परिचय
त्रैलोक्य चिंतामणि रस विभिन्न प्रकार के रोगों का शमन करने के लिए आयुर्वेद की बहुत श्रेष्ठ औषधि है | इसकी प्रकृति उष्ण होती है रस कटु होने से पित्त प्रकृति वाले व्यक्तियों को इसका सेवन करने से पित्त बढ़ जाता है इस हेतु इसका सेवन नही करना चाहिए | विभिन्न रोगों में अलग-अलग अनुपनो के साथ सेवन करने से बल, वीर्य, आयु की वृद्धि होती है |
कफ प्रकुपित दोषों में त्रैलोक्य चिंतामणि रस का सेवन अत्यंत लाभदायक औषधि साबित होती है | श्लेष्मिक सन्निपात (Influenza)और श्वसनक सन्निपात (Pneumonia) और कफ वृद्धि से फेफड़ो के अवरूद हो जाने पर इस औषधि का श्रेष्ठ परिणाम देखा गया है |
भागद्वयं स्वर्णभस्म द्विभाग तारमभ्रकम | लोहात्पंच प्रवालंच मोक्तिक्म वन्हिभागिकम ||
भस्मसुतं सप्तभागं सर्वं मर्धन्तु कन्यया | छायाशुष्का वटी कार्या छागीदुग्धानुपानात: ||
क्षयं हन्ति तथा कासं गुल्मं चापि प्रमेहनुत | जीर्णज्वरहर्श्र्यमुन्मादस्य निकृन्तन: ||
सर्वरोगहरच अपि वारिदोषनिवारण:
त्रैलोक्य चिंतामणि रस के घटक द्रव्य Trailokya Chintamani Ras ingerident in hindi
- कज्जली
- स्वर्ण भस्म
- रजत भस्म
- अभ्रक भस्म
- लौह भस्म
- रोप्य भस्म
- ताम्र भस्म
- वैक्रांत भस्म
- मोती भस्म
- पारद भस्म
- शंख भस्म
- शु.गंधक
त्रैलोक्य चिंतामणि रस के फायदे benefits of Trailokya Chintamani Ras in hindi
क्षय रोग में त्रिलोक्य चिंतामणि रस के फायदे
जिन लोगो को क्षय रोग की समस्या है उनके लिए इस आयुर्वेदिक औषधि का एवं अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है | इस आयुर्वेद औषधि में उपयोग लिए गये घटक द्रव्यों में स्वर्ण भस्म जैसे महत्वपूर्ण घटक है जो शरीर में बल वृद्धि में सहायक सिद्ध होते है |
कास में फायदेमंद है त्रैलोक्य चिंतामणि रस Trailokya Chintamani Ras
अभ्रक भस्म, कज्जली रोप्य भस्म की उपस्थिति पुराने कास/ खांसी बलगम आदि को खत्म करने के लिए श्रेष्ठ औषधि है | इसका सेवन कास वाले रोगी को अदरक स्वरस के साथ करने से अधिक लाभ मिलता है |
श्वसनक संनिपताज में फायदेमंद है त्रैलोक्य चिंता मणि रस
फुफ्फुस रोग की भयानकता के चलते जब रोगी व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होने लगे और साथ ही कफ की वृद्धि होने लगे ऐसे में त्रिलोक्य चिंतामणि रस का सेवन अन्य सहायक औषधियों के साथ करने से अल्प समय में लाभ मिलता है | यह दवा श्वास प्रणाली में सुधार करती है जिससे श्वसन तंत्र में उत्पन्न किसी भी प्रकार के उपद्रव को शांत करने के लिए उत्तम औषध है |
प्राण वायु ओक्सिजन की कमी में लाभदायक है त्रैलोक्य चिंतामणि रस
हाल ही में ओक्सिजन की जिस प्रकार किल्लत मची हुई है | ऐसे में आयुर्वेद की जिन औषधियों द्वारा इसका इलाज किया जा रहा है उनमे से यह भी महत्वपूर्ण औषधि है | फुफ्फुस में इन्फेक्शन होने के बाद जब ओक्सिजन का स्तर घटने लगता है ऐसे में हीरक भस्म, महालक्ष्मी विलास रस, श्वास कास चिंतामणि रस, हीरक भस्म आदि के साथ इसका योग बनकर सेवन करने के कुछ घंटो बाद ही ओक्सिजन का लेवल बढने लगता |
जब फुफ्फुस में किसी संक्रमण की वजह से ओक्सिजन का स्तर कम होने लग जाता है ऐसी स्थिति में आप केवल त्रैलोक्य चिंता मणि रस का सेवन घटे हुए ओक्सिजन के स्तर में सुधार करने अर्थात ओक्सिजन लेवल को बढ़ाने में लाभदायक सिद्ध होता है |
प्रमेह
इसके सेवन से सभी प्रकार के प्रमेह में लाभ मिलता है | किन्तु प्रमेह के प्रकार और रोगी की अवस्था के अनुरूप आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श के बाद सेवन करना आवश्यक है |
जीर्णज्वर
जीर्ण और तीव्र ज्वर के लिए उत्तम आयुर्वेद औषधि है | जिसके सेवन से बार -बार ज्वर की पुनरावर्ती रूकती है |
उन्माद
इसके सेवन से अग्नि तेज आदि की वृद्धि होती है जिससे शरीर में नकारात्मक विचारो में कमी होने से उन्माद में कमी आती है |
डाबर त्रैलोक्य चिंतामणि रस की सेवन विधि और मात्रा
इसके सेवन की मात्रा 1-1 गोली सुबह श्याम अदरक स्वरस या आयुर्वेद चिकित्सक के बताये अनुसार सेवन करे|
बैधनाथ त्रैलोक्य चिंतामणि रस के नुकसान
बैधनाथ त्रैलोक्य चिंतामणि रस Trailokya Chintamani Rasका किसी प्रकार का कोई साइड इफ़ेक्ट नही होता है किन्तु किसी भी आयुर्वेद औषधि का सेवन चिकित्सक से परामर्श के बाद ही करे |
त्रैलोक्य चिंतामणि रस price Trailokya Chintamani Ras price
डाबर त्रिलोक्य चिंतामणि रस price
पैकिंग 10 टेबलेट price -920/-
बैधनाथ त्रैलोक्य चिंतामणि रस price
10 टेबलेट price 684/-
निदेशक श्री दयाल नैचुरल स्पाइन केयर जयपुर
2 Comments
Nilkanth Mishra
January 11, 2022मैं बहुत सी वेबसाइट पर इस औषधि के बारे में देखा लेकिन यहाँ पर सुश्पष्ट जानकारी मिली धन्यवाद आपका
admin
January 12, 2022Thanks for your valuable feedback