शरीर में कुपित हुए वात से होने वाले वात रोग विभिन्न प्रकार के होते है | आयुर्वेद शास्त्रों में प्रकुपित हुए वात को साम्यावस्था में लेन के लिए एक से बढकर एक औषधियों का निर्माण किया है |
ऐसे में आज वात रोगों की श्रेष्ठ आयुर्वेद दवा वृहत वात चिंतामणि रस के फायदे, घटक द्रव्य सेवन विधि, नुकसान आदि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे –
बैधनाथ वृहत वात चिंतामणि के घटक द्रव्य
- स्वर्ण भस्म – 2 ग्राम
- रजत भस्म – 4 ग्राम
- लौह भस्म – 10 ग्राम
- अभ्रक भस्म – 4 ग्राम
- प्रवाल भस्म – 6 ग्राम
- मोती भस्म – 6 ग्राम
- रस सिन्दूर – 14 ग्राम
वृहत वात चिंतामणि रस बनाने की विधि
इसके निर्माण के लिये सबसे पहले रस सिन्दूर को खरल में डालकर बिलकुल बारीक़ पाउडर बना ले उसके बाद बाकि बचे हुए सभी घटक द्रव्यों को मिलाकर ग्वारपाठे के स्वरस के साथ भिगोकर 5 मिनट के लिए छोड़ दे उसके बाद अच्छे से खरल में घुटाई करके गोलिया बना ले | और कांच की शीशी में भर कर रख ले |
बैधनाथ वृहत वात चिंतामणि रस के फायदे vrihat vatchintamani ras ke fayde in hindi
वात रोगों में वृहत वात चिंतामणि रस के फायदे
शरीर में प्रकुपित हुए वात को साम्यावस्था में लेन के लिए यह आयुर्वेद की श्रेष्ठ औषधि है | यह दवा पित्त और वात के प्रकुपित होने से उत्पन्न होने वाली जीर्ण रोगों में नये पुराने दोनों प्रकार के वात रोगों में लाभदायक परिणाम देता है |
वात रोगों को शांत करने के साथ ही साथ यह शारीरिक दुर्बलता और नर्वस सिस्टम की कमजोरी में भी फायदेमंद साबित होता है | यह वात रोगों की अचूक आयुर्वेद औषधि है |
ह्रदय रोगों में फायदेमंद है vrihat vatchintamani ras ke fayde
जिन लोगो के हृदय काफी कमजोर हो चूका होता है उनके लिए इसके सेवन से काफी लाभदायक परिणाम मिलते है क्योकि इसके सेवन से नाड़ियो को बल मिलता है और जब नाड़ि ही मजबूत हों जायेंगी तो हृदय पर पड़ने वाले दबाव भी न्यूनतम हो जाता है | जिससे हृदय सम्बन्धी रोगों में काफी लाभदायक सिद्ध होता है |
उन्माद / तनाव में चिंतामणि रस के फायदे
इसके सेवन से नाड़ियो को मजबूती मिलती है जिससे मानसिक तनाव में आराम मिलता है | वृहत वात चिंतामणि रस में रजत भस्म , स्वर्ण भस्म आदि की उपस्थिति के चलते यह मष्तिष्क में रक्त वाहिनियो को मजबूती प्रदान करता है | जिससे तनाव में इसका उपयोग काफी फायदेमंद साबित होता है |
पैरालाइसिस में फायदे vrihat vatchintamani ras ke fayde in hindi
वैसे तो पक्षाघात, अर्दित वात, धनुर्वात, आदि वात प्रकुपित रोग ही है | वात सम्बन्धी समस्याओ में वृहत वात चिंतामणि रस का सेवन रसोन सिद्ध घृत के साथ करने से जल्द आराम मिलता है | बहुत पुराने वात रोगों म जब शरीर बहुत अधिक जीर्ण हो जाता है तब इसका प्रभावशाली परिणाम देखने को मिलता है |
पतंजली वृहत वात चिंतामणि रस के नुकसान
आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में सेवन करने से इसका किसी प्रकार का कोई साइड इफ़ेक्ट नही होता है | यह पूर्ण रूप से सुरक्षित आयुर्वेद दवा है | प्रेग्नेंट लेडीज को इसके सेवन से बचना चाहिए
मात्रा और सेवन विधि
इसका सेवन वात रोगों में 1 से 2 गोली महारास्नादी क्वाथ के साथ सुबह-शाम सेवन करे | इसका सेवन गुनगुने पानी के साथ भी किया जाता है |
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