ना आने पर पेडू में दर्द होने लगता है। इस स्थिति में यदि पंचवक्त्र रस का उपयोग किया जाए तो पेशाब खुलकर आने लग जाता है। 
  6. बुखार में पंचवक्त्र रस का उपयोग- यदि अभी थोड़े समय से ही बुखार है तो पंचवक्त्र रस एक पहर में ही उसे ठीक कर देता है। मध्यम ज्वर और अजीर्ण की स्थिति होने पर 3 दिन में तथा यदि सन्निपात ज्वर है तो 7 दिन में पंचवक्त्र के उपयोग से वह ठीक हो जाता है। 
  7. पित्त प्रधान ज्वर में पंचवक्त्र रस का नुकसान- पंचवक्त्र रस का उपयोग तीक्ष्ण (तेज) और ऊष्ण (गर्म) होने के कारण कफ और वात (वायु) जनित बुखार को दूर करने के लिए किया जाता है परंतु इसका सेवन पित्त की शरीर में वृद्धि के कारण उत्पन्न बुखार में नहीं करना चाहिए। 

पंचवक्त्र रस की सेवन विधि 

  • पंचवक्त्र रस की1-1 गोली, सुबह-शाम सेवन करें।
  • पंचवक्त्र रस की एक – एक गोली सुबह – शाम शहद के साथ सेवन करें। 
  • पंचवक्त्र रस की एक-एक गोली सुबह-शाम खाना खाने के बाद अदरक के रस के साथ भी सेवन कर सकते हैं। 

पंचवक्त्र रस के नुकसान 

पंचवक्त्र रस का उपयोग कफ तथा कफ के कारण उत्पन्न बुखार में किया जाता है, परंतु आचार्यों के अनुसार पित्त के कारण उत्पन्न बुखार में पंचवक्त्र रस के उपयोग से नुकसान की संभावना जताई गई है, क्योंकि पंचवक्त्र रस तीक्ष्ण और गर्म होता है जिसके कारण शरीर में जलन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अतः आप अपने चिकित्सक से परामर्श लेने के बाद ही पंचवक्त्र रस का उपयोग करें। 

धन्यवाद! 

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

Written by

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

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